कैबिनेट का फैसला:बैंकरप्सी कानून में बदलाव के लिए सरकार लाएगी अध्यादेश
दिवालिया कानून को और सख्त बनाने के लिए केंद्र सरकार अध्यादेश लाने की तैयारी में है। सरकार ने बुधवार को कैबिनेट बैठक में अध्यादेश जारी करने की सिफारिश राष्ट्रपति से की है। इसके लागू होने पर दिवालिया...
दिवालिया कानून को और सख्त बनाने के लिए केंद्र सरकार अध्यादेश लाने की तैयारी में है। सरकार ने बुधवार को कैबिनेट बैठक में अध्यादेश जारी करने की सिफारिश राष्ट्रपति से की है। इसके लागू होने पर दिवालिया घोषित की गई कंपनियों के प्रमोटरों (प्रवर्तकों) की मुश्किलें और बढ़ सकती हैं। कैबिनेट बैठक के बाद वित्त एवं कार्पोरेट कार्य मंत्री अरुण जेटली ने बताया कि सरकार दिवाला एवं ऋण शोधन अक्षमता कानून में जरूरी संशोधन के लिए अध्यादेश जारी करेगी। इसे संसद के शीतकालीन सत्र में लाया जाएगा। उन्होंने कहा कि यह कानून पिछले साल दिसंबर में लागू हुआ था। इसके तहत कर्ज में फंसी कंपनियों की संपत्तियों का बाजार निर्धारित दर पर निपटारा किया जाता है। कॉर्पोरेट कार्य मंत्रालय द्वारा लागू कराए जा रहे इस कानून के कुछ प्रावधानों को लेकर चिंता जताई गई थी। इसमें बताया गया था कि कानून की खामियों का फायदा उठाते हुए दिवाला प्रक्रिया में आई कंपनी पर उसके प्रवर्तक दोबारा नियंत्रण हासिल करने की जुगत लगा सकते हैं।
पाबंदी की तैयारी
नए कानून के तहत दिवालिया हुई कंपनी के प्रमोटर पर उसकी संपत्तियों को खरीदने पर पाबंदी लगाई जाएगी। इस फैसले को पीएसयू बैंकों के लिए बड़ी राहत माना जा रहा है। वर्तमान में दिवालिया प्रक्रिया से गुजर रही कंपनियों के लिए यह बुरी खबर है। कार्पोरेट कार्य मंत्रालय ने कानून की कमियों की पहचान करने और उनका समाधान बताने के लिए 14 सदस्यीय समिति गठित की है। कापोर्रेट कार्य सचिव इंजेती श्रीनिवास की अध्यक्षता में गठित समिति कानून के क्रियान्वयन में आने वाली समस्याओं पर गौर करेगी। दिवाला संहिता के तहत अब तक 300 मामले नेशनल कंपनी कानून न्यायाधिकरण (एनसीएलटी) में दर्ज हो चुके हैं। एनसीएलटी की मंजूरी के बाद ही मामले को आगे बढ़ाया जाता है।