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पूर्वी लद्दाख में चालबाजी दिखाने वाले चीन के लिए झटका है हिंद-प्रशांत रणनीति

पूर्वी लद्दाख में कई महीनों से चालबाजी दिखाने और विभिन्न मुद्दों पर दुनियाभर के अहम देशों के निशाने पर रहने वाले चीन को एक और झटका लगा है। जर्मनी ने कानून के शासन को बढ़ावा देने के लिए...

पूर्वी लद्दाख में चालबाजी दिखाने वाले चीन के लिए झटका है हिंद-प्रशांत रणनीति
नई दिल्ली, एएनआईMon, 14 Sep 2020 10:37 PM
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पूर्वी लद्दाख में कई महीनों से चालबाजी दिखाने और विभिन्न मुद्दों पर दुनियाभर के अहम देशों के निशाने पर रहने वाले चीन को एक और झटका लगा है। जर्मनी ने कानून के शासन को बढ़ावा देने के लिए हिंद-प्रशांत क्षेत्र में लोकतांत्रिक देशों के साथ मजबूत भागीदारी बनाए रखने पर ध्यान केंद्रित करने का फैसला किया है। निक्केई एशियन रिव्यू की रिपोर्ट के अनुसार, मानवाधिकारों पर चीन के ट्रैक रिकॉर्ड और एशियाई देशों पर उसकी आर्थिक निर्भरता पर यूरोप के चिंता व्यक्त किए जाने के बाद ही बर्लिन की हिंद-प्रशांत रणनीति सामने आई है। 

जर्मनी के विदेश मंत्री हेइको मास ने 2 सितंबर को कहा था कि हम भविष्य की व्यवस्था में मदद करना चाहते हैं, इसीलिए यह नियमों और अंतरराष्ट्रीय सहयोग पर आधारित है, नोकि मजबूत कानून के आधार पर। इसी वजह से हमने उन देशों के साथ सहयोग तेज किया है, जो हमारे लोकतांत्रिक और उदारवादी मूल्यों को साझा करते हैं।

बता दें कि दो सितंबर को ही जर्मनी ने हिंद-प्रशांत रणनीति को अपनाया था। इसके साथ ही इस क्षेत्र में कानून के शासन और खुले बाजारों को बढ़ावा देने के महत्व पर बल दिया था। हिंद-प्रशांत रणनीति का भारत, जापान, ऑस्ट्रेलिया और आसियान सदस्यों सहित अन्य देशों ने समर्थन किया है। निक्केई एशियन रिव्यू के मुताबिक, चीन एशिया में जर्मनी का राजनयिक केंद्र बिंदु था, जहां जर्मन चांसलर एंजेला मर्केल लगभग हर साल देश का दौरा करती थीं। यह भी ध्यान दिया जाना चाहिए कि चीन हिंद-प्रशांत क्षेत्र के साथ जर्मनी के 50 प्रतिशत कारोबार का साझेदार है।

हालांकि, उम्मीदों के अनुसार, आर्थिक विकास ने चीनी बाजार को नहीं खोल सका। चीन में काम कर रहीं जर्मन कंपनियों को चीनी सरकार द्वारा टेक्नोलॉजी सौंपने के लिए मजबूर किया जाता रहा है। इसके अलावा, यूरोपीय संघ (ईयू) और चीन के बीच इस तरह के मुद्दों को हल करने के लिए एक निवेश संधि के संबंध में बातचीत, बीजिंग पर बर्लिन की बढ़ती आर्थिक निर्भरता के बारे में चिंताओं को जन्म दे रही है।

हॉन्गकॉन्ग में चीन के राष्ट्रीय सुरक्षा कानून और शिनजियांग में उइगर मुसलमानों के लिए कंसंट्रेशन कैंप्स को लेकर विरोध बढ़ता जा रहा था। जर्मनी की हिंद-प्रशांत रणनीति चीन को लेकर सख्त रुख अपनाती हुई दिखाई दे रही है। वहीं, जर्मनी की फर्मों ने भी व्यापार करने और चीन में अपनी बौद्धिक संपदा की रक्षा करने के बारे में चिंता व्यक्त की, खासकर चीनी उपकरण निर्माता Midea समूह द्वारा 2016 के अंत में जर्मन रोबोट निर्माता कूका के खरीदे जाने के बाद।

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