हिन्दुस्तान विशेष : शराब तस्करी में जब्त वाहन वापस ले सकेंगे
अवैध शराब के साथ जब्त वाहन अब वापस मिल सकेंगे। हालांकि, इसके लिए वाहन की 70 फीसदी तक कीमत चुकानी होगी। दिल्ली सरकार का आबकारी विभाग इसके लिए नीति बना रहा है। सूत्रों के मुताबिक, वाहन वापस पाने के लिए...
अवैध शराब के साथ जब्त वाहन अब वापस मिल सकेंगे। हालांकि, इसके लिए वाहन की 70 फीसदी तक कीमत चुकानी होगी। दिल्ली सरकार का आबकारी विभाग इसके लिए नीति बना रहा है। सूत्रों के मुताबिक, वाहन वापस पाने के लिए बीमा में तय वाहन मूल्य का 70 फीसदी तक चुकाना पड़ सकता है। अभी अवैध शराब के साथ जब्त वाहन को वापस दिए जाने का कोई प्रावधान नहीं है। जांच टीम (पुलिस या आबकारी विभाग) वाहन को जब्त करने के बाद उसे वापस नहीं करती है। वाहन पुलिस थानों में पड़े-पड़े कबाड़ हो जाते हैं। वाहनों को मायापुरी में नीलामी के जरिए स्क्रैप के लिए भेजा जाता है।
विभाग का राजस्व बढ़ेगा : आबकारी विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी के मुताबिक, जब्त किए गए वाहन को वापस करके विभाग को दो फायदे होंगे। पहला उसके जरिए राजस्व बढ़ेगा और दूसरा जब्त वाहनों को खडे़ करने के लिए जगह की समस्या से निजात मिलेगी। विभाग वाहन को स्क्रैप करने के बजाए उसके मालिक से तय राशि वसूलेगा, जिसके बाद वाहन उसके मालिक को सौंप दिया जाएगा। यह कार्रवाई मामले की जांच पूरी होने के बाद की जाएगी।
आबकारी विभाग की कार्रवाई
वर्ष जब्त वाहन एफआईआर
2019-20 (6 दिसंबर तक) 318 572
2018-19 394 823
2017-18 429 890
2016-17 496 853
70 फीसदी मामलों में दूसरों के नाम पर दर्ज वाहनों का प्रयोग करते हैं तस्कर
70 फीसदी मूल्य चुका कर जब्त वाहन वापस मिलेगा
महंगी कार का प्रयोग
आबकारी विभाग के अधिकारियों की मानें तो जब्त वाहनों में करोड़ों रुपये कीमत की रेंज रोवर से लेकर मर्सिडीज, ऑडी से लेकर ऑटो रिक्शा तक शामिल हंै। महंगी विदेशी शराब की तस्करी के ज्यादातर मामलों में महंगी गाड़ियों का प्रयोग किया जाता है। अगर वह एक बार पकड़ ली गई तो उसे वापस देने का कोई प्रावधान नहीं है। इसी तरह से पड़ोसी राज्यों से शराब की तस्करी ऑटो रिक्शा में भी की जाती है।
दूसरे के नाम पर दर्ज वाहनों का इस्तेमाल
आबकारी विभाग के मुताबिक, बीते कुछ वर्षों से वाहनों से शराब तस्करी का नया ट्रेंड देखने को मिला है। तस्कर अब पुरानी गाड़ी खरीदकर उससे शराब की तस्करी करते हैं। वाहन खरीदने वाले तस्कर जानबूझकर उसे अपने नाम पर ट्रांसफर नहीं कराते हैं। इस वजह से जिसने वह कार बेची है, वह भी फंस जाता है।