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बढ़ेंगी बवाली IAS पूजा खेडकर की मुश्किलें? केंद्र की समिति ने सौंपी रिपोर्ट; जांच के घेरे में पूरा परिवार

बवाली आईएएस ऑफिसर पूजा खेडकर के खिलाफ आरोपों की जांच के लिए केंद्र द्वारा नियुक्त एकल सदस्यीय पैनल ने अपनी रिपोर्ट कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग (डीओपीटी) को सौंप दी है।

Himanshu Tiwari लाइव हिन्दुस्तान , नई दिल्लीSun, 28 July 2024 12:37 PM
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केंद्र ने विवादास्पद आईएएस पूजा खेरकर के खिलाफ सभी आरोपों की जांच के लिए एक सदस्यीय पैनल का गठन किया था। शनिवार को पैनल ने पूजा पर अपनी जांच रिपोर्ट कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग (डीओपीटी) को सौंप दी। कुछ दिन पहले 2023 बैच की आईएएस ट्रेनी पूजा पर सत्ता के दुरुपयोग, फर्जी सर्टिफिकेट के जरिए आरक्षण का लाभ लेने जैसे कई आरोप लगे थे। उन सभी शिकायतों की जांच के लिए इस जांच कमेटी का गठन किया गया था। डीओपीटी के अतिरिक्त सचिव मनोज द्विवेदी जांच के प्रभारी थे। हालांकि, रिपोर्ट में क्या है ये अभी तक पता नहीं चल पाया है। 

फिलहाल संघ लोक सेवा आयोग यानी यूपीएससी पूजा के खिलाफ सख्त कार्रवाई करने जा रहा है। उनकी ट्रेनिंग को अनिश्चित काल के लिए निलंबित कर दिया गया है। यहां तक ​​कि वह दोबारा कभी भी इस परीक्षा में नहीं बैठ पाएंगी। यूपीएससी पहले ही उनकी नियुक्ति रद्द करने के लिए सूचना जारी कर चुका है। दिल्ली पुलिस के मुताबिक, यूपीएससी ने पूजा के खिलाफ गलत जानकारी और फर्जी पहचान पत्र के जरिए आरक्षण का लाभ लेने की शिकायत दर्ज की है। दिल्ली पुलिस की क्राइम ब्रांच ने घटना की जांच शुरू कर दी है। 

कुछ हफ्ते पहले, पूजा खेडकर पर अपनी निजी कार पर महाराष्ट्र सरकार के स्टिकर, लाल बत्ती का उपयोग करके अपनी शक्ति का दुरुपयोग करने का आरोप लगाया गया था। इसके अलावा उन पर अतिरिक्त जिला मजिस्ट्रेट के कार्यालय पर कब्जा करने और सहायक जिला मजिस्ट्रेट के समक्ष अवैध मांगें पेश कर मांगें पूरी करने की धमकी देने का भी आरोप लगाया गया था। यहीं से विवाद शुरू हुआ।  इसके बाद एक के बाद एक पूजा के 'गुनाह' सामने आने लगे।

बाद में पता चला कि पूजा ने यूपीएससी परीक्षा में बैठने से पहले खुद को 'पिछड़ा' (ओबीसी) श्रेणी से संबंधित दिखाते हुए एक फर्जी प्रमाणपत्र जमा किया था। 2007 में एक मेडिकल कॉलेज में पढ़ाई के दौरान, उन्हें जाति आरक्षण का लाभ लेने के लिए ओबीसी घुमंतू जनजाति-III श्रेणी के तहत भर्ती कराया गया था, जो केवल बंजारी समुदाय के लिए आरक्षित है। उन्होंने आरक्षण लाभ पाने के लिए फर्जी जातीय पहचान प्रमाण पत्र के बाद फर्जी विकलांगता प्रमाण पत्र के लिए आवेदन किया।

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