Health Minister dr Harsh Vardhan said in exclusive interview with hindustan coronavirus infection rate is slow in india EXCLUSIVE: भारत में कोरोना संक्रमण की रफ्तार धीमी, लेकिन हम विपरीत परिस्थिति के लिए भी तैयार- डॉ. हर्षवर्धन, India Hindi News - Hindustan
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EXCLUSIVE: भारत में कोरोना संक्रमण की रफ्तार धीमी, लेकिन हम विपरीत परिस्थिति के लिए भी तैयार- डॉ. हर्षवर्धन

केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री डॉ. हर्षवर्धन का मानना है कि यदि लाकडाउन के दौरान कुछ लोगों ने अपनी जिम्मेदारी निभाने में कोताही नहीं बरती होती तो कोरोना संक्रमण के मामले में आज देश...

Himanshu Jha मदन जैड़ा, ब्यूरो चीफ, हिन्दुस्तान, नई दिल्लीFri, 24 April 2020 05:20 AM
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EXCLUSIVE: भारत में कोरोना संक्रमण की रफ्तार धीमी, लेकिन हम विपरीत परिस्थिति के लिए भी तैयार- डॉ. हर्षवर्धन

केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री डॉ. हर्षवर्धन का मानना है कि यदि लाकडाउन के दौरान कुछ लोगों ने अपनी जिम्मेदारी निभाने में कोताही नहीं बरती होती तो कोरोना संक्रमण के मामले में आज देश कंफर्ट जोन में होता। अभी संक्रमण की रफ्तार धीमी हुई है लेकिन सरकार विषम से विषम स्थिति के लिए भी तैयारी कर चुकी है।

हिन्दुस्तान के ब्यूरो चीफ मदन जैड़ा द्वारा लिये गये ईमेल साक्षात्कार के प्रमुख अंश-

क्या हम कोरोना की महामारी को रोकने में सफल रहे हैं?  क्या कम्युनिटी ट्रांसमिशन का खतरा टल चुका है?

हमने देश देश में कोरोना संक्रमण की दस्तक सेपहले ही अपनी तैयारियां शुरू कर दी थी। इसिलए विश्व के संपन्न और विकसित देश अपने अपार संसाधनों के बावजूद संक्रमण की गति नहीं रोक पाए। लेकिन यह कार्य भारत ने कर दिखाया ‌क्योंकि हम प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कुशल नेतृत्व में कोरोना खिलाफ जंग में पहले ही दिन से ही जुटे रहे। नतीजा यह है कि विश्व में कोरोना की मृत्यु दर 6.8 प्रतिशत है जबकि भारत में इससे आधी से भी कम 3.2 प्रतिशत है।

आज कोविड-19 के रोगियों के स्वस्थ होने की दर 19.36 प्रतिशत है पिछले दिन के मुकाबले मामलों के बढ़ने की दर 7.8 प्रतिशत है। यदि हम पिछले तीन दिन के आंकड़े देखते हैं तो हम पाते हैं कि मामलों के दोगुना होने की दर 8.7 दिन है। यदि हम 7 दिन के आंकड़े देखते हैं तो पाते है मामलों के दोगुना होने की दर 9 दिन है। यदि पिछले 14 दिन की अवधि में देखा जाए तो यह दर 7.2 दिन है। यह इस बात का परिचायक है कि मामलों के दोगुना होने की दर धीरे धीरे कम हो रही है, यानि टेस्टिंग की संख्या बढ़ने के बावजूद संक्रमित मामलों की संख्या कम हो रही है। निरंतर गभीर प्रयासों और लॉकडाउन तथा सोशल डिस्टेंसिग के निर्देशों के पालन से 28 दिन में बड़ा सकारात्मक परिवर्तन संभव हो सका।

बड़े पैमाने पर निमोनिया के मामलों की जांच में भी सामुदायिक संक्रमण का कोई संकेत नहीं मिला। इसलिये देश में अभी सामुदायिक संक्रमण की कोई आशंका नहीं है।

कितने जिले अभी रेड जोन में हैं ?

