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यहां डाल दो लूटे हुए हथियार, कोई सवाल नहीं पूछेगा; मणिपुर में BJP विधायक ने लगाया ड्रॉप बॉक्स

संयुक्त तलाशी अभियान के दौरान कम से कम 35 हथियार और युद्धक सामग्री बरामद की गई। मणिपुर में एक महीने पहले भड़की जातीय हिंसा में कम से कम 100 लोगों की जान चली गई थी और 310 अन्य घायल हो गए थे।

यहां डाल दो लूटे हुए हथियार, कोई सवाल नहीं पूछेगा; मणिपुर में BJP विधायक ने लगाया ड्रॉप बॉक्स
Amit Kumarलाइव हिन्दुस्तान,इम्फालSat, 10 Jun 2023 05:11 PM
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मणिपुर के पूर्वी इंफाल जिले में एक भाजपा विधायक के घर के बाहर लगे बड़े से ड्रॉप बॉक्स ने सबका ध्यान अपनी ओर खींचा है। इस बॉक्स को मणिपुर राइफल्स और आईआरबीएन के थानों व शस्त्रागार से लूटे गए हथियारों को जमा करने के लिए लगाया गया है। सुरक्षा बलों से छीने गए हथियारों को वापस करने की सुविधा देने के लिए भारतीय जनता पार्टी के विधायक एल सुसिंद्रो मेइती ने अपने घर पर ‘ड्रॉपबॉक्स’ स्थापित किया है। उन्होंने कहा कि हथियार जमा करने वाले व्यक्ति की पहचान उजागर नहीं हो।

हथियार जमा करने के लिए आने वाले किसी भी व्यक्ति से न तो पूछताछ की जाएगी और न ही उसे उसकी पहचान बताने के लिए कहा जाएगा। इंफाल ईस्ट सीट से विधायक सुसिंद्रो के घर के बाहर एक बड़ा पोस्टर लगा है। इस ड्रॉपबॉक्स पर अंग्रेजी और मेइती में लिखा है, "कृपया अपने लूटे हुए हथियार यहां डाल दें। बेझिझक होकर ऐसा करें।" इस विज्ञापन के नीचे लिखा है-ऐसा करने में खुद को स्वतंत्र महसूस कीजिए, यह एक संकेत है कि उनसे सवाल नहीं पूछे जाएंगे कि हथियार उन्हें कैसे मिले।

इस पोस्टर का असर यह हुआ कि लोग अपने हथियार डाल रहे हैं। समाचार एजेंसी पीटीआई के संवाददाता जब वहां पहुंचे तो वास्तव में ड्रॉपबॉक्स में कुछ स्वचालित राइफल और गोला-बारूद समेत कुछ अन्य हथियार मौजूद थे। मई की शुरुआत में मणिपुर राज्य में जातीय हिंसा भड़कने पर पुलिस थानों से बड़ी संख्या में हथियार लूट लिए गए थे। इसके बाद से मुख्यमंत्री एन. बीरेन सिंह और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह, दोनों ने ही लोगों से हथियार सौंपने की अपील की है।

समुदायों की सुरक्षा और शांति स्थापना के लिए राज्य पुलिस के सहयोग से सेना और अर्धसैनिक बल तलाशी अभियान चला रहे हैं। एक अधिकारी ने कहा कि शुक्रवार को सुरक्षा बलों द्वारा संयुक्त तलाशी अभियान के दौरान कम से कम 35 हथियार और युद्धक सामग्री बरामद की गई। मणिपुर में एक महीने पहले भड़की जातीय हिंसा में कम से कम 100 लोगों की जान चली गई थी और 310 अन्य घायल हो गए थे।

फिलहाल कुल 37,450 लोग 272 राहत शिविरों में शरण लिए हुए हैं। अनुसूचित जनजाति (एसटी) का दर्जा देने की मेइती समुदाय की मांग के विरोध में पहाड़ी जिलों में 'जनजातीय एकजुटता मार्च' के आयोजन के बाद पहली बार तीन मई को हिंसक झड़पें हुईं थीं। मणिपुर की आबादी में मेइती समुदाय का हिस्सा 53 फीसदी है जो ज्यादातर इंफाल घाटी में रहते हैं। इसके विपरीत नगा और कुकी समुदाय का राज्य की कुल आबादी में 40 फीसदी योगदान है और ये पर्वतीय जिलों में रहते हैं।