31 केस में चाहिए थे 62 जमानती, अब दो से ही काम चलेगा
सुप्रीम कोर्ट ने एक ऐसे व्यक्ति को राहत प्रदान की है जिसे 31 आपराधिक मामलों में जेल से बाहर आने के लिए 62 जमानती और हर केस में 30 हजार रुपये की गारंटी देने को कहा गया था। जस्टिस आर भानुमति और...
सुप्रीम कोर्ट ने एक ऐसे व्यक्ति को राहत प्रदान की है जिसे 31 आपराधिक मामलों में जेल से बाहर आने के लिए 62 जमानती और हर केस में 30 हजार रुपये की गारंटी देने को कहा गया था। जस्टिस आर भानुमति और इंदिरा बनर्जी की पीठ ने लखनऊ के इस मामले में ट्रायल कोर्ट को निर्देश दिया कि उसे दो लोगों के व्यक्तिगत मुचलके और 30 हजार के बांड के साथ जमानत पर छोड़ा जाए। कोर्ट ने कहा कि दोनों जमानती 30 हजार रुपये का बांड जमा करेंगे जो सभी 31 मामलों में लागू रहेगा।
यूपी सरकार के वकील कमलेंद्र मिश्रा और राजीव दुबे ने बताया कि हनी निषाद ऊर्फ इमरान ऊर्फ विक्की को यूपी गैंग्स्टर एक्ट और अन्य मामलों में ट्रायल कोर्ट ने 31 केसों में जमानत दे दी थी लेकिन शर्त यह थी कि उसे सभी केसों में दो-दो जमानती लाने थे। इतने जमानती जुटाने में विफल रहने पर उसने हाईकोर्ट में धारा 482 के तहत अर्जी लगाई। हाईकोर्ट ने उसे राहत दी और ट्रायल कोर्ट को आदेश दिया कि उसके 31 मामलों में एक-एक और एक कॉमन जमानती स्वीकार करे। यानी उसे अब कुल 32 जमानती लाने पड़ेंगे। पर वह इतने जमानतियों को जुगाड़ भी नहीं कर पाया और सुप्रीम कोर्ट आ गया।
धोखेबाज दूल्हों के खिलाफ जंग सोशल मीडिया से सुप्रीम कोर्ट पहुंची
पीठ ने वकील की दलीलें सुनीं और याचिका स्वीकार कर ली। अदालत ने कहा कि मामले की विशेष परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए हम जमानत की शर्तों में बदलाव करते हैं। निषाद अब 30 हजार की गारंटी देगा और यह सभी केसों के लिए लागू होगा। वह दो जमानती लाएगा जो 30 हजार रुपये की दो श्योरिटी देंगे। यह भी सभी 31 केसों के लिए दी गई मानी जाएगी। मूल रूप से दिल्ली के सीलमपुर में रहने वाला हनी निषाद लखनऊ के तकरोही इलाके में रहता था। उस पर पांच हजार रुपये इनाम घोषित था।
जल्द अमीर बनने की चाहत ने बनाया अपराधी
चोरों का सरगना हनी निषाद पिछले साल सात अगस्त को गोमती नगर में पकड़ा गया था। जल्द अमीर बनने के लालच में वह चोरी करने लगा था। गोमती नगर पुलिस ने जब उसे पकड़ा तो उसने चोरी की दो दर्जन से ज्यादा वारदातें कबूली थीं। इसके बाद ही उसके खिलाफ गोमती नगर थाने में चोरी व माल बरामदगी के कई मुकदमे एक साथ दर्ज किए गए थे।