कब तक चलेगा मिशन चंद्रयान-3? होगा चांद पर अंधेरा; क्या करेगा प्रज्ञान
चंद्रयान-3 का एक प्रमुख लक्ष्य पानी की तलाश करना था, क्योंकि वैज्ञानिकों का मानना है कि दक्षिणी ध्रुवीय क्षेत्र में स्थाई रूप में छाया में रहने वाले विशाल गड्ढे में बर्फ जमा है।

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) द्वारा भेजे गए चंद्रयान-3 की अवधि कितनी बची है? इसे लेकर तरह-तरह के दावे सामने आ रहे हैं। इसरो के वैज्ञानिकों का मानना है कि चंद्रमा की सतह पर उतरा रोवर प्रज्ञान 14 दिन बाद भी अपना काम जारी रखेगा। मगर ऐसा बताया जा रहा है कि 14 दिनों के बाद मिशन में तकनीकी चुनौतियां आनी शुरू हो जाएगीं। 23 अगस्त को चंद्रमा की सतह पर उतरा प्रज्ञान के मिशन की प्राथमिकता चंद्रमा पर सॉफ्ट लैंडिंग करना, चंद्रमा की सतह का पता लगाना और अमूल्य वैज्ञानिक डेटा एकत्र करना था।
चंद्रयान-3 का एक प्रमुख लक्ष्य पानी की तलाश करना था, क्योंकि वैज्ञानिकों का मानना है कि दक्षिणी ध्रुवीय क्षेत्र में स्थाई रूप में छाया में रहने वाले विशाल गड्ढे में बर्फ जमा है। चंद्रमा पर पानी की मौजूदगी भविष्य में चंद्रमा पर मानव निवास की संभावनाओं की तरफ इशारा है। रोवर प्रज्ञान चंद्रमा की संरचना को बेहतर ढंग से समझने के लिए चंद्रमा की मिट्टी का विश्लेषण कर रहा है और डेटा एकत्र कर रहा है। हालांकि, लूनर नाइट (चंद्र रात्रि) की शुरुआत के साथ रोवर संचालन बंद कर देगा। यह चंद्रयान-3 प्रोजेक्ट के पूरे होने का संकेत हैं।
यह इतनी जल्दी क्यों खत्म हो जाएगा?
मिशन लूनर नाइट के कारण समाप्त हो जाएगा क्योंकि चंद्रमा की सतह सूर्य नहीं आ पाएगा। जिससे रोवर काम करना बंद कर देगा। यह घटना लगभग पृथ्वी के 14 दिनों तक चलती है। इस दौरान चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव क्षेत्र में अंधेरा हो जाता है, जिससे सौर ऊर्जा से संचालित प्रज्ञान रोवर का संचालन करना असंभव हो जाता है।
प्रज्ञान ने भेजी तस्वीर
इसरो ने चंद्रमा के दक्षिण ध्रुव में उतरने के बाद प्रज्ञान रोवर द्वारा खींची गई वक्रिम लैंडर की बुधवार को तस्वीर जारी की। यह तस्वीर रोवर पर लगे नेविगेशन कैमरे (नवकैम) द्वारा ली गई है। इसरो ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म 'एक्स' के आधिकारिक हैंडल पर कहा, चंद्रयान -3 मिशन: कृपया मुस्कुराएं! प्रज्ञान रोवर ने आज सुबह वक्रिम लैंडर की एक तस्वीर क्लिक की। 'मिशन की तस्वीर' रोवर पर लगे नेविगेशन कैमरे (नवकैम) ने ली है।
चंद्रयान-3 मिशन के लिए नैवकैम्स को इसरो की यूनिट 'इलेक्ट्रो-ऑप्टिक्स सिस्टम लैबोरैटरी' (एलईओएस) की तरफ से विकसित किया गया है। लैंडर और रोवर को एक चंद्र दिवस (पृथ्वी के 14 दिन के बराबर) तक कार्य करने के लिए विकसित किया गया है। इस सप्ताह की शुरुआत में, इसरो ने विक्रम के साथ लगे चेस्ट उपकरण का पहला अवलोकन जारी किया था। चंद्रमा की सतह के तापीय व्यवहार को समझने के लिए चेस्ट (चंद्र सफेर्स थर्मोफिजिकल एक्सपेरिमेंट) उपकरण ध्रुव के चारों ओर चंद्रमा की ऊपरी मिट्टी के तापमान प्रालेख को मापने का कार्य कर रहा है। इसमें एक नियंत्रित प्रवेश तंत्र लैस तापमान जांच प्रणाली है जो सतह के नीचे 10 सेमी की गहराई तक पहुंचने में सक्षम है। इसमें 10 तापमान सेंसर लगे हैं।
इसरो ने एक ग्राफ तैयार किया है जो विभिन्न गहराइयों पर चंद्रमा की सतह/निकट सतह के तापमान में भिन्नता को दर्शाता है, जैसा कि पड़ताल के दौरान दर्ज किया गया। यह चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव का पहला ऐसा प्रालेख है। अंतरिक्ष एजेंसी ने कहा कि विस्तृत अवलोकन जारी है। इसरो ने कहा है कि चंद्रयान-3 मिशन के तीन उद्देश्यों में से दो उद्देश्य- चंद्रमा की सतह पर सुरक्षित 'सॉफ्ट लैंडिंग', और चंद्र सतह पर रोवर की चहलकदमी का प्रदर्शन- हासिल कर लिए गए हैं, जबकि चंद्र सतह पर वैज्ञानिक प्रयोगों से संबंधित तीसरे उद्देश्य को पूरा करने का कार्य जारी है।
