IIT-M के PhD स्कॉलर ने की आत्महत्या, फरवरी के बाद तीसरा मामला
इससे पहले 14 मार्च को आईआईटी-मद्रास के एक छात्रावास के अंदर 20 वर्षीय छात्र ने आत्महत्या कर ली थी। बी-टेक तृतीय वर्ष का छात्र आंध्र प्रदेश का रहने वाला था। फरवरी के बाद से यह दूसरी आत्महत्या थी।
आईआईटी-मद्रास के एक पीएचडी छात्र ने शुक्रवार को आत्महत्या कर ली। फरवरी के बाद से संस्थान में आत्महत्या का यह तीसरा मामला है। छात्र चेन्नई के वेलाचेरी में कैंपस के बाहर रहता था। पुलिस ने कहा, एक सुसाइड नोट मिला है। लेकिन, उन्हें अभी तक आत्महत्या के कारण का पता नहीं चला है। संस्थान के डीन ने छात्रों को इस संबंध में जानकारी दी। उन्होंने कहा कि वे 31 मार्च की दोपहर वेलाचेरी स्थित अपने आवास पर मैकेनिकल इंजीनियरिंग विभाग के एक पीएचडी शोध छात्र के असामयिक निधन से बहुत दुखी हैं। संस्थान ने उनके परिवार को सूचित किया है।
वहीं आईआईटी-मद्रास ने एक बयान में कहा, "एक विशेष अकादमिक और शोध रिकॉर्ड रखने वाले छात्र की मौत शोध समुदाय के लिए एक बड़ी क्षति है। संस्थान अपनी हार्दिक संवेदना व्यक्त करता है और मृत छात्र के दोस्तों और परिवार के दुख को साझा करता है। संस्थान इस कठिन समय में छात्र के परिवार की गोपनीयता का सम्मान करने के लिए सभी से अनुरोध करता है।"
एक पूर्व छात्र ने स्क्रीनशॉट साझा करते हुए कहा कि मौत से पहले छात्र ने अपने व्हाट्सएप स्टेटस पर "मुझे क्षमा करें, मैं काफी अच्छा नहीं हूं" लिखा था। वेलाचेरी थाने में अस्वाभाविक मौत का मामला दर्ज किया गया है। पुलिस अधिकारी ने कहा, “हमें एक सुसाइड नोट मिला है और हम जांच कर रहे हैं। अभी उनके सुसाइड की वजह बताना जल्दबाजी होगी।'
इससे पहले 14 मार्च को आईआईटी-मद्रास के एक छात्रावास के अंदर 20 वर्षीय छात्र ने आत्महत्या कर ली थी। बी-टेक तृतीय वर्ष का छात्र आंध्र प्रदेश का रहने वाला था। फरवरी के बाद से यह दूसरी आत्महत्या थी। उस समय पुलिस ने कहा था कि वह आत्महत्या से मरा था, वह पढ़ाई का बोझ उठाने में असमर्थ था और वह अपना खर्चा नहीं उठा पा रहा था। आईआईटी-मद्रास के निदेशक वी कमोकोटि ने उस समय कैंपस में आत्महत्या के लिए चार कारणों को जिम्मेदार ठहराया था- वित्तीय तनाव, व्यक्तिगत कारण, शैक्षणिक दबाव और स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं। 14 फरवरी को एक स्नातकोत्तर छात्र ने आत्महत्या कर ली और एक अन्य छात्र ने गोलियां खाकर आत्महत्या का प्रयास किया था लेकिन उसे बचा लिया गया। इसके बाद छात्र प्रबंधन के खिलाफ रात भर धरने पर बैठे रहे।