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हिजाब विवाद में भीमराव आंबेडकर की इस टिप्पणी का हाई कोर्ट ने क्यों किया जिक्र, समझें

हिजाब विवाद पर फैसला सुनाते हुए मंगलवार को हाई कोर्ट ने संविधान निर्माता बाबासाहेब भीमराव आंबेडकर का भी जिक्र किया। अदालत ने शैक्षणिक संस्थानों में हिजाब पर रोक को सही ठहराते हुए पर्दा प्रथा पर...

Surya Prakash लाइव हिन्दुस्तान , बेंगलुरुWed, 16 March 2022 11:06 AM
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हिजाब विवाद में भीमराव आंबेडकर की इस टिप्पणी का हाई कोर्ट ने क्यों किया जिक्र, समझें

हिजाब विवाद पर फैसला सुनाते हुए मंगलवार को हाई कोर्ट ने संविधान निर्माता बाबासाहेब भीमराव आंबेडकर का भी जिक्र किया। अदालत ने शैक्षणिक संस्थानों में हिजाब पर रोक को सही ठहराते हुए पर्दा प्रथा पर आंबेडकर की टिप्पणी का भी जिक्र किया। इसके साथ ही अदालत ने कहा कि पर्दा प्रथा पर उनकी वह राय हिजाब के मसले पर भी लागू होती है। अदालत ने कहा, 'पर्दा, हिजाब जैसी चीजें किसी भी समुदाय में हों तो उस पर बहस हो सकती है। इससे महिलाओं की आजादी प्रभावित होती है। यह संविधान की उस भावना के खिलाफ है, जो सभी को समान अवसर प्रदान करने, सार्वजनिक जीवन में हिस्सा लेने और पॉजिटिव सेक्युलरिज्म की बात करती है।'

भीमराव आंबेडकर की पुस्तक 'पाकिस्तान और भारत का विभाजन' का उद्धरण देते हुए कोर्ट ने कहा, 'एक मुस्लिम महिला को अपने बेटे, भाई, पिता, चाचा और पति को ही देखने की इजाजत है। इसके अलावा वह कुछ उन लोगों से ही मिल सकती है, जिससे उनका करीबी रिश्ता हो। वह मस्जिद में नमाज के लिए भी नहीं जा सकती है। उसे बाहर जाने के लिए बुर्का पहनना जरूरी है। मुस्लिमों में वह सभी सामाजिक बुराईयां हैं, जो हिंदुओं में हैं। कई मायनों में तो उनसे भी ज्यादा हैं। वह है पर्दा, जो हिंदुओं के मुकाबले मुस्लिम महिलाओं के लिए ज्यादा जरूरी बताया गया है।'

इसी पुस्तक की एक और टिप्पणी को दोहराते हुए अदालत ने कहा, 'पर्दे में महिलाएं असहाय नजर आती हैं। भारत में बड़ी संख्या में महिलाएं पर्दे में नजर आती हैं और यह उनकी कमजोरी का एक कारण है। भारत में कोई भी आसानी से इससे समझ सकता है कि पर्दा की समस्या कितनी बड़ी है।' गौरतलब है कि शैक्षणिक संस्थानों में हिजाब पर रोक को सही ठहराते हुए अदालत ने कहा था कि यह इस्लाम का हिस्सा नहीं है। कोर्ट ने साफ कहा था कि यदि संस्थानों की ओर से यूनिफॉर्म तय की गई है तो फिर उस पर छात्रों की ओर से सवाल नहीं उठाया जा सकता।