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SEBI का चौंकाने वाला खुलासा, 'हिमालयी योगी के कहने पर फैसले लेती थीं NSE की पूर्व एमडी चित्रा'

भारत में अधिकतर लोग दो स्टॉक एक्सचेंजेस के बारे में जानते हैं। एक है बीएसई यानी बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज और दूसरा है एनएसई यानी नेशनल स्टॉक एक्सचेंज। जहां बीएसई सबसे पुराना स्टॉक एक्सचेंज है तो वहीं...

Amit Kumar भाषा, नई दिल्लीSat, 12 Feb 2022 03:47 PM
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भारत में अधिकतर लोग दो स्टॉक एक्सचेंजेस के बारे में जानते हैं। एक है बीएसई यानी बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज और दूसरा है एनएसई यानी नेशनल स्टॉक एक्सचेंज। जहां बीएसई सबसे पुराना स्टॉक एक्सचेंज है तो वहीं एनएसई भारत का सबसे बड़ा स्टॉक एक्सचेंज है। भारत के सबसे बड़े स्टॉक एक्सचेंज का संयुक्त बाजार पूंजीकरण करीब 4 ट्रिलियन डॉलर है। आपके ये जानकारी इसलिए बता रहे हैं क्योंकि एक ऐसा खुलासा हुआ है जो आपको हैरत में डाल सकता है। 

4 ट्रिलियन डॉलर के संयुक्त बाजार वाले स्टॉक को लेकर फैसले एक योगी के कहने पर लिए गए जिसे कभी देखा भी नहीं गया। बाजार नियामक सेबी के एक आदेश के मुताबिक एनएसई की पूर्व एमडी और सीईओ चित्रा रामकृष्ण को एक हिमालयी योगी ने प्रभावित किया था, जिसके तहत उन्होंने आनंद सुब्रमण्यम को एक्सचेंज में समूह परिचालन अधिकारी एवं प्रबंध निदेशक का सलाहकार नियुक्ति किया। रामकृष्ण और अन्य के खिलाफ शुक्रवार को पारित अपने अंतिम आदेश में सेबी ने यह खुलासा किया।

सेबी ने रामकृष्ण एवं अन्य पर जुर्माना भी लगाया। यह जुर्माना सुब्रमण्यन की नियुक्ति में प्रतिभूति अनुबंध नियमों के उल्लंघन को लेकर लगाया गया। नियामक ने यह कदम समूह के परिचालन अधिकारी और प्रबंध निदेशक (एमडी) के सलाहकार के रूप में आनंद सुब्रमण्यन की नियुक्ति में प्रतिभूति अनुबंध नियमों के उल्लंघन को लेकर लगाया है।

रामकृष्ण अप्रैल 2013 से दिसंबर 2016 तक एनएसई की एमडी एवं सीईओ थीं। वह योगी को सिरोमणि कहती थीं, जो उनके मुताबिक एक आध्यात्मिक शक्ति हैं और पिछले 20 वर्षों से व्यक्तिगत और व्यावसायिक मामलों पर उनका मार्गदर्शन कर रहे हैं।

रामकृष्ण के अनुसार यह अज्ञात व्यक्ति या योगी कथित रूप से एक आध्यात्मिक शक्ति थी, जो अपनी इच्छानुसार कहीं भी प्रकट हो सकती थी। सेबी ने अपने 190 पन्नों के आदेश में पाया कि योगी ने उन्हें सुब्रमण्यम को नियुक्त करने के लिए निर्देशित किया।

इस मामले में कार्रवाई करते हुए सेबी ने रामकृष्ण और सुब्रमण्यन के साथ ही एनएसई और उसके पूर्व प्रबंध निदेशक तथा मुख्य कार्यपालक अधिकारी रवि नारायण तथा अन्य पर भी जुर्माना लगाया।

नियामक ने रामकृष्ण पर तीन करोड़ रुपये, नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (एनएसई), नारायण और सुब्रमण्यन पर दो-दो करोड़ रुपये तथा वी आर नरसिम्हन पर छह लाख रुपये का जुर्माना लगाया। इसके साथ ही नियामक ने एनएसई को कोई भी नया उत्पाद पेश करने से छह महीने के लिये रोक दिया।

इसके अलावा, रामकृष्ण और सुब्रमण्यन को तीन साल की अवधि के लिए किसी भी बाजार ढांचागत संस्थान या सेबी के साथ पंजीकृत किसी भी मध्यस्थ के साथ जुड़ने को लेकर रोक लगायी गयी है। जबकि नारायण के लिये यह पाबंदी दो साल के लिये है।

इसके अलावा, सेबी ने एनएसई को रामकृष्ण के अतिरिक्त अवकाश के बदले भुगतान किये गये 1.54 करोड़ रुपये और 2.83 करोड़ रुपये के बोनस (डेफर्ड बोनस) को जब्त करने का भी निर्देश दिया।

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