देश के 733 में से 321 जिलों में संक्रमण का कोई असर नहीं है। इन्हें ग्रीन जोन कहा जाता है। 24 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के 72 जिलों में पिछले 14 दिन से संक्रमण का कोई मामला सामने नहीं आया। इसे देखकर हम कह सकते हैं कि कोरोना को रोकने में हम काफी हद तक कामयाब रहे हैं। जहां तक कम्युनिटी ट्रांसमिशन का प्रश्न है मैं यह स्पष्ट कर देना चाहता हूं कि देश में 136 जिले  रेड जोन हैं जहां थोड़े ज्यादा मामले हैं और 276 जिले ऑरेंज जोन में हैं जिनमें मामलों की संख्या मामूली है। रेड जोन में 14 दिन में किसी मामले का पता नहीं लगने पर इसे आरेंज जोन में स्थान मिलता है। इसी तरह आरेंज जोन में 14दिन में कोई मामला सामने नहीं आने पर उसे ग्रीन जोन बनाया जाता है।

आपको लगता है कि हम पीक पर पहुंच गए हैं या यह स्थिति आगे आएगी?

हमें उम्मीद नहीं थी कि देश में इतने मामले सामने आएंगे लेकिन एक विशेष समुदाय के लोगों के गैर जिम्मेदाराना व्यवहार से यकायक मामले बढ़ने लगे। ऐसा एक या दो राज्यों में नहीं हुआ बल्कि अधिकांश राज्यों में हुआ। कुछ लोगों ने भी लॉकडाउन के दौरान निर्देशों की अनदेखी की। यदि ऐसा नहीं हुआ होता तो हम बेहतर कम्फर्ट जोन में होते। मामलों के दोगुना होने की दर में लगातार सुधार हुआ है। परिदृश्य को देखकर कहा जा सकता है कि हम मामलों की स्थिरता की ओर बढ़ रहे हैं। 

क्या एक लाख कोविड रोगियों का एक साथ उपचार करने में देश सक्षम हो चुका है? क्या पीपीई, वेंटीलेटर और अन्य उपकरणों की उपलब्धता पर्याप्त है? 

मुझे नहीं लगता कि ऐसा होगा लेकिन मैं स्पष्ट करना चाहता हूं कि हम विषम से विषम स्थिति के लिए भी पूरी तरह तैयार हैं। हम प्रत्येक कोविड रोगी को समुचित उपचार दे रहे हैं। जहां तक पीपीई, वेंटिलेटर और अन्य उपकरणों की उपलब्धता का प्रश्न है, हमारे पास आने वाले तीन महीने से भी अधिक समय के लिए पर्याप्त मात्रा में पीपीई, एन-95 मास्क, दवाइयों और वेंटिलेटर आदि की व्यवस्था है। हमने 1 करोड़ 80लाख पीपीई, 55 हजार से अधिक वेंटिलेटर और 2 करोड़ 20 लाख से अधिक मास्क के खरीद के ऑर्डर दे रखे हैं। हम नहीं चाहते कि उपकरणों के अभाव में किसी रोगी को उपचार से वंचित रहना पड़े। संसाधनों एवं धन की कोई कमी कमी नहीं है।

यदि लाकडाउन नहीं किया जाता तो देश में कोरोना की क्या स्थिति होती?

लॉकडाउन शुरू होने के समय 600 से अधिक मामले थे और आज 21 हजार से अधिक मामले हैं। अगर लॉकडाउन नहीं होता तो संख्या में अधिक वृद्धि हुई होती। लाकडाउन के 21 दिन बाद इसे तीन मई तक विस्तारित किया गया। प्रधानमंत्री देश की अर्थव्यवस्था और रोजगार की स्थिति को पहले की स्थिति में लाने को भी प्रयासरत है। पूरा देश आशा कर रहा है कि अगले कुछ सप्ताह में हम इस संक्रमण पर काबू करने में महत्वपूर्ण सफलता प्राप्त कर लेंगे।

कोविड के खिलाफ लड़ाई में ऐसा क्या खास सरकार कर रही है कि डब्ल्यूएचओ ने भी सराहना की है?

