वायनाड की त्रासदी में जिंदगी की आस, भूस्खलन में जिंदा बचे शख्स को परिवार का इंतजार, 11 घरवाले अभी भी लापता
केरल के वायनाड में भूस्खलन से प्रभावित चूरलमाला के निवासी जयन को अपने परिवार से लापता 11 लोगों का इंतजार है। मूसलाधार बारिश और बाढ़ ने उनके घर को तहस-नहस कर दिया है।
केरल में वायनाड के भूस्खलन प्रभावित चूरलमाला के निवासी जयन 29 जुलाई की रात अपने घर में गहरी नींद में सो रहे थे। उनके आवास में बाहर हो रही मूसलाधार बारिश की तेज आवाजें आ रही थीं। जयन मंगलवार रात डेढ़ बजे तेज आवाज सुनकर जगे। जब वह अपने घर के बाहर निकले तो उन्होंने देखा कि उनके घर के बाहर बाढ़ का पानी बह रहा है और लोग अपनी छतों पर भागते हुए मदद के लिए चिल्ला रहे हैं। जयन ने मंगलवार की सुबह के समय की भयावह घटनाओं को याद करते हुए कहा, ''वहां बिजली या रोशनी नहीं थी। हमने बाढ़ के पानी के दूसरी तरफ लोगों को मदद के लिए चिल्लाते देखा, लेकिन कोई भी उनके पास नहीं पहुंच सका क्योंकि कीचड़ और पानी का तेज बहाव किसी को भी उनके पास जाने से रोक रहा था।''
जयन और उनके परिवार के सदस्य अस्थायी तौर पर मजदूरी का काम करते हैं। आमतौर पर वे रात का खाना खाने के बाद रात 9.30 बजे के आसपास सो जाते थे। सोमवार की रात को भी, इलाके के अन्य लोगों की तरह, यह परिवार भी रात 9.30 बजे के आसपास सोने चला गया, इस बात से अनजान कि उनके साथ इतनी बुरी घटना घटने वाली है। चूरलमाला में लोगों को लगा कि रात डेढ़ बजे हुआ भूस्खलन ही एकमात्र घटना होगा, और कई लोग यह उम्मीद करते हुए बिस्तर पर चले गए कि मदद के लिए चिल्लाने वाले अन्य लोग सुरक्षित होंगे।
जयन ने कहा, ''लेकिन, तड़के करीब 3.30 बजे तेज आवाज हुई और सबकुछ एक झटके में खत्म हो गया। बड़े-बड़े पत्थरों और कीचड़ ने उन सभी घरों को बहा दिया, जहां लोग पहले मदद के लिए चिल्ला रहे थे। हमें समझ नहीं आ रहा था कि क्या करें, क्योंकि हमारे सामने कीचड़, पानी और मलबा बह रहा था।'' इलाके के ज्यादातर घर कुछ ही समय में गायब हो गए और आसपास जीवन का कोई निशान नहीं बचा। कीचड़-पत्थरों से भरे पानी ने मकानों को तहस-नहस कर दिया, जिनमें लोग रहते थे। एक ऐसा इलाका जो कभी जीवन से भरा हुआ था, अचानक नदी में बदल गया और चारों तरफ कीचड़ एवं मलबा बिखरा हुआ था। जो लोग सुरक्षित बच गए, वे रोते हुए अपने प्रियजनों का नाम पुकार रहे थे। जयन की पत्नी के रिश्तेदार लापता हैं। यह परिवार सबसे अधिक प्रभावित क्षेत्र में रहता था।
रुंधे गले से जयन ने कहा, ''मेरी पत्नी के परिवार के 11 सदस्य लापता हैं। हमने मलप्पुरम जिले के नीलांबुर में चलियार नदी से बरामद एक बच्चे के शव की पहचान अपने एक रिश्तेदार के रूप में की है। हमें अब तक केवल तीन शव मिले हैं और बाकी अभी भी लापता हैं।'' जयन उस स्थान पर प्रतीक्षा कर रहे हैं, तथा घटनास्थल से बचाए गए प्रत्येक व्यक्ति को गौर से देखते हैं तथा यह सुनिश्चित करते हैं कि वह व्यक्ति उनकी पत्नी के परिवार का तो नहीं है।
चिंतित और थके हुए नजर आ रहे जयन ने कहा, ''मैं यहां इंतजार कर रहा हूं, उम्मीद है कि हमें अपने लापता परिवार के सदस्यों के बारे में कुछ जानकारी मिलेगी।'' उनका इंतजार कुछ और दिनों तक चल सकता है क्योंकि बचावकर्मी क्षेत्र में कीचड़ और मलबे के बीच मृतकों की तलाश कर रहे हैं तथा किसी को जीवित निकाले जाने की उम्मीद कर रहे हैं। जयन की तरह कई लोग इस क्षेत्र में भटक रहे हैं, बचाव दल के पास भाग रहे हैं, जो शवों को बाहर निकाल रहे हैं तथा अपने प्रियजनों के अंतिम दर्शन की उम्मीद कर रहे हैं, जो अचानक आई बाढ़ में बह गए।