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एलन मस्क से भी अमीर थे भारत के आखिरी निजाम, पेपरवेट के तौर पर इस्तेमाल करते थे 1 हजार करोड़ का हीरा

तुर्की में हाल ही में हैदराबाद के आठवें निजाम कहे जाने वाले मुकर्रम जाह का निधन हो गया है। उनके दादा उस्मान अली खान उस समय दुनिया के सबसे अमीर व्यक्ति माने जाते थे। वह हीरे का पेपरवेट बनाते थे।

एलन मस्क से भी अमीर थे भारत के आखिरी निजाम, पेपरवेट के तौर पर इस्तेमाल करते थे 1 हजार करोड़ का हीरा
Ankit Ojhaलाइव हिंदुस्तान,हैदराबादMon, 16 Jan 2023 02:21 PM
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हैदराबाद के आखिरी  आठवें और आखिरी निजाम मुकर्रम जाह बहादुर का गुरुवार को तुर्की की राजधानी  इंस्तांबुल में निधन हो गया। तुर्की में वह बदहाल जीवन जीते रहे। छोटे से फ्लैट में उनकी मौत हो गई । वहीं उनके दादा मीर उस्मान अली खान के अमीरी के किस्से मशहूर हैं। उस समय मीर उस्मान अली को दुनिया का सबसे अमीर शख्स माना जाता था। उनकी कुल संपत्ति लगभग 236 अरब डॉलर थी। रुपये में यह रकम करीब 17.47 लाख करोड़ होती है। 1967 में 80 साल की उम्र में उनका निधन हुआ था। 

पेपर वेट के तौर पर इस्तेमाल करते थे हीरा
हैदराबाद के निजामों के अमिरी के किस्से प्रचलित हैं। बताया जाता है कि उस्मान अली के पास रोल्स रॉयस का पूरा काफिला था। इसके अलावा उनके पास सिल्वर घोस्ट थ्रोन कार थी। इसके अलावा वह पेपर को दबाने के लिए जैकब डायमंड का इस्तेमाल करते थे। आज के समय में उस हीरे का कीमत 1 हजार करोड़ रुपेय आंकी जाती है। 

बताया जाता है कि यह हीरा उस्मान अली को अपने पिता और हैदराबाद के छठे निजाम महबूब अली खान से मिला था। वह इस हीरे को मनहूस मानते थे इसलिए अपने चप्पलों में रखवाते थे। हालांकि उस्मान अली ने ऐसा नहीं किया। वह हीरे का इस्तेमाल पेपरवेट के तौर पर करने लगे। यह उनकी मेज़ की शोभा बढ़ाता था। सवाल उठता है कि अब यह हीरा कहां है। दरअसल जैकोब हीरा अंग्रेज अपने साथ लेकर चले गए थे। हालांकि भारत सरकार के प्रयासों से 1995 में इसे वापस भारत लाया गया जिसके लिए बड़ी कीमत भी चुकानी पड़ी। अब इसे रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया की निगरानी में रखा गया है। 

क्यों इतना कीमती है यह हीरा
जैकब हीरे को अपनी तरह का अकेला हीरा माना जाता है। यह दुनिया का पांचवां बड़े पॉलिश्ड हीरा है जो कि 184 कैरट का है। इसका वजन 40 ग्राम है। बताया जाता है कि अलेग्जेंडर मालकन जैकोब इसे बेल्जियम के  एक व्यापारी से 1891 में लेकर आए थे। उनके ही नाम पर हीरे का नाम रख दिया गया। 

निजाम ने इस हीरे को जैकोब से बहुत ही कम कीमत में खरीद लिया। उन्होंने इतनी कीमती हीरे को 25 लाख रुपये में खरीदा था। बात ये था का कि जैकोब हीरा बेचना चाहते थे लेकिन इसे खरीदने वाला कोई मिल ही नहीं रहा था। उन्होंने कंपनी को पूरी कीमत अदा की थी लेकिन कानूनी लड़ाई लड़ने के लिए उन्हें पैसे की सख्त जरूरत थी। ऐसे में हीरा बेचना पड़ गया। निजाम ने इसी का फायदा उठाया और सस्ते में हीरा ले लिया। बाद में जैकोब की यह हालत हुई कि 1921 में कंगाली की हालत में उनकी मौत हो गई। 

जैकोब हीरा कोहिनूर से भी बड़ा है। हैदराबाद पर 18वीं शताब्दी तक निजाम परिवार का शासन था। उस्मान अली अकेले ऐसे भारतीय शासक थे जिन्हें ब्रिटिश सरकार ने 'महानता' का दर्जा तिया था। दरअसल दूसरे विश्व युद्ध के दौरान उन्होंने ब्रिटेन को ढाई करोड़ जीबीपी की मदद दी थी। भारत के आजाद होने से पहेल ही निजाम ने 10 लाख  जीबीपी की रकम लंदन के वेस्टमिंस्टर बैंक में ट्रांसफर कर  दी थी। 

रोल्स  रॉयस से उठवाते थे कचरा
बताया जाता है कि मीर उस्मान महंगी कारों के शौकीन थै। उनके काफिले में 50 रोल्स रॉयस थीं। दरअसल रोल्स रॉयस मोटर कार्स लिमिटेड ने उन्हें कार देने से इनकार कर दिया था। इसके बाद निजाम ने पुरानी रोल्स रॉयस कारें खरीदीं और उनका उपयोग कचरा उठवाने के लिए करने लगे। इस तरह उन्होंने ब्रिटिश कंपनी को मुंहतोड़ जवाब दे दिया था। 

साल 2019 में कोर्ट के एक फैसले के बाद यह रकम निजाम के परिवार को वापस कर दी गई। वह उन पांच शासकों में से एक थे जिन्होंने आजाद भारत में शामिल होने से इनकार कर दिया था। बाकी के चार में जूनागढ़ के नवाब, मुहम्मद बहाबत खानजी तृतिया और जोधपु के महाराजा हनवंत सिंह शामिल थे। हालांकि बाद में इन सभी रियासतों को भारत में मिलाया गया। 

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