विश्व मंच पर भारत की सराहना के पीछे एक नहीं अनेक ऐसे उपाय हैं जो नवाचार पर आधारित हैं। हमने कोविड उपचार के लिए तीन स्तर के विशेष केंद्र बनाए। मामूली लक्षणों वाले रोगियों के लिए कोविड केयर सेंटर, मध्यम गंभीरता के रोगियों के लिए कोविड हेल्थ सेंटर और गंभीर रोगियों के लिए कोविड विशेष अस्पताल। इस तरह अलग-अलग किस्म के लक्षणों के अनुरूप अधिकतम क्लीनिकल केयर प्रदान की जा रही है। इस नवाचार रणनीति से हम बेहतर प्रबंधन कर रहे हैं।

दवा और टीका बनाने के लिए क्या प्रयास हो रहे हैं?

जैव प्रौद्योगिकी विभाग और जैव प्रौद्योगिकी उद्योग अनुसंधान सहायता परिषद (बीआईआरएसी) ने वैक्सीन, दवाएं और प्रौद्योगिकियों के विकास के लिए 16 परियोजनाओं की पहचान की है। इन 16 अनुसंधान परियाजनाओं में टीका बनाने की दो परियोजनाएं भी शामिल हैं। इसके अलावा चित्रा तिरूनल इंस्टीट्यूट फॉर मेडिकल साइंसेज एंड टेक्नोलॉजी ने कम लागत की जांच का किट विकसित किया है। इससे 2 घंटे में कोविड 19 की पुष्टि की जा सकती है।

लॉकडाउन खत्म होने के बाद लोगों को किस प्रकार की सावधानियां बरतनी होंगी?

लॉकडाउन इसलिए लगाया गया क्योंकि कोरोना हमारा सबसे बड़ा शत्रु बना हुआ है। शत्रु जब पराजित होगा तो उसके बाद भी शत्रु का कुछ न कुछ दुष्प्रभाव बना रहेगा। हमें साधारण सावधानियों जैसे कि आपसी दूरी, हाथ धोने और श्वांस लेने के तरीकों का पालन करना पड़ेगा और इन्हें अपनी आदत में शामिल करना होगा।

हार्वर्ड विवि ने कहा है कि 2022 तक सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करना पड़ेगा, आपको क्या लगता है?

सोशल डिस्टेंसिंग तो स्वास्थ्य की सुरक्षा की मजबूत दीवार है। इसका पालन करने में कोई बुराई नहीं है। अब तो विश्व में काफी लोग हैंड शेक करने के बजाय भारतीय परंपरा के अनुसार नमस्कार कर रहे हैं। दो लोगों के बीच पर्याप्त दूरी न केवल कोविड-19 के प्रभाव को रोकने के लिए जरूरी है अपितु ऐसा करने से आप अप्रत्यक्ष धूम्रपान करने वालों के द्वारा निष्क्रिय धूम्रपान दुष्प्रभाव से भी बच सकते हैं। किसी दूसरे संक्रामक रोग से भी बच सकते हैं।

कोरोना के भारतीयों में संक्रमण को लेकर क्या कोई विशिष्ट शोध कराया है, क्या गर्मी बढने से संक्रमण कम होगा?

कोरोना का हमारे देश पर भी दुनिया की तरह प्रहार है। हमारे विभागों में अध्ययन किया जा रहा है। जहां तक गर्मी के कारण संक्रमण में कमी आने की धारणा है, इस बारे में मैं कह सकता हूं कि यह सत्य होता तो सउदी अरब, अफ्रीका के देशों, आस्ट्रेलिया में कोरोना वार नहीं कर पाता। इसलिए यह कहना ना तो वैज्ञानिक दृष्टि से और ना ही व्यावहारिक दृष्टि से सही लगता है कि गर्मी बढ़ेगी तो कोरोना अपनी गुफा में लौट जाएगा। 

क्या कोरोना के खिलाफ लड़ाई में राज्यों का सहयोग मिल रहा है?

आप राज्यों के सहयोग की बात कर रहे हैं, हमें तो देश के कोने कोने से, या यूं कहिए कि हर व्यक्ति से सहयोग मिल रहा है। इस सहयोग के बल पर ही हम कोरोना की कमर तोड़ने का प्रयास कर रहे हैं। हम चाहते हैं कि देश में हालात शीघ्र सामान्य हों। हम सबकी यही आशा है। सभी राज्यों से अपील है कि वे अपने पास उपलब्ध सभी जानकारियों की सूचना हमें पारदर्शी ढंग से देते रहें। सभी राज्यों के स्वास्थ्य मंत्रियों एवं अधिकारियों से हम पूरी तरह से संपर्क में हैं।