कोरोना रोगियों में ब्लैक फंगस (म्यूकर माइकोसिस) के बढ़ते मामलों और दवा नहीं मिलने की शिकायतों के बीच सरकार ने कहा कि पांच और दवा कंपनियों को एंफोटेरेसिन बी इंजेकशन बनाने के लिए अनुमति देने का फैसला किया गया है। इसके साथ ही कुल छह लाख खुराकें आयात की जा रही हैं।
रसायन एवं उर्वरक राज्यमंत्री मनसुख मंडाविया ने ट्वीट कर कहा कि छह कंपनियां पहले से यह इंजेक्शन देश में बना रही हैं। पांच और कंपनियों एमक्योर फार्मा, नेटको, गुफिक बायोसाइंसेज, एलेंबिक फार्मा तथा लय्का फार्मा को इसके निर्माण की इजाजत दी गई है। जबकि छह कंपनियां मिलन, भारत सीरम्स, बीडीआर फार्मा, सन फार्मा, सिप्ला तथा लाइफ केयर पहले से इसका निमार्ण कर रही हैं। उन्होंने कहा कि दवा की समस्या जल्द दूर हो जाएगी।
वर्तमान में मासिक उत्पादन क्षमता 3.80 लाख
उन्होंने कहा कि जो कंपनियां पहले से बना रही हैं, उन्हें उत्पादन बढ़ाने को कहा जा चुका है तथा उन्होंने इस पर काम भी शुरू कर दिया है। मौजूदा समय में देश में इस इंजेक्शन की मासिक उत्पादन क्षमता 3.80 लाख इंजेक्शन की है। देश में अभी ब्लैक फंगस के पांच हजार से अधिक सक्रिय मरीज हैं। इस दवा के एक इंजेक्शन की कीमत करीब सात हजार रुपये है तथा एक रोगी को 50-150 इंजेक्शनों की जरूरत पड़ सकती है।
ब्