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हैदराबाद मुठभेड़: सुप्रीम कोर्ट ने तय की जांच आयोग के अधिकार और कर्तव्यों की सीमा

उच्चतम न्यायालय ने हैदराबाद में महिला पशु चिकित्सक से सामूहिक बलात्कार और उसकी हत्या के चार आरोपियों के कथित मुठभेड़ में मारे जाने की घटना की जांच के लिए गठित तीन सदस्यीय जांच आयोग के अधिकार और...

हैदराबाद मुठभेड़: सुप्रीम कोर्ट ने तय की जांच आयोग के अधिकार और कर्तव्यों की सीमा
एजेंसी,नई दिल्लीSat, 18 Jan 2020 04:42 AM
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उच्चतम न्यायालय ने हैदराबाद में महिला पशु चिकित्सक से सामूहिक बलात्कार और उसकी हत्या के चार आरोपियों के कथित मुठभेड़ में मारे जाने की घटना की जांच के लिए गठित तीन सदस्यीय जांच आयोग के अधिकार और कर्तव्यों को परिभाषित किया है। इस घटना की जांच के लिए न्यायालय ने शीर्ष अदालत के पूर्व न्यायाधीश वी एस सिरपुर्कर की अध्यक्षता में यह आयोग गठित किया है। 

न्यायालय ने कहा कि यह जांच आयोग उन परिस्थितियों की जांच करेगा जिसमे चारों की मृत्यु हुयी और यह भी पता करेगा कि क्या इस दौरान कोई अपराध हुआ है। प्रधान न्यायाधीश एस ए बोबडे, न्यायमूर्ति बी आर गवई और न्यायमूर्ति सूर्य कांत की पीठ ने अपने आदेश में कहा कि यदि ऐसा लगता है कि इस दौरान कोई अपराध हुआ है तो इसके लिए अधिकारियों की जिम्मेदारी भी निर्धारित की जाएगी।

पीठ ने जांच आयोग की पहली कार्य शर्त के बारे में कहा कि यह हैदराबाद में छह दिसंबर, 2019 को चार व्यक्तियों -मोहम्मद आरिफ, चिंताकुंता चेन्नाकेशवुलु, जोलु शिवा और जोल्लू नवीन की मृत्यु से संबंधित कथित घटना की जांच करेगा, जिन्हें एक युवा महिला पशु चिकित्सक से बलात्कार और उसकी हत्या के सिलसिले में गिरफ्तार किया गया था और घटना के वक्त वे पुलिस हिरासत में थे।

इसी तरह, आयोग की दूसरी कार्य शर्त के बारे मे न्यायालय ने कहा कि वह उन परिस्थितियों की भी जांच करेगा जिसकी वजह से इन चार व्यक्तियों की मृत्यु हुई और यह पता लगाएगा कि क्या इस दौरान कोई अपराध हुआ है और यदि हां तो इसके लिए अधिकारियों की जिम्मेदारी तय करेगा। शीर्ष अदालत का यह आदेश हाल ही में न्यायालय की वेबसाइट पर अपलोड किया गया।

शीर्ष अदालत ने अपने आदेश में आयोग के लिए पारिश्रमिक भी निर्धारित किया है। इसके तहत आयोग के अध्यक्ष को प्रति बैठक डेढ़ लाख रुपए और इसके सदस्यों को एक एक लाख रुपए का भुगतान किया जाएगा। न्यायालय ने कहा कि जांच के अध्यक्ष और सदस्यों को शीर्ष अदालत के 12 दिसंबर, 2019 के आदेश के अनुसार अन्य सुविधाएं उपलब्ध कराई जाएंगी। इस आयोग में बंबई उच्च न्यायालय की पूर्व न्यायाधीश रेखा सोन्दूर बाल्डोटा और सीबीआई के पूर्व निदेशक डी आर कार्तिकेयन शामिल हैं। आयोग को इस मामले में पहली सुनवाई की तारीख से छह महीने में अपनी रिपोर्ट शीर्ष अदालत को सौंपनी है। 

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