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लॉकडाउन के दौरान पूरी सैलरी देने के केंद्र के आदेश के खिलाफ दायर याचिकाओं पर SC में सुनवाई पूरी, फैसला जल्द

कोरोना लॉकडाउन के दौरान प्राइवेट कंपनियों को अपने कर्मचारियों को पूरी सैलरी देने के निर्देश के खिलाफ याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई पूरी हो चुकी है। कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रख लिया है।...

लॉकडाउन के दौरान पूरी सैलरी देने के केंद्र के आदेश के खिलाफ दायर याचिकाओं पर SC में सुनवाई पूरी, फैसला जल्द
लाइव हिन्दुस्तान,नई दिल्ली।Thu, 04 Jun 2020 02:16 PM
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कोरोना लॉकडाउन के दौरान प्राइवेट कंपनियों को अपने कर्मचारियों को पूरी सैलरी देने के निर्देश के खिलाफ याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई पूरी हो चुकी है। कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रख लिया है। फैसले की तारीख फिलहाल नहीं दी गई है। कोर्ट ने इस मामले में फिलहात कंपनियों के खिलाफ किसी भी तरह की कार्रवाई नहीं करने का निर्देश दिया है।

आपको बता दें कि केंद्र सरकार के 29 मार्च कि निर्देश के अनुसार सैलरी काटने वाली कंपनियों के खिलाफ कार्रवाई की बात कही गई थी, जिस पर फिलहाल कोर्ट ने रोक लगा दी है।

पूरी सैलरी देने में असमर्थ कंपनी कोर्ट में दिखाएं अपनी बैलेंस शीट: केन्द्र
केन्द्र ने कोरोना लॉकडाउन के दौरान प्राइवेट कंपनियों को अपने श्रमिकों को पूरी सैलरी देने संबंधित 29 मार्च के निर्देश को सुप्रीम कोर्ट में सही ठहराया है। साथ ही कहा है कि पूरा वेतन देने में असमर्थता व्यक्त करने वालों को कोर्ट में अपनी ऑडिट की हुई बैलेंस शीट और खाते पेश करने का निर्देश दिया जाना चाहिए।

सुप्रीम कोर्ट में दाखिल अपने हलफनामे में सरकार ने कहा है कि 29 मार्च का निर्देश लॉकडाउन के दौरान कर्मचारियों और श्रमिकों, विशेषकर संविद और दिहाड़ी, की वित्तीय परेशानियों को कम करने के इरादे से एक अस्थाई उपाय था। इन निर्देशों को 28 मई से वापस ले लिया गया है।

कोर्ट के निर्देश पर गृह मंत्रालय ने यह हलफनामा दाखिल किया है। इसमें कहा गया है कि 29 मार्च के निर्देश आपदा प्रबंधन कानून के प्रावधानों, योजना और उद्देश्यें के अनुरूप था और यह किसी भी तरह से संविधानेत्तर नहीं है।

सरकार ने इस अधिसूचना को चुनौती देने वाली याचिकाओं का निबटारा करने का अनुरोध करते हुये कहा कि उस अधिसूचना का समय खत्म हो चुका है और अब यह सिर्फ अकादमिक कवायद रह जायेगी क्योकि इन 54 दिनों का कर्मचारियों का दिया गया वेतन और पारिश्रमिक की राशि की वसूली की मांग करना जनहित में नहीं होगा। 

सरकार ने कहा कि 25 मार्च से 17 मई के दौरान सिर्फ 54 दिन तक प्रभावी रही इस अधिसूचना के बारे में निर्णय करना न तो न्याय हित में होगा और न ही ऐसा करना जनहित में होगा। सुप्रीम कोर्ट ने 26 मई को एक मामले की सुनवाई के दौरान केन्द्र को अपना जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया था।

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