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सख्ती : कंपनियों के 21 लाख फर्जी डायरेक्टर्स पर शिकंजा

कंपनियों में फर्जी डायरेक्टर्स की समस्या से परेशान सरकार आने वाले दिनों में इस पर नकेल कसने को लेकर एक बड़ा कदम उठाने जा रही है।कॉर्पोरेट मामलों के मंत्रालय के सूत्रों की माने तो जल्द ही कंपनियो में...

सख्ती : कंपनियों के 21 लाख फर्जी डायरेक्टर्स पर शिकंजा
नई दिल्ली, सौरभ शुक्लThu, 20 Sep 2018 04:56 AM
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कंपनियों में फर्जी डायरेक्टर्स की समस्या से परेशान सरकार आने वाले दिनों में इस पर नकेल कसने को लेकर एक बड़ा कदम उठाने जा रही है।कॉर्पोरेट मामलों के मंत्रालय के सूत्रों की माने तो जल्द ही कंपनियो में डायरेक्टरों के डीआईएन रजिस्ट्रेशन के लिए आधार नंबर को अनिवार्य कर दिया जाएगा। समय-समय पर जांच के दौरान ये पाया जाता रहा है कि ऐसे तमाम लोगों को कंपनियों में डायरेक्टर बना दिया जाता है जिनका कंपनी से कोई लेना देना नहीं होता है और उनके नाम के आधार पर फर्जीवाड़ा चलता रहता है। इसी सिस्टम को सुधारने के मसकद से और असली-नकली डायरेक्टरों का फर्क देखने के लिए सरकार ने जून महीने में सभी डायरेक्टरों के केवाईसी का आदेश जारी किया था। 

केवल 12 लाख निदेशकों ने केवाईसी कराया 

केवाईसी कराने के लिए डायरेक्टरों को 15 सितंबर तक का समय दिया गया था। 15 सितंबर तक 12 लाख डायरेक्टरों ने ही अपना केवाईसी कराया है जबकि बाकी 21 लाख डायरेक्टरों ने अभी तक केवाईसी नहीं कराया है।

अवधि बढ़ाने की मांग की

हालांकि इंस्टीट्यूट ऑफ चार्टर्ड अकाउंट ऑफ इंडिया और दूसरी कॉर्पोरेट बॉडीज ने सरकार को इस बारे में चिट्ठी लिखी है कि 15 सितंबर के करीब वेबसाइट ठीक ढंग से नहीं चल रही है जिसके चलते केवाईसी की अवधि बढ़ाई जाए। हालांकि सरकारी सूत्रों ने इस बात की पुष्टि की है इस दौरान वेबसाइट पूरी तरह ठीक थी और आखिरी दिनों में 2 लाख से ज्यादा डायरेक्टरों ने केवाईसी पूरा किया है। यही नहीं सूत्रों ने ‘हिन्दुस्तान’ को ये भी बताया है कि सरकार फिलहाल तारीख बढ़ाने या पेनाल्टी घटाने जैसे विषयों पर नहीं सोच रही है। आने वाले दिनों में सरकार पेनाल्टी के जरिये केवाईसी करने वालों की समीक्षा करेगी। केवाईसी दाखिल करने वाले लोगों की संख्या को देखने के बाद ही मौजूदा स्कीम को आगे जारी रखने पर फैसला होगा। 

फिलहाल पासपोर्ट पर भी मिल जाता है डीआईएन 

पैन कार्ड, पासपोर्ट और दूसरे दस्तावेजों के जरिये भी डीआईएन के लिए रजिस्ट्रेशन हो जाता है। सरकार चाहती है कि सभी डायरेक्टरों की बाकायदा ट्र्रैंकग रहे, जिससे पता चले कि कहीं किसी फर्जी व्यक्ति को तो कंपनी में डायरेक्टर नहीं बनाया जा रहा है।

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