देश में कुछ कलाकार ऐसे हैं जो नई पीढ़ी को अपनी कला के माध्यम से गांधी का अर्थ सिखा रहे हैं। इनमें से कुछ स्टांप के माध्यम से, कुछ मूर्तियों के माध्यम से तो कुछ कलाकार अपनी कलाकृतियों के माध्यम से लोगों को गांधी का मर्म बता रहे हैं।
राम वी सुतार: बापू की सबसे ज्यादा प्रतिमाएं बनाईं
नोएडा में रह रहे 92 वर्षीय राम वी सुतार ने गांधी की सबसे ज्यादा प्रतिमा बनाई हैं। यही नहीं विदेशों में भी गांधी की सबसे अधिक प्रतिमा बनाने का रिकॉर्ड उनके नाम है। वह महाराष्ट्र के धुलिया से ताल्लुक रखते हैं।
सरकार ने विदेशों को उपहार दिया
संसद भवन में गांधी की प्रतिमा, देश की सबसे ऊंची पटना के गांधी मैदान में खड़ी गांधी की चालीस फुट की प्रतिमा, बेंगलुरू में बैठी हुई 27 फुट की गांधी की प्रतिमा बनाई। उन्होंने कार्डिफ, अटलांटा जैसी जगहों पर गांधी की मूर्ति बनाई है। उनकी बनाई प्रतिमाओं को भारत सरकार ने इटली, रूस, अर्जेंटीना और फ्रांस जैसे देशों को दी हैं।
- मध्य प्रदेश के गांधी सागर बांध पर 45 फुट का चंबल स्मारक बनाकर चर्चा में आए
- पंडित जवाहर लाल नेहरू ने भाखड़ा नांगल बांध में 50 फुट की प्रतिमा बनाने को कहा था
- गुजरात में सरदार पटेल की बन रही सबसे ऊंची 597 फुट की प्रतिमा वही बना रहे हैं
मैंने गांधी के विदेशी वस्तुओं का बहिष्कार करने के आंदोलन में हिस्सा लिया था लेकिन मैंने विदेशी टोपी पहनी हुई थी। बापू ने मुझे मेरी टोपी फेंकने को कहा जिसे मैंने तुरंत फेंक दिया।
सुरेंद्र राजन : फिल्मों में महात्मा गांधी बन चुके हैं
मुंबई के गोरेगांव पूर्व में स्थित एनएनपी कॉलोनी में छोटे से फ्लैट में रहने वाले 72 वर्षीय सुरेंद्र राजन 9 लघु और फीचर फिल्मों में महात्मा गांधी बन चुके हैं।
आत्मसात कर चुके
राजन की अहम फिल्मों में लीजेंड भगत सिंह, वीर सावरकर, नेताजी सुभाष चंद्र बोस-द फारगोटन हीरो शामिल हैं। वह अकेले कॉस्ट्यूम या मेकअप से गांधी नहीं बनते, बाहर और भीतर दोनों में गांधी को आत्मसात कर चुके हैं। बोल-चाल दोनों में गांधी का प्रभाव। उनकी आवाज भी महात्मा गांधी से मिलती-जुलती है।
- रघु रॉय जैसे अंतरराष्ट्रीय फोटोग्राफरों की जमात का हिस्सा रहे
- राष्ट्रीय स्तर के चित्रकारों में भी शुमार रहे, मूर्ति शिल्प में भी खासा दखल
- मध्य प्रदेश के सांस्कृतिक विभाग में विशेष कर्तव्यस्थ अधिकारी रहे, आदिवासी लोक कला परिषद के प्रथम सचिव की कमान भी संभाली
मैंने चित्रकारी, कविता, फोटोग्राफी और पर्यावरण से जुड़े कई काम किए पर साहित्य में सबसे ज्यादा आनंद आता है। गांधी का चरित्र निभाना हमेशा से चुनौतीपूर्ण होता है। आज जब लोग मुझे गांधी के तौर पर जानते हैं तो काफी खुशी होती है।
संखा सामंत : गांधी की चीजों को सहेजने का शौक
दिल्ली में रहने वाले संखा सामंत को बचपन से ही गांधी की चीजों को सहेजने का शौक रहा है। वह 1947 के बाद से गांधी पर बने करीब 40 डाक टिकटों में से करीब 14 को बना चुके हैं।
स्टांप बनाने में काफी समय लगता है
सामंत का कहना है कि उन्होंने अपने जीवन में गांधी के कई सिद्धांतों को अपनाया है। उनका कहना है कि गांधी के स्टांप बनाना हमेशा चुनौतीपूर्ण होता है। वह बताते हैं कि एक स्टांप को बनाने में एक दिन से चार माह तक का समय लगता है।
- बतौर स्टांप डिजायनर उनके खाते में कई कीर्तिमान हैं
- पहला नक्काशी वाला स्टांप, पहला खुशबू वाला स्टांप, पहला ब्रेल स्टांप, पहला खादी पर बना गांधी का स्टांप
- विवेकानंद, नेताजी सुभाष चंद्र बोस, रवींद्रनाथ टैगोर के स्टांप बनाएं
दुनिया भर में गांधी को लेकर कई स्टांप बने हैं। ऐसे में मैंने इन स्टांप को बनाते समय दृढ़ता, समर्पण, देशभक्ति, आदर्शवाद और साधारण मानवीय गुणों को दर्शाया।