हिन्दुस्तान एक्सक्लूसिव: सुप्रीम कोर्ट का फैसला- राज्य से बाहर कोचिंग करने पर कोटा नहीं
सुप्रीम कोर्ट ने एक फैसले में कहा कि बेहतर कोचिंग लेने के लिए राज्य से बाहर जाने वाले छात्रों को एमबीबीएस और बीडीएस की राज्य कोटा सीटों में नहीं रखा जाएगा। कोर्ट ने कहा, ‘ये वे विद्यार्थी...
सुप्रीम कोर्ट ने एक फैसले में कहा कि बेहतर कोचिंग लेने के लिए राज्य से बाहर जाने वाले छात्रों को एमबीबीएस और बीडीएस की राज्य कोटा सीटों में नहीं रखा जाएगा। कोर्ट ने कहा, ‘ये वे विद्यार्थी हैं, जो अमीर वर्ग से हैं और दूसरे राज्यों में जाकर महंगी शिक्षा वहन कर सकते हैं, इसलिए यह जरूरी नहीं है कि उन्हें राज्य का कोटा दिया जाए।
जस्टिस अरुण मिश्रा और एसए नजीर की पीठ ने फैसले में कहा कि ऐसे विद्यार्थियों को राज्यों के डोमिसाइल की जरूरतों को पूरा करना ही होगा। इस नियम का उद्देश्य यह है कि डॉक्टर बनकर छात्र अपने राज्य में ही सेवा करें। सुप्रीम कोर्ट ने यह फैसला असम की डोमिसाइल आवश्यकताओं संबंधी अधिनियम 2017 के नियम 3(1)(सी) को संवैधानिक ठहराते हुए यह व्यवस्था दी। इस नियम के अनुसार, राज्य में सातवीं से 12वीं कक्षा तक की पढ़ाई वालों को ही डोमिसाइल माना जाएगा और उन्हें ही 85 फीसदी स्टेट कोटा में रखा जाएगा। कोर्ट ने छात्रों को यह दावा भी खारिज कर दिया, ‘ऐसे बच्चे जिनके माता-पिता निजी नौकरी में प्रदेश से बाहर रह रहे हैं कम से कम उन्हें प्रदेश के कोटा में जगह दी जानी चाहिए।’
ओपन सीट का दावा
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि उक्त विद्यार्थी राज्य में ऑल इंडिया कोटा की सीटों के लिए अपना दावा कर सकते हैं। इसके साथ ही वे राज्य की ओपन सीटों के लिए भी दावा कर सकते हैं, उन्हें पूरी तरह से निकाला नहीं गया है।
केंद्रीयकर्मियों को छूट
कोर्ट ने कहा, इस नियम में ऐसे बच्चों को ही छूट है, जिनके माता-पिता राज्य या केंद्र सरकार की नौकरी में हैं और प्रदेश से बाहर तैनात हैं। उन्हें राज्य में सातवीं से 12वीं कक्षा तक की पढ़ाई बाहर करने पर भी राज्य कोटा में जगह दी जाएगी।