नई कंपनियों में विदेशी निवेश आसान बनाने की कवायद, यूरोपीय मॉडल अपनाने की तैयारी
सरकार स्टार्टअप के जरिये रोजगार बढ़ाने की तैयारी कर रही है। जल्द ही स्टार्टअप में विदेशी निवेश का रास्ता आसान करने और रोजगार बढ़ाने के लिए नई नीति का ऐलान हो सकता है। सूत्रों ने हमारे...
सरकार स्टार्टअप के जरिये रोजगार बढ़ाने की तैयारी कर रही है। जल्द ही स्टार्टअप में विदेशी निवेश का रास्ता आसान करने और रोजगार बढ़ाने के लिए नई नीति का ऐलान हो सकता है।
सूत्रों ने हमारे सहयोगी अखबार 'हिन्दुस्तान' को बताया कि सरकार की नई नीति के तहत बड़ी हिस्सेदारी बेचने के बावजूद स्टार्टअप के प्रमोटर को अपना मालिकाना हक खोने का डर नहीं रहेगा। सरकार जिस नए तरीके पर काम कर रही है, उसके लिए एक नया कानून बनाया जाएगा। नए कानून में एक ऐसा फ्रेमवर्क तैयार किया जा रहा है। इस नई नीति के जरिये विदेशी निवेश करने वालों का स्टार्टअप कंपनी पर सीमित नियंत्रण रहेगा। इससे देश के भीतर ही नई कंपनियों में रोजगार के ज्यादा मौके पैदा होंगे।
नए कानून के तहत स्टार्टअप के प्रमोटर के पास हिस्सेदारी भले ही कम हो जाए, लेकिन मालिकाना हक पूरा रहेगा। सरकार का मानना है कि ऐसे कदम से स्टार्टअप के साथ साथ वेंचर कैपिटल फर्म को भी फायदा होगा। वो निवेश की सीमा बढ़ा कर ज्यादा मुनाफा कमा सकते हैं। हालांकि सरकार इस निवेश की समयसीमा एक दायरे में बांधने के हक में है और एक तय समय सीमा तक निवेश करना जरूरी करने का प्रावधान कर रही है। हाल ही में इस मुद्दे पर संबंधित मंत्रालयों के अधिकारियों के साथ वित्त मंत्रालय में एक अहम बैठक हुई थी, जिसमें ये फैसला लिया गया है।
एफडीआई के बाद भी देसी कंपनी के पास नियंत्रण रहेगा
मौजूदा नियमों में इक्विटी के जरिए एक तय सीमा से ज्यादा निवेश के बाद निवेशक को कंपनी में प्रबंधकीय नियंत्रण यानी मैनेजमेंट कंट्रोल देना होता है, लेकिन इस नई पॉलिसी में मैनेजमेंट कंट्रोल स्टार्टअप शुरू करने वाले के पास ही रहेगा।
यूरोपीय मॉडल पर काम
भारत अमेरिका और यूरोप का मॉडल अपनाने की तैयारी में है। ताकि स्टार्टअप देश में ही रोजगार पैदा करते रहें। अक्सर जब बड़ी कंपनियां छोटे स्टार्टअप को खरीद लेती हैं या प्रबंधकीय नियंत्रण पा लेती हैं, तो धीरे-धीरे उसका अस्तित्व ही खतरे में पड़ जाता है।