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देश के सभी कैंट बोर्डों के अस्तित्व पर संकट, खत्म करने की तैयारी

देश के सभी कैंट बोर्डों के अस्तित्व पर संकट के बादल मंडराने लगे हैं। सेना ने कैंट बोर्डों को बंद करने की सिफारिश की है। इस पर रक्षा मंत्रालय ने पूर्व आईएएस अफसर सुमित बॉस के नेतृत्व में समिति का गठन...

देश के सभी कैंट बोर्डों के अस्तित्व पर संकट, खत्म करने की तैयारी
महेश्वर प्रसाद सिंह ,देहरादून।Sat, 29 Dec 2018 04:26 AM
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देश के सभी कैंट बोर्डों के अस्तित्व पर संकट के बादल मंडराने लगे हैं। सेना ने कैंट बोर्डों को बंद करने की सिफारिश की है। इस पर रक्षा मंत्रालय ने पूर्व आईएएस अफसर सुमित बॉस के नेतृत्व में समिति का गठन किया है। ये समिति सभी कैंटों का रेवेन्यू जेनरेशन सहित अन्य गतिविधियों का सर्वे करके मंत्रालय को रिपोर्ट सौंपेगी। रिपोर्ट के उपरांत मंत्रालय यह निर्णय करेगा कि कैंट बोर्डों को बंद करना है कि नहीं। 

सूत्रों के अनुसार, कुछ माह पहले सेना ने अंदरखाने एक सर्वे रिपोर्ट तैयार की। इस रिपोर्ट के अनुसार रक्षा मंत्रालय ने देश के 62 कैंट बोर्ड में रह रहे सिविलियन के ऊपर करीब चार सौ सत्तर करोड़ रुपये प्रतिवर्ष खर्च करती है। हाल ही में रक्षा भवन में हुई बैठक में सेना ने इस प्रस्ताव को रखते हुए अपना तर्क दिया। सैन्य अफसरों ने कहा कि उनका सिविल से संपर्क कम ही रहता है। ऐसे में सिविल की सुरक्षा व बजट को देखते हुए इसे बाहर किया जाए, ताकि इस बजट का सही उपयोग सेना अपने गतिविधियों में खर्च कर सके। बैठक में हुई इस विषय पर चर्चा के बाद एक समिति का गठन किया गया। ये समिति सभी कैंट बोर्डों की रिपोर्ट तैयार करेगी। इस रिपोर्ट के आधार पर रक्षा मंत्रालय कोई अहम फैसला ले सकता है। 

स्टेशन हेड क्वार्टर और एमईएस में मर्ज होंगे कर्मचारी

अगर कैंट बोर्ड बंद करने की नौबत आई तो यहां के कर्मचारियों को स्टेशन हेड क्वार्टर और एमईएस डिपार्टमेंट में मर्ज किया जाएगा। वहीं संविदा और आउटसोर्स से कार्य कर रहे कर्मचारियों के लिए परेशानियां बढ़ सकती हैं। हालांकि इस प्रक्रिया में लंबा वक्त लग सकता है। 

जमीन ट्रांसफर सबसे बड़ा रोड़ा

कैंट बोर्डों को खत्म करने में सबसे बड़ा रोड़ा जमीन ट्रांसफर का है। क्योंकि कई ऐसे कैंटोनमेंट बोर्ड हैं, जहां सिविल के लोग डिफेंस की जमीन पर रहते हैं। ऐसे में इन लोगों को सैन्य क्षेत्र से बाहर करने में जमीन ट्रांसफर की समस्या सबसे ज्यादा होगी। 

चार सौ सत्तर करोड़ प्रतिवर्ष सिविल के लोगों पर खर्चा

जानकारी के अनुसार रक्षा मंत्रालय प्रतिवर्ष करीब चार सौ सत्तर करोड़ रुपये सिविल क्षेत्र में रह रहे लोगों के लिए खर्चा करता है। ऐसे में अगर इन लोगों को कैंट बोर्ड खत्म करते हुए बाहर किया जाएगा तो सेना इस बजट को अन्य मदों में खर्च करेगी। देश में कुल 62 कैंट बोर्ड हैं। 

कमेटी में चेयरमैन के अलावा हैं छह सदस्य

सूत्रों के अनुसार, कमेटी में पूर्व आईएएस अफसर सुमित बॉस को चेयरमैन बनाया गया है। लोकसभा के पूर्व महासचिव टीके विश्वनाथन, रिटायर्ड ले़ जनरल अमित शर्मा, एमओडी के संयुक्त सचिव जयंत सिन्हा, पीसीडीए (एयर फोर्स) देविका रघुवंशी, प्रोफेसर मधुमिता राय, एडिशनल डीजी राकेश मित्तल सदस्य हैं। 

इन कैंट बोर्ड क्षेत्रों का हो चुका है सर्वे

आगरा एवं पुणे कैंट बोर्ड क्षेत्र का सर्वे कमेटी ने पूरी कर लिया है। जबकि अगले सप्ताह कमेटी लखनऊ कैंट जा रही है। सूत्रों के अनुसार पांच जनवरी को डीजी कार्यालय में कमेटी की वीडियो कान्फ्रेंस होनी है। इसके बाद ये कमेटी उत्तराखंड आ सकती है। 

जहां तक पता चला है कि कैंट बोर्डों के मुद्दों पर मंथन के लिए कमेटी गठित की जा चुकी है। उसने अपना सर्वे का काम शुरू कर दिया है। ये कमेटी कैंटोनमेंट बोर्डों की भू सम्पत्तियों, उसके कर प्रावधान और उनसे होने वाले आय-व्यय की जानकारी जुटा रही है। 
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