ट्रेंडिंग न्यूज़

Hindi News देशएचटी लीडरशिप समिट: सेंट्रल विस्टा परियोजना कब तक होगी पूरी? आर्किटेक्ट ने बताए समय

एचटी लीडरशिप समिट: सेंट्रल विस्टा परियोजना कब तक होगी पूरी? आर्किटेक्ट ने बताए समय

देश में कई अहम परियोजनाओं के पुनर्विकास का काम संभाल रहे आर्किटेक्ट (वास्तुकार) बिमल पटेल ने हिंदुस्तान टाइम्स समिट में कहा कि सेंट्रल विस्टा परियोजना के कई काम शुरू हो चुके हैं। संसद की बिल्डिंग...

एचटी लीडरशिप समिट: सेंट्रल विस्टा परियोजना कब तक होगी पूरी? आर्किटेक्ट ने बताए समय
लाइव हिन्दुस्तान,नई दिल्ली।Tue, 30 Nov 2021 09:40 PM

इस खबर को सुनें

0:00
/
ऐप पर पढ़ें

देश में कई अहम परियोजनाओं के पुनर्विकास का काम संभाल रहे आर्किटेक्ट (वास्तुकार) बिमल पटेल ने हिंदुस्तान टाइम्स समिट में कहा कि सेंट्रल विस्टा परियोजना के कई काम शुरू हो चुके हैं। संसद की बिल्डिंग दिसंबर, 2022 तक तैयार हो जाएगी, लेकिन पूरा सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट 2024 के आगे भी खिंच सकता है। उन्होंने यह भी कहा कि पुनर्विकास को लेकर लोगों के मन में तमाम आशंकाएं होती हैं, लेकिन अगर उन्हें सारी योजना बता दी जाती है तो ये आशंकाएं खत्म हो जाती हैं।

हिंदुस्तान टाइम्स के एडिटर इन चीफ आर सुकुमार के साथ बातचीत में उन्होंने बताया कि राजपथ का काम तेजी से चल रहा है। इसका हस्तांतरण भी शुरू हो गया है। सेंट्रल विस्टा परियोजना से गणतंत्र दिवस परेड में कोई दिक्कत नहीं होगी। तमाम ऐतिहासिक परियोजनाओं की आलोचनाओं पर उन्होंने कहा कि ऐसी जगहों को आदर के साथ देखा जाता है, लेकिन इसका मतलब कतई यह नहीं होना चाहिए उसका विकास न किया जाए। वहां की जो भी समस्याएं हैं उनको दूर करने की दिशा में काम करना चाहिए।

उन्होंने बताया कि संसद की मौजूदा जगह कभी भी संसद के लिए नहीं थी। यह काउंसिल हाउस के तौर पर बनाया गया था और डेढ़ सौ लोगों के बैठने की जगह में 543 लोगों को बैठना पड़ता है। वहां खड़े किए गए नए आधुनिक इंफ्रास्ट्रक्चर से भी संसद बिल्डिंग को नुकसान पहुंचा है उसे दुरुस्त किया ही जाना चाहिए। इससे एतिहासिकता खत्म नहीं होगी। उनके मुताबिक वर्ष 2022 के शीतकालीन सत्र के पहले संसद की नई बिल्डिंग तैयार हो जाएगी।

सेंट्रल विस्टा परियोजना प्रगतिशाली कदम
इस परियोजना के तहत तमाम जामुन के पेड़ों के काटे जाने की खबरों का भी उन्होंने खंडन किया। उन्होंने बताया इंडिया गेट के आसपास 460 जामुन के पेड़ हुआ करते थे। आज 1200 पेड़ हैं। यहां केवल 20-21 पेड़ हटाए और दोबारा लगाए गए हैं। ऐसा भी सिर्फ शौचालय बनाने के लिए हुआ है। उधर, साबरमती आश्रम परियोजना के पुनर्विकास पर हो रही आलोचनाओं को लेकर बिमल पटेल ने कहा कि मैं भी आश्रम कुटीर और वहां के भवनों का आदर करता हूं। असल में यहां करीब 40 एकड़ जमीन है, जिसमें 60 से ज्यादा भवन हैं। आश्रम के तौर पर हमें जो जगह दिखती है वो पांच एकड़ है। उसमें से भी तीन एकड़ में पुरानी बिल्डिंगों को सुरक्षित रखा गया है।

पूरा साबरमती आश्रम बनाएंगे
नए प्रोजेक्ट में पूरे 40 एकड़ हिस्से को वापस से जीवंत करने का लक्ष्य है। ताकि साबरमती आश्रम अपने पुराने रूप में दिख सके। इस बारे में गुजरात सरकार ने एक वीडियो बनाया है। लोगों को उसे देखना चाहिए और अपनी आशंकाओं का समाधान करना चाहिए। काशी विश्वनाथ कॉरिडोर के बारे में उन्होंने बताया कि मंदिर को एक पारंपरिक आकार देने की कोशिश की गई है।

हिन्दुस्तान का वॉट्सऐप चैनल फॉलो करें