हामिद करजई: पहली भारत यात्रा में काबुल से ज्यादा रूढ़िवादी मुझे दिल्ली लगी
जयपर लिट्रेचर फेस्टिवल में अफगानिस्तान के पूर्व राष्ट्रपति हामिद करजई ने अपने एक घंटे के संबोधन में शिमला में बिताए अपने छात्र जीवन से लेकर अफगानिस्तान में सोवियत के खिलाफ आवाज़, तालिबान शासन के...
जयपर लिट्रेचर फेस्टिवल में अफगानिस्तान के पूर्व राष्ट्रपति हामिद करजई ने अपने एक घंटे के संबोधन में शिमला में बिताए अपने छात्र जीवन से लेकर अफगानिस्तान में सोवियत के खिलाफ आवाज़, तालिबान शासन के खिलाफ उनका मुखर होना और बतौर दस साल अफगानिस्तान के राष्ट्रपति के रूप में हामिद करजाई ने अंतरराष्ट्रीय राजनीति के अपने अनुभवों को साझा किया।
कई लोग जो अफगानिस्तान को अब तक सिर्फ तालिबान शासन के लिए ही जानते हैं उन्हें ये सुनकर बेहद हैरानी हुई जब करजई ने कहा- “जिस वक्त मैं पहली बार साल 1976 में भारत आया था, मैनें उस वक्त काबुल के मुक़ाबले कहीं ज्यादा दिल्ली को रुढ़िवादी पाया था।”
शिमला के अपने छात्र जीवन के बारे में बताते हुए पूर्व अफगानिस्तान के राष्ट्रपति ने बताया- “मैं अपने चचेरे भाई के पास रह रहा था जो एम्स से पढ़ाई कर रहा था। जुलाई के महीने में वह मुझे एक दिन कनॉट प्लेस घुमाने लेकर गया। आप यह सोच सकते हैं कि उस वक्त कितनी गर्मी पड़ रही थी। काबुल में इतना गर्मी नहीं पड़ती है, वह ठंडी जगह है। इसलिए, मैने पूछा कि क्या भारत में ऐसी कोई ठंडी जगह है जहां पर जाकर मैं अपनी स्टडी कर पाऊं। उसके बाद कजन ने कहा- हां, शिमला। उसके बाद मैं शिमला गया और छह वर्षों तक वहां पर रूककर पढ़ाई की थी।”
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