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कैसे ‘बैंबू चिकन’ ने पूर्वी गोदावरी को दिलाई नक्सलियों से आजादी?  

आंध्र प्रदेश का यह इलाका पहले नक्सलियों की पनाहगाह था, खौफ से सरकारी अफसर तक नहीं आते थे, अब यहां पर्यटकों की खिलखिलाहट सुनाई देती है। घने जंगलों से घिरा आंध्रपद्रेश का पूर्वी गोदावरी इलाका कभी...

कैसे ‘बैंबू चिकन’ ने पूर्वी गोदावरी को दिलाई नक्सलियों से आजादी?  
विजयवाड़ा, नागराज गली Sun, 23 Sep 2018 01:53 AM
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आंध्र प्रदेश का यह इलाका पहले नक्सलियों की पनाहगाह था, खौफ से सरकारी अफसर तक नहीं आते थे, अब यहां पर्यटकों की खिलखिलाहट सुनाई देती है। घने जंगलों से घिरा आंध्रपद्रेश का पूर्वी गोदावरी इलाका कभी नक्सलियों की पनाहगाह हुआ करती थी। आदिवासी इलाकों में उनका खौफ था। लेकिन अब यहां नक्सर्ली हिंसा की गूंज नहीं, बल्कि पर्यटकों की खिलखिलाहट सुनाई देती है और इस बदलाव की वजह बना आदिवासियों का लजीज व्यंजन ‘बैंबू चिकन’। 

सुनने में भले ही यह अटपटा लगे, लेकिन यह सच है कि इस बदलाव में ‘बैंबू चिकन’ ने अहम भूमिका निभाई। राजमुंद्री जिले के वकील पल्र्ला त्रद्धा राव कहते हैं, इस व्यंजन ने पर्यटकों को आकर्षित किया। लोग व्यंजन को चखने जंगल तक आने लगे। इससे लोगों की आय बढ़ी और वे मुख्यधारा से जुड़ने लगे। 

जनजातीयों के अधिकारों की लड़ाई लड़ रहे कल्लू श्रीनिवास कहते हैं अगर पूर्वी गोदावरी से आंध्रप्रदेश-ओडिशा सीमा के करीब 150 किलोमीटर के क्षेत्र में नक्सलियों की उपस्थिति नहीं है, तो इसकी वजह ‘बैंबू चिकन’ है। बड़ी संख्या में यहां ‘बैंबू चिकन’ की दुकानें खुल गई हैं, जिससे लोगों का आवागमन बना रहता है। मेरेडुमिल्ली में यहां तक कि वातानुकूलित होटल खुल गए हैं। वन विभाग इको टूरिज्म को बढ़ावा देने के लिए पार्क आदि विकसित कर रहा है, जिसका रख रखाव स्थानीय आदिवासी समुदाय के लोग करते हैं। 

सुरक्षा बलों की भूमिका 

पूर्वी गोदावरी के अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक राहुल देव सिंह ने पुष्टि कि इलाका पूरी तरह से नक्सलियों की गतिविधियों से मुक्त है। हालांकि, उन्होंने शांति के लिए अन्य कारकों के साथ-साथ पुलिस की कार्रवाई को भी श्रेय दिया है। 

‘बैंबू चिकन’ क्यों खास 

बैंबू चिकन अन्य व्यंजनों से अलग है। यह ताजे हरे बांस में भरकर धीमी आंच पर पकाया जाता है। चिकन को पहले मसाले में लपेटा जाता है। उसके बाद ताजे खोखले बांस में भरकर दोनो ओर को सील कर दिया जाता है। फिर उसे कोयले पर धीमी आंच पर पकाया जाता है। 

पूरे राज्य में हुआ प्रसार 

बैंबू चिकन राज्य में लोकप्रिय हो गया है। विजयवाड़ा जैसे शहरी इलाकों के होटलों में भी बैंबू चिकन परोसा जा रहा है। कल्लू श्रीनिवास ने कहा, हैदराबाद के सिलपरामम और विशाखपत्तनम में होने वाले फूड फेस्टिवल में बैंबू चिकन को प्रमुख स्थान दिया जा रहा है। 

नई मुश्किलें भी 

वन क्षेत्र के अधिकारी सुनील कुमार ने कहा, बैंबू चिकन की लोकप्रियता ने नई समस्या खड़ी कर दी है। आरक्षित वन क्षेत्र में भी बांस की कटाई होने लगी है। इसी के मद्देनजर राज्य का वन विभाग ‘बैंबू ग्रो फास्ट’ अभियान के तहत बांस उगाने को प्रोत्साहित कर रहा है। 

नक्सलियों का गढ़ था

पूर्वी गोदावरी पहले नक्सलियों का गढ़ था। घने जंगलों और दूरदराज का इलाका होने से वे यहां सुरक्षित महससू करते थे। 1987 में यह इलाका तब चर्चा में आया जब नक्सलियों ने आठ आईएएस को गुरथेडू से अगवा कर लिया। 

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