funding for Delhi riots came from Saudi Arabia and many parts of the country 'साउदी अरब और देश के कई हिस्सों से आई थी दिल्ली दंगों के लिए फंडिंग', India Hindi News - Hindustan
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'साउदी अरब और देश के कई हिस्सों से आई थी दिल्ली दंगों के लिए फंडिंग'

दिल्ली पुलिस ने अदालत में पेश प्रारंभिक जांच रिपोर्ट में कहा है कि पूर्वी दिल्ली के दंगों के लिए साउदी अरब और देश के अलग-अलग हिस्सों से मोटी रकम आई थी। पुलिस ने बुधवार को यह भी कहा कि ये दंगे अचानक...

Mrinal Sinha हेमलता कौशिक, नई दिल्लीThu, 2 July 2020 07:10 AM
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'साउदी अरब और देश के कई हिस्सों से आई थी दिल्ली दंगों के लिए फंडिंग'

दिल्ली पुलिस ने अदालत में पेश प्रारंभिक जांच रिपोर्ट में कहा है कि पूर्वी दिल्ली के दंगों के लिए साउदी अरब और देश के अलग-अलग हिस्सों से मोटी रकम आई थी। पुलिस ने बुधवार को यह भी कहा कि ये दंगे अचानक नहीं भड़के थे। बल्कि दिल्ली में जान माल की अधिक से अधिक हानि के लिए खूब तैयारी की गई थी।

दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल ने अदालत से आग्रह किया कि उन्हें इन दंगों की जड़ों तक पहुंचने के लिए और आरोप पत्र दाखिल करने के लिए वक्त दिया जाए। पटियाला हाउस स्थित अतिरिक्त सत्र न्यायधीश धर्मेंद्र राणा की अदालत में पुलिस की तरफ से इन दंगों के तीन महत्वपूर्ण किरदारों को लेकर अहम जानकारी दी गई थी। इनमें आम आदमी पार्टी से निलंबित निगम पार्षद ताहिर हुसैन, जामिया मिल्लिया इस्लामिया के छात्र नेता मीरान हैदर और गुलिफ्ता खातून के नाम शामिल हैं। पुलिस का कहना था कि ये तीनों मोहरा हैं जिन्हें दंगों में अधिक नुकसान पहुंचाने के लिए तैयार किया गया। जड़ तक पहुंचना बाकी है। पुलिस ने कहा कि लॉकडाउन के कारण जांच में देरी हुई है।

दिल्ली पुलिस ने अदालत में जो प्रारंभिक जांच रिपोर्ट दी है, उसके अनुसार गुलिफ्सा खातून ने सोशल साइट पर जैसे फेसबुक , ट्विटर व व्हाट्सएप पर देश के खिलाफ समुदाय विशेष को जुटाने का मोर्चा संभाला था।21 जगहों को बहुत पहले प्रदर्शन की तैयारी कर ली गई थी। बता दें कि इस साल की शुरुआत में हुए दिल्ली दंगों में  53 लोगों की मौत हो गई थी और 200 लोग घायल हुए थे। इसके बाद 700 से अधिक मुकदमे दिल्ली हिंसा मामले में पुलिस ने दर्ज किए। कुल 1300 लोगों को पुलिस गिरफ्तार कर चुकी है। इनमें से 700 लोगों को पुलिस ने लॉकडाउन के दौरान गिरफ्तार किया।

गौरतलब है कि नागरिकता कानून के समर्थकों और विरोधियों के बीच संघर्ष के बाद 24 फरवरी को उत्तर-पूर्वी दिल्ली के जाफराबाद, मौजपुर, बाबरपुर, घोंडा, चांदबाग, शिव विहार, भजनपुरा, यमुना विहार इलाकों में सांप्रदायिक दंगे भड़क गए थे। इस हिंसा में कम से कम 53 लोगों की मौत हो गई थी और 200 से अधिक लोग घायल हो गए थे। साथ ही सरकारी और निजी संपत्ति को भी काफी नुकसान पहुंचा था। उग्र भीड़ ने मकानों, दुकानों, वाहनों, एक पेट्रोल पम्प को फूंक दिया था और स्थानीय लोगों तथा पुलिस कर्मियों पर पथराव किया।

इस दौरान राजस्थान के सीकर के रहने वाले दिल्ली पुलिस के हेड कांस्टेबल रतन लाल की 24 फरवरी को गोकलपुरी में हुई हिंसा के दौरान गोली लगने से मौत हो गई थी और डीसीपी और एसीपी सहित कई पुलिसकर्मी गंभीर रूप से घायल गए थे। साथ ही आईबी अफसर अंकित शर्मा की हत्या करने के बाद उनकी लाश नाले में फेंक दी गई थी।