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'पैसों की हेराफेरी में शामिल है दैनिक भास्कर ग्रुप', आयकर विभाग का दावा- काल्पनिक लेन-देन भी हुआ

दैनिक भास्कर ग्रुप के खिलाफ शनिवार को लगातार तीसरे दिन भी सर्च अभियान जारी है। शनिवार को आयकर विभाग की तरफ से बयान जारी कर बताया गया कि विभाग को जांच-पड़ताल में कई फर्जी लेन-देन और काल्पनिक...

'पैसों की हेराफेरी में शामिल है दैनिक भास्कर ग्रुप', आयकर विभाग का दावा- काल्पनिक लेन-देन भी हुआ
नीरज चौहान,नई दिल्लीSun, 25 Jul 2021 12:16 AM

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दैनिक भास्कर ग्रुप के खिलाफ शनिवार को लगातार तीसरे दिन भी सर्च अभियान जारी है। शनिवार को आयकर विभाग की तरफ से बयान जारी कर बताया गया कि विभाग को जांच-पड़ताल में कई फर्जी लेन-देन और काल्पनिक ट्रांजेक्शन का पता चला है। यह छापेमारी गुरूवार से शुरू हुई थी। कुल 32 लोकेशन पर छापेमारी की गई थी। इनमें से 20 रिहायशी और 12 दफ्तर परिसर शामिल थे। यह सभी ठिकाने भास्कर ग्रुप के प्रोमोटर्स और अहम कर्मचारियों के थे। आयकर विभाग को मीडिया समूह के 2200 करोड़ रुपये के कथित ''फर्जी लेन-देन'' का पता चला है। आयकर विभाग ने बताया कि दैनिक भास्कर ग्रुप पर छापेमारी के दौरान 700 करोड़ रुपए की आय पर टैक्स चोरी, शेयर बाजार के नियमों का उल्लंघन और सूचीबद्ध कंपनियों से लाभ की हेराफेरी के सबूत मिले हैं। यह भी पता चला है कि इस ग्रुप का एक मॉल भी है जिसके लिए 408 करोड़ रुपए का लोन लिया गया था। सेंट्रल बोर्ड ऑफ डायरेक्टर टैक्सेस (CBDT) की तरह से कहा गया है कई अहम चीजें सर्च ऑपरेशन के दौरान हाथ लगीं है जिसकी जांच-पड़ताल की जा रही है। 

दावा किया गया है कि कि दैनिक भास्कर मीडिया समूह के कई कार्यालयों पर छापेमारी के दो बाद 2,200 करोड़ रुपए के काल्पनिक लेनदेन का पता चला है। जांच-पड़ताल में इस बात की पुष्टि हुई है कि वास्तविक तौर पर सामान की आवाजाही या आपूर्ति के बिना ही फर्जी लेन-देन किया गया। कर प्रभाव एवं अन्य नियमों के उल्लंघन की पड़ताल की जा रही है। CBDT ने बताया है कि इस ग्रुप में होल्डिंग और सहायक कंपनियों सहित 100 से अधिक कंपनियां हैं। वे अपने कर्मचारियों के नाम पर कई कंपनियों का संचालन कर रहे हैं, जिनका उपयोग ''फर्जी'' खर्चों के लिए किया गया है।

छापेमारी के दौरान कई ऐसे कर्मचारी मिले जिनके नाम का इस्तेमाल शेयर होल्डर्स और निदेशकों के तौर पर किया जाता था। इन लोगों ने माना है कि इन्हें इन कंपनियों के बारे में जानकारी तक नहीं थी। इन कर्मचारियों ने यह भी बताया कि उन्होंने अपने आधार कार्ड और डिजीटल हस्ताक्षर भरोसे पर दिये थे। इसमें कुछ रिश्तेदार पाए गए, जिन्होंने स्वेच्छा से और जानबूझकर कागजात पर हस्ताक्षर किए थे, लेकिन कंपनियों की व्यावसायिक गतिविधियों का कोई नियंत्रण नहीं था, जिसमें उन्हें निदेशक और शेयरधारक माना जाता था। 

इस बयान पर दैनिक भास्कर ग्रुप की तरफ से कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है। लेकिन गुरुवार को इसके वेबसाइट पर एक मैसेज पोस्ट किया गया था जिसमें लिखा था कि सरकार सच्ची पत्रकारिता से डर गई है। वहीं इस पूरी कार्रवाई पर विपक्ष के नेता राहुल गांधी, दिग्विजय सिंह अरविंद केजरीवाल, अशोक गहलोत और अन्य नेताों ने कहा है कि सरकार मीडिया हाउस को निशाना बना रही है ताकि कोविड-19 के दौरान मोदी सरकार के कुप्रबंधन को ढका जा सके। 
 

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