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'जीवन' की खोज में कितना सफल हो पाएगा चंद्रयान-3, क्या अंधेरे के बाद फिर काम करने लगेगा रोवर प्रज्ञान?

चंद्रयान - 3 इस समय चंद्रमा पर कई रहस्यों के पता लगाने में जुटा है। लगातार प्रज्ञान रोवर लैंडर के माध्यम से जानकारियां धरती पर पहुंचा रहा है। हालांकि यहां अब तक पानी का कोई क्लू नहीं मिला है।

'जीवन' की खोज में कितना सफल हो पाएगा चंद्रयान-3, क्या अंधेरे के बाद फिर काम करने लगेगा रोवर प्रज्ञान?
Ankit Ojhaलाइव हिंदुस्तान,नई दिल्लीTue, 29 Aug 2023 02:01 PM
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चंद्रयान-3 मिशन अब तक सफलतापूर्वक काम कर रहा है। इसरो के लिए यह बड़ी उपलब्धि इसलिए भी है क्योंकि लैंडर की सॉफ्ट लैंडिंग चांद के ऐसे हिस्से पर करवाई गई है जहां अब तक कोई नहीं पहुंचा था। अब तक प्रज्ञान रोवर लैंडर विक्रम के माध्यम से धरती तक कई तस्वीरें और जानकारियों भेज चुका है। हालांकि दक्षिणी ध्रुव पर लैंडिंग का सबसे बड़ा उद्देश्य चंद्रमा पर जीवन लायक परिस्थितियों की खोज करना था जिसमें अब तक कोई सफलता हाथ नहीं लगी है। 

वैज्ञानिकों का मानना था कि दक्षिणी ध्रुव पर मिट्टी में नमी या फिर बर्फ हो सकती है। अगर ऐसा कुछ भी मिलता तो यह बड़ी सफलता माना जाता और भविष्य में चंद्रमा पर बस्ती बसाने के क्रम में बड़ी भूमिका निभाता। बता दें कि रोवर प्रज्ञान को चंद्रमा पर 14 दिन की खोज के लिए भेजा गया है। इसके बाद दक्षिणी ध्रुव पर अंधेरा हो जाएगा और विक्रम लैंडर, रोवर प्रज्ञान की डिवाइस काम करना  बंद कर देंगी। बता दें कि चंद्रमा पर एक दिन धरती के 14 दिनों के बराबर होता है।

14 दिन बात फिर ऐक्टिव हो जाएंगे लैंडर और रोवर
चंद्रयान-2 का लैंडर भले ही लैंडिंग से मात्र 2.1 किलोमीटर की दूरी पर नष्ट हो गया था लेकिन यह मिशन भी पूरी तरह फेल नहीं हुआ था। चंद्रयान- 2 का ऑर्बिटर आज भी काम कर रहा है और चंद्रयान- 3 की मदद कर रहा है। इसी तरह की बातें लैंडर विक्रम और रोवर के बारे में भी हो रही हैं। वैज्ञानिकों का कहना है कि वैसे तो चंद्रयान- 3 को मुख्य 14 दिन के मिशन पर भेजा गया था जिसे 500 मीटर की दूरी तय करनी है। लेकिन इस संभावना से इनका नहीं किया जा सकता कि 14 दिन के बाद चांद पर एक बार फिर दिन होने पर वे फिर से काम करने लगें। अगर ऐसा होता है तो यह इसरो के लिए बोनस की तरह होगा। 

बचा है 10 दिन का समय
छह पहियों वाला रोवर चंद्रमा पर ऐक्टिव है। वैज्ञानिकों का भी प्रयास है कि बचे हुए 10 दिन के समय में यह ज्यादा से ज्यादा दूरी तय कर ले और ज्यादा से ज्यादा डेटा भेज दे।  हाल ही में रोवर एक गड्ढे के पास पहुंच गया था लेकिन वैज्ञानिकों ने इसे क्रेटर में गिरने से बचा लिया। वैज्ञानिकों को इस बात की उम्मीद है कि 14 दिन के बाद भी प्रज्ञान और विक्रम काम करते रहेंगे। 

23 अगस्त को लैंड करने के कुछ ही घंटों बाद लैंडर ने अपने कैमरे से खींची गई तस्वीर साझा की थी। इसमें लैंडिंग साइट नजर आ रही थी। इसके बाद 24 अगस्त को इसरो ने बताया  था कि रोवर उतरकर चंद्रमा पर सैस करने लगा है और लैंडर मॉड्यूल के पेलोड चालू कर दिए गए हैं। 25 अगस्त को प्रज्ञान ने दूसरा वीडियो जारी किया था जिसमें वह रोलडाउन कर रहा था। शाम को इसरो ने बताया कि प्रज्ञान करीब आठ मीटर की दूरी तय कर चुका है। 26 अगस्त को इसरो ने बताया कि चंद्रयान - 3 मिशन के सभी पेलोड ठीक से काम कर रहे हैं। 

27 अगस्त को चंद्रयान ने चंद्रमा के तापमान को लेकर हैरान करने वाली जानकारी दी। प्रज्ञान से मिले आँकड़ों के बाद इसरो ने बताया था कि चंद्रमा की धरती में सतह और अंदर के तापमान में बड़ा अंतर पाया गया है। पहले माना जाता था कि वहां सतह का तापमान 20 से 30 डिग्री के बीच हो सकता था हालांकि यह 70 डिग्री पाया गया। यह वैज्ञानिकों की अपेक्षा से काफी ज्यादा था। 

चंद्रमा के तापमान को देखते हुए यहां बर्फ की सारी संभावनाएं खत्म होती नजर आ रही हैं। बता दें कि इससे पहले अमेरिका, रूस और चीन ने उत्तरी ध्रुव पर ही लैंडिंग करवाई है जहां उसे पानी के सबूत नहीं मिले थे। इसी को देखते हुए इसरो को उम्मीद थी कि दक्षिणी ध्रुव पर कुछ इस तरह के कण पाए जा सकते हैं। हालांकि अब उम्मीद कम ही नजर आती है। 

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