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हाथरस कांड पर राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग गंभीर, UP सरकार और DGP को नोटिस, 4 सप्ताह में मांगा जवाब

उत्तर प्रदेश के हाथरस में दलित लड़की के साथ हैवानियत की घटना पर पूरे देश में आक्रोश है। हाथरस की बेटी से गैंगरेप और मौत मामले पर राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने एक्शन लिया है। राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग...

Shankar Pandit पीटीआई, नई दिल्लीThu, 1 Oct 2020 06:42 AM
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उत्तर प्रदेश के हाथरस में दलित लड़की के साथ हैवानियत की घटना पर पूरे देश में आक्रोश है। हाथरस की बेटी से गैंगरेप और मौत मामले पर राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने एक्शन लिया है। राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने उत्तर प्रदेश सरकार, सूबे के पुलिस मुखिया को इस मामले में नोटिस जारी किया है। आयोग ने इस मामले में जवाब दाखिल करने के लिए महज चार सप्ताह का वक्त दिया है। बुधवार को अधिकारियों ने यह जानकारी दी। 

19 साल की दलित लड़की के साथ कुछ दिनों पहले गैंगरेप की घटना हुई थी, उसकी जीभ काट दी गई थी और उसकी रीढ़ की हड्डियां तोड़ दी गई थीं। जिसके बाद वह दिल्ली के सफदरजंग अस्पताल में जिंदगी मौत से जूझ रही थी। करीब 15 दिनों बाद मंगलवार को पीड़िता की मौत हो गई। 

आयोग द्वारा जारी बयान में कहा गया है, 'राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने हाथरस जिले में दलित जाति से आने वाली 19 साल की लड़की से हैवानियत और गैंगरेप मामले में स्वत: संज्ञान लिया है।' मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो पीड़िता 14 सितंबर को लापता हो गई थी और 22 सितंबर को वह बुरी तरह से घायल अवस्था में मिली थी। उसका गैंगरेप हुआ था। 

अधिकारियों ने कहा कि आयोग ने राज्य सरकार के मुख्य सचिव और उत्तर प्रदेश के पुलिस महानिदेशक को नोटिस भेजे हैं। 14 सितंबर को पीड़िता अपनी मां के साथ खेतों में गई थी और कुछ ही समय बाद लापता हो गई थी। बाद में जब वह मिली तो वह बुरी तरह घायल थी, उसे पीटा गया था, प्रताड़ित किया गया था, उसकी जीभ काट ली गई थी। इतना ही नहीं, आरोपियों ने उसका गला घोंटने का प्रयास किया।

इसके बाद उसे सबसे पहले अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी के जवाहर लाल नेहरू मेडिकल कॉलेज और अस्पताल में भर्ती कराया गया, बाद में उसे दिल्ली के सफदरजंग अस्पताल में रेफर किया गया। 

राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने पाया कि अनुसूचित जाति समुदाय की युवती का यौन उत्पीड़न हुआ और उसके साथ बर्बरता की गई थी। आयोग ने कहा, 'यह स्पष्ट है कि पुलिस पीड़िता को खोजने और बचाने के लिए समय पर कार्रवाई करने में सक्षम नहीं थी, जिसके कारण उसे गंभीर क्रूरता के शिकार होने से नहीं बचाया जा सका।'

आयोग ने कहा कि जिस तरह से अपराधियों ने इस वीभत्स घटना को अंजाम दिया है, उससे पता चलता है कि उनके मन में कानून का कोई डर नहीं था। परिवार को एक अपूरणीय क्षति हुई है। यही नहीं, परिवार ने भी आरोप लगाया है कि पुलिस ने जबरन पीड़िता के शव का दाह-संस्कार किया। हालांकि, पुलिस का कहना है कि परिवार की मर्जी के साथ ऐसा हुआ। 

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