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चीन-रूस के दबदबे वाली समित के सदस्य बन रहे भारत-पाक, जानें क्या है SCO

भारत-पाकिस्तान कुछ ही घंटों में चीन और रूस की दबदबे वाली समिति 'संघाई को-ऑपरेशन ऑर्गनाइजेशन' (SCO) के सदस्य बनने जा रहे हैं। इसी सिलसिले में प्रधानमंत्री मोदी कजाकिस्तान पहुंच रहे हैं।...

चीन-रूस के दबदबे वाली समित के सदस्य बन रहे भारत-पाक, जानें क्या है SCO
लाइव हिन्दुस्तान टीम,नई दिल्लीThu, 08 Jun 2017 12:55 PM
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भारत-पाकिस्तान कुछ ही घंटों में चीन और रूस की दबदबे वाली समिति 'संघाई को-ऑपरेशन ऑर्गनाइजेशन' (SCO) के सदस्य बनने जा रहे हैं। इसी सिलसिले में प्रधानमंत्री मोदी कजाकिस्तान पहुंच रहे हैं। कजाकस्तान के अस्ताना में 8 और 9 जून को 'संघाई को-ऑपरेशन ऑर्गनाइजेशन' का वार्षिक शिखर सम्मेलन है।

प्रधानमंत्री मोदी ने अपनी फेसबुक पोस्ट के जरिए जानकारी दी कि वह अस्ताना में 9 जून को एक एक्सपो का भी उद्घाटन करेंगे जो 'फ्यूचर एनर्जी' थीम पर होगा। 

प्रधानमंत्री मोदी ने फेसबुक पर जानकारी दी कि भारत अब एक ऐसी समिति का सदस्य बनने जा रहा है जो दुनिया की 40 फीसदी आबादी का प्रतिनिधित्व करता है। इस समिति में जुड़े देश दुनिया की कुल जीडीपी का 20 फीसदी हिस्सा रखते हैं। इस साल के शिखर सम्मेलन में भारत समिति का स्थाई सदस्य बनने की प्रक्रिया पूरी कर रहा है।

पाकिस्तान भी इस समिति में ले रहा हिस्सा
भारत के साथ ही पाकिस्तान भी इस वर्ष समिति का स्थाई सदस्य बनने की प्रक्रिया पूरी कर रहा है। 2011 में भारत और पाकिस्तान इस संगठन के पर्यवेक्षक सदस्य बने थे। प्रधानमंत्री मोदी के साथ पाकिस्तान के प्रधानमंत्री नवाज शरीफ भी इस सम्मेलन में भाग लेने पहंच रहे हैं। भारत और पाकिस्तान काफी समय बाद एक मंच पर साथ आ रहे हैं हालांकि दोनों देशों के नेता एक दूसरे से किसी प्रकार की बातचीत नहीं करेंगे।

इस संगठन का सदस्य बनने के नाते और इसके नियम के अनुसार अन्य सदस्य देशों के साथ भारत पाकिस्तान की सेना की टुकडि़यां संयुक्त सैन्य अभ्यास में शामिल होंगी। यानी भारत और पाकिस्तान ज्वाइंट मिलिट्री एक्सरसाइज करेंगे।

लेकिन अब सवाल यह है कि यह 'संघाई को-ऑपरेशन ऑर्गनाइजेशन' (SCO) क्या है और इससे भारत को क्या लाभ होगा? तो आइए जानते हैं SCO की पूरी कहानी-

क्या है SCO ?

अप्रैल 1996 में शंघाई में हुई एक बैठक में चीन, रूस, कजाकस्तान, किर्गिस्तान और ताजिकिस्तान आपस में एक-दूसरे के नस्लीय और धार्मिक तनावों को दूर करने के लिए आपसी सहयोग पर राजी हुए थे। इसी के परिणाम स्वरूप संघाई को-ऑपरेशन संगठन का जन्म हुआ। इसे शंघाई फाइव भी कहा गया था। संगठन के देशों ने नस्लीय और धार्मिक चरमपंथ से निबटने और व्यापार और निवेश को बढ़ाने के लिए समझौता किया।

SCO से भारत को क्या लाभ है?
एससीओ की फुल सदस्यता मिलने के बाद उम्मीद है भारत कि मध्य एशिया क्षेत्र में सुरक्षा, सतत विकास और सुरक्षा का भागीदार बनेगा। मध्य एशिया के देशों में आपसी सहयोग के कारण भारत का व्यापारिक हिस्सेदारी बढ़ेगी। लेकिन पाकिस्तान का इस संगठन में शामिल होना भारत के लिए चुनौती साबित हो रही है।

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