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चुनाव आयोग की सफाई: हिमाचल-गुजरात के चुनावों का ऐलान साथ क्यों नहीं किया गया?

चुनाव आयोग ने हिमाचल प्रदेश के साथ गुजरात विधानसभा के चुनाव कार्यक्रम की घोषणा न किये जाने पर बुधवार को सफाई देते हुए कहा कि उसने गुजरात में आयी भयंकर बाढ़ और राहत कार्यों के देखते हुए इस राज्य के...

 चुनाव आयोग की सफाई: हिमाचल-गुजरात के चुनावों का ऐलान साथ क्यों नहीं किया गया?
एजेंसी,नई दिल्लीThu, 26 Oct 2017 07:13 PM
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चुनाव आयोग ने हिमाचल प्रदेश के साथ गुजरात विधानसभा के चुनाव कार्यक्रम की घोषणा न किये जाने पर बुधवार को सफाई देते हुए कहा कि उसने गुजरात में आयी भयंकर बाढ़ और राहत कार्यों के देखते हुए इस राज्य के चुनाव की घोषणा अब की है ।
     
मुख्य चुनाव आयुक्त ए के जोति ने नई दिल्ली में संवाददाता सम्मेलन में गुजरात विधानसभा चुनाव के कार्यक्रमों की घोषणा करते हुए पत्रकारों के सवालों की बौछार के जवाब में यह सफाई दी । 

पत्रकारों ने श्री जोति से जब बार-बार यह सवाल पूछा कि आयोग ने हिमाचल प्रदेश के साथ गुजरात के चुनाव की घोषणा क्यों नहीं की और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को कई बड़ी योजनाओं की घोषणा करने का मौका क्यों दिया तो जोति ने कहा कि गुजरात के सात जिलों में भयंकर बाढ़ आयी थी जिसमें 229 लोगों की मौत हो गयी थी। बाढ़ प्रभावित इन जिलों मे राहत कार्य भी पूरा नहीं हुआ था और किसानों को मुआवजा देने का काम चल रहा था एवं बाढ़ में क्षतिग्रस्त सडकों की मरम्मत का काम भी चल रहा था इसलिए आयोग ने दोनों राज्यों के चुनाव की घोषणा एक साथ नहीं की।

उन्होंने अपनी इस दलील के समर्थन में गुजरात के मुख्य सचिव के दो पत्रों का हवाला भी  दिया जो आयोग को 22 सितंबर और दो अक्टूबर को लिखे गये थे। इन पत्रों में मुख्य सचिव ने आयोग से अनुरोध किया था कि राहत कार्यों को पूरा करने के लिए थोड़ा और समय दिया जाय। 

यह कहे जाने पर कि गुजरात के राहत आयुक्त ने तो आयोग को इस सम्बन्ध में कोई पत्र नहीं लिखा था और न ही उसने समय देने का कोई अनुरोध किया था तो फिर आयोग ने राज्य सरकार को समय क्यों दिया, जोति ने कहा ,'हम गुजरात के मुख्य सचिव की बात को आधिकारिक वक्तव्य मानते हैं।'
        
मुख्य चुनाव आयुक्त ने यह भी कहा कि राहत कार्यों के जारी रहने से नगर निगम, पंचायत और जिला प्रशासन के अधिकारी इस कार्य में व्यस्त थे इसलिए गुजरात का चुनाव पहले नहीं कराया जा सकता था। आयोग को चुनाव कराने के लिए राज्य सरकार के कर्मचारियों की ही जरूरत पड़ती है। 

चुनाव आयोग ने दिया तमिलनाडु का उदाहरण
जोति ने तमिलनाडु का उदाहरण देते हुए कहा कि वहां भी बाढ़ और राहत कार्यों को देखते हुए विधानसभा के चुनाव के लिए राज्य को और समय दिया गया था। उन्होंने बताया कि तमिलनाडु में पिछले वर्ष गुजरात की तरह भयंकर बाढ़ आयी थी और वहां भी राहत एवं पुनवार्स कार्य चल रहे थे तो राज्य सरकार ने विधानसभा का चुनाव देर से कराने का अनुरोध किया था क्योंकि बाढ़ के कारण स्कूल कॉलेज बंद हो गये थे और परीक्षा की तिथियां आगे खिसकाकर अप्रैल में कर दी गयीं थीं ,इसलिए चुनाव मई में कराये गये थे।

हिमाचल में थी हिमपात की आशंका
उन्होंने गुजरात और हिमाचल के चुनाव के तिथियों की घोषणा एक साथ न कराये जाने के पीछे यह भी तर्क दिया कि आयोग को हिमाचल के चुनाव की घोषणा पहले इसलिए करनी पड़ी क्योंकि वहां ठंड के मौसम में हिमपात होने की आशंका थी और वहां के अधिकारियों ने चुनाव आयोग से अनुरोध किया था कि हिमपात होने से पहले चुनाव सम्पन्न करा दिये जायं।

उन्होंने कहा कि चुनाव आयोग को विधानसभा भंग होने के कम से कम 46 दिन से पहले चुनाव कराना अनिवार्य और गुजरात विधानसभा का कार्यकाल 22 जनवरी को समाप्त होगा, इसलिए नियमत: इसके लिए पयार्प्त समय है। यह पूछे जाने पर कि क्या आयोग गुजरात के राहत एवं पुनवार्स कार्यों के पूरा होने को लेकर अब संतुष्ट हो गया है तो जोति ने पत्रकारों के सामने राहत एवं पुनवार्स कार्यों का विस्तृत ब्योरा आंकड़ों के साथ पेश किया।

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