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iNCOVACC: कैसे 'गेम चेंजर' हो सकती है नेजल कोविड वैक्सीन, सबसे आगे निकला भारत; दुनिया में मची होड़

वैक्सीन 18 वर्ष से ऊपर के लोगों को दी जाएगी। इसे पहले निजी अस्पतालों में उपलब्ध कराया जाएगा। इसके अलावा, iNCOVACC वैक्सीन पहले ही CoWin पर अपनी शुरुआत कर चुकी है।

iNCOVACC: कैसे 'गेम चेंजर' हो सकती है नेजल कोविड वैक्सीन, सबसे आगे निकला भारत; दुनिया में मची होड़
Amit Kumarलाइव हिन्दुस्तान,नई दिल्लीThu, 26 Jan 2023 06:22 PM
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केंद्र ने गुरुवार को भारत का पहला नेजल कोविड-19 वैक्सीन iNCOVACC लॉन्च किया। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मांडविया और विज्ञान तथा प्रौद्योगिकी मंत्री जितेंद्र सिंह ने बृहस्पतिवार को गणतंत्र दिवस के अवसर पर भारत बायोटेक की इस नेजल वैक्सीन को लांच किया। नाक के जरिये दिये जा सकने वाले दुनिया के पहले भारत निर्मित टीके को यहां मांडविया के आवास पर लांच किया गया। iNCOVACC को देश भर में बूस्टर डोज के रूप में इस्तेमाल करने के लिए सरकार की मंजूरी मिल गई है। 

क्या होगी iNCOVACC की कीमत?

नेजल टीके ‘बीबीवी154’ को हीट्रोलोगस बूस्टर खुराक के रूप में वयस्कों में सीमित उपयोग के लिए नवंबर में भारतीय औषधि महानियंत्रक (डीसीजीआई) की मंजूरी मिली थी। भारत बायोटेक के पहले जारी एक बयान के अनुसार ‘इनकोवैक’ की कीमत निजी क्षेत्र के लिए 800 रुपये और भारत सरकार तथा राज्य सरकारों को आपूर्ति के लिए 325 रुपये है। हीट्रोलोगस बूस्टर खुराक में प्राथमिक खुराक से अलग बूस्टर खुराक दी जा सकती है। हैदराबाद से संचालित कंपनी ने एक बयान में कहा था कि तीन चरणों में क्लीनिकल परीक्षणों में इस टीके के सफल परिणाम आए।

कहां उपलब्ध होगी यह वैक्सीन?

नाक से दी जाने वाली यह वैक्सीन 18 वर्ष से ऊपर के लोगों को दी जाएगी। इसे पहले निजी अस्पतालों में उपलब्ध कराया जाएगा। इसके अलावा, iNCOVACC वैक्सीन पहले ही CoWin पर अपनी शुरुआत कर चुकी है। भारत बायोटेक ने कहा कि iNCOVACC देश में कोविड-19 के लिए पहला नीडल-लेस बूस्टर डोज होगा। 

क्या यह 'गेम चेंजर' साबित हो सकती है?

साइंस जर्नल नेचर में छपे एक आर्टिकल में बताया गया है कि नाक के जरिए दी जाने वाली वैक्सीन कोविड की मामूली घटनाओं को भी रोकने में सक्षम हो सकती है। ये वैक्सीन नाक के जरिए स्प्रै करके दी जाती है, मतलब वैक्सीन लेने वाले की बांह पर टीका नहीं लगाया जाता।  इसने कहा, "यह वैक्सीन म्यूकोसा के जरिए आपके शरीर में प्रवेश करती है और नाक, मुंह व फेफड़ों की पतली झिल्लियों को टारगेट करते हैं। नेजल वैक्सीन बेहतर है, क्योंकि इन्हें लगाना ज्यादा आसान है और ये म्यूकोसा में ही इम्युनिटी बना देता है, जिससे संक्रमण से शुरुआत में ही बचा जा सकता है।" 

इस प्रकार, इंट्रानेजल वैक्सीन नाक में ही प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया पैदा कर सकती है, जो वायरस के लिए प्रवेश द्वार है। अगर यहीं आपकी प्रतिरक्षा मजबूत होगी तो उन मामलों में यह वैक्सीन बीमारी के हल्के मामलों को भी रोक सकती है। यह कुछ ऐसा है जो कोविड-19 शॉट्स नहीं कर सकते जिन्हें सुई के जरिए लिया जाता है। जर्नल में लिखा है कि जो टीके स्टरलाइजिंग इम्युनिटी पैदा करते हैं, वे महामारी के लिए गेम चेंजिंग होंगे। कई शोधों में यही बात सामने आई है कि कोरोना नाक से ही शरीर में जगह बनाता है। ऐसे में अगर नाक से इस वैक्सीन को दिया जाएगा तो यह काफी असरदार साबित होगी।  

100 से ज्यादा नेजल वैक्सीन बन रही हैं

लंदन में एक हेल्थ-एनालिटिक्स कंपनी, एयरफिनिटी के अनुसार, कोरोना बीमारी के खिलाफ 100 से अधिक म्यूकोसल वैक्सीन (नाक से दिए जाने वाले टीके) विश्व स्तर पर बन रहे हैं, और लगभग 20 मनुष्यों में क्लिनिकल ट्रायट तक पहुंच चुके हैं। iNCOVACC की बात करें तो यह तीन फेज के ट्रायल में असरदार साबित हुई है। कंपनी ने फेज-1 के ट्रायल में 175 और दूसरे फेज के ट्रायल में 200 लोगों को शामिल किया था। तीसरे फेज का ट्रायल दो तरह से हुआ था। पहला ट्रायल 3,100 लोगों पर किया गया था, जिन्हें वैक्सीन की दो डोज दी गई थी। कंपनी का दावा है कि ट्रायल में ये वैक्सीन कोरोना के खिलाफ असरदार साबित हुई है। 

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