Independence Day 2018: तिरंगे का छठवां स्वरूप बना भारत का राष्ट्रध्वज
15 अगस्त 1947 को देश आजादी मिली थी, इसी खुशी इस दिन हम सभी स्वतंत्रता दिवस मनाते हैं। स्वतंत्रता दिव का उत्सव कई रूपों जैसे, झाकी परेड, सांस्कृतिक कार्यक्रम और भाषण आदि में मनाया जाता है। लेकिन इस...
15 अगस्त 1947 को देश आजादी मिली थी, इसी खुशी इस दिन हम सभी स्वतंत्रता दिवस मनाते हैं। स्वतंत्रता दिव का उत्सव कई रूपों जैसे, झाकी परेड, सांस्कृतिक कार्यक्रम और भाषण आदि में मनाया जाता है। लेकिन इस उत्सव में तिरंगा ही एक ऐसी चीज है जो इस उत्सव को पहचान दिलाती है। 15 अगस्त के दिन इमारतों, सार्वजनिक स्थलों, स्कूलों और दफ्तरों में आपको तिरंगा लगा मिल जाएगा। इसका सम्मान प्रत्येक भारतीय अपने अपने तरीके से करता है। कोई इस दिन अपने शरीर पर तिरंगे का टैटू बनवाता है तो कोई तिरंग या तीन रंगों वाला कपड़ा पहनता है तो कोई तिरंगे के रंग को मेकअप के रूप में इस्तेमाल करता है। तो आइए आज हम आपको बताते हैं क्या है तिरंगे का इतिहास। आजादी के पहले और फिर आजादी के बाद भारत का झंडा कैसा था और तीन रंगों में आखिर में कैसे फाइनल हुआ-
तिरंगा का इतिहास
पहला झंडा
पहला भारतीय झंडा 7 अगस्त 1906 में कलकत्ता के पारसी बगान स्कवॉयर में फहराया गया था। इस झंडे में हरे, पीले और लाल रंग की तीन पट्टियां थी। झंडे की बीच की पट्टी पर वंदेमातरम लिखा हुआ था। नीचे की पट्टी पर सूर्य और चांद का सांकेतिक चिन्ह बना हुआ था।
दूसरा झंडा
भारत का दूसरा झंडा 1907 में मैडम कामा और निर्वासित क्रांतिकारियों के उनका संगठन ने पेरिस में फहराया था। यह झंडे पहले वाले से ज्यादा अलग नहीं है। इसमें हरे, पीले और नारंगी रंग की तीन पट्टियां थी। इस झंड़े की बीच की पट्टी पर भी वंदेमातरम लिखा हुआ था। नीचे की पट्टी पर सूर्य और चांद का सांकेतिक चिन्ह बना हुआ था।
तीसरा झंडा
इस भारतीय झंडे को डॉ. एनी बेसेंट और लोकमान्य तिलक ने होम रूल मूवमेंट 1917 के दौरान फहराया था। इस झंडे में ऊपर की तरफ यूनियन जैक था। झंडे में बिग डिपर या सप्तर्षि नक्षत्र और अर्धचंद्र चंद्र और सितारा भी था।
चौथा झंडा
1916 में लेखक और भूभौतिकीविद् पिंगाली वेंकैया ने देश की एकजुटता के लिए एक झंडा डिजाइन किया था। इस झंडे को डिजाइन करने से पहले उन्होंने महात्मा गांधी से अनुमति ली थी। गांधीजी ने उनको भारत का आर्थिक उत्थान दर्शाते हुए झंडे में चरखा शामिल करने की सलाह दी थी। गांधी जी ने इस झंड़े को 1921 में फहराया था। इसमें सबसे ऊपर सफेद, बीच में हरी और सबसे नीचे लाल रंग की पट्टियां थी। ये झंडा सभी समुदायों का प्रतीक माना जाता था।
पांचवां झंडा
1931 में भारतीय राष्ट्रीय ध्वज में ऐतिहासिक बदलाव किया गया था। कांग्रेस कमेटी बैठक में पास हुए एक प्रस्ताव में भारत के तिंरगे को मंजूरी मिली थी। इस तिरंगे में केसरिया रंग ऊपर, सफेद बीच में और सबसे नीचे हरे रंग की पट्टी थी। सफेद रंग की पट्टी पर नीले रंग का चरखा बना हुआ था।
छठा झंडा
आजाद भारत के लिए संविधान सभा ने इसी भारतीय झंडे को स्वीकार कर लिया था। हालांकि चरखे की जगह इसमें सम्राट अशोक के धर्म चक्र शामिल कर लिया गया था। यही झंडा 1947 से भारत का राष्ट्रीय ध्वज है।