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हरियाणा: दुष्यंत के विधायक टूटे तो निर्दलीय भी छोड़ सकते हैं खट्टर का साथ, अविश्वास प्रस्ताव लाने की तैयारी में कांग्रेस

कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों के आंदोलन के बीच कांग्रेस की नजर हरियाणा पर है। हरियाणा में भाजपा सरकार पर दबाव बढ़ता जा रहा है। मुख्यमंत्री मनोहर लाल सरकार का समर्थन कर रही जननायक जनता पार्टी (जजपा)...

हरियाणा: दुष्यंत के विधायक टूटे तो निर्दलीय भी छोड़ सकते हैं खट्टर का साथ, अविश्वास प्रस्ताव लाने की तैयारी में कांग्रेस
विशेष संवाददाता, हिन्दुस्तान,नई दिल्ली।Wed, 13 Jan 2021 07:26 AM
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कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों के आंदोलन के बीच कांग्रेस की नजर हरियाणा पर है। हरियाणा में भाजपा सरकार पर दबाव बढ़ता जा रहा है। मुख्यमंत्री मनोहर लाल सरकार का समर्थन कर रही जननायक जनता पार्टी (जजपा) और कई निर्दलीय विधायक इन कानूनों के खिलाफ हैं। वह किसानों की कानून वापस लेने की मांग के साथ हैं। यही वजह है कि मुख्यमंत्री मनोहर लाल और उपमुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला ने केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह से मुलाकात की है।

हरियाणा से ताल्लुक रखने वाले कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता ने कहा कि प्रदेश में भाजपा सरकार की राह आसान नहीं है। जननायक जनता पार्टी के अध्यक्ष के तौर पर दुष्यंत चौटाला ने इस मुद्दे पर सख्त रुख नहीं अपनाया, तो कई विधायक उनके खिलाफ जा सकते हैं। क्योंकि जजपा को ग्रामीण क्षेत्रों से समर्थन मिला था। ऐसे में सरकार में बने रहने के लिए दुष्यंत चौटाला किसानों के हितों की अनदेखी करते हैं, तो उन्हें अपने विधायकों को एकजुट रखना मु्श्किल होगा।

कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता ने कहा कि जजपा के कुछ विधायक अपनी पार्टी के खिलाफ रुख अपनाते हैं, तो निर्दलीय विधायक भी पाला बदल सकते हैं। हरियाणा में मनोहर लाल सरकार को जजपा के 10 और सात निर्दलीय विधायकों का समर्थन हासिल है। इंडियन नेशनल लोकदल के नेता अभय सिंह चौटाला के किसानों के समर्थन में विधानसभा से इस्तीफा देने के ऐलान से भी उपमुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला पर दबाव बढ़ा है। ऐसे में पार्टी की नजर जजपा पर है।

अविश्वास प्रस्ताव लाने की तैयारी: पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र्र सिंह हुड्डा पहले ही राज्य सरकार के खिलाफ विधानसभा में अविश्वास प्रस्ताव पेश करने का ऐलान कर चुके हैं। कांग्रेस का मानना है कि दुष्यंत चौटाला सरकार का साथ नहीं छोड़ेंगे, ऐसे में उनके विधायक बगावत का रास्ता अपना सकते हैं। अविश्वास प्रस्ताव इसी रणनीति का हिस्सा है, ताकि किसानों के सामने दूध का दूध और पानी का पानी किया जा सके।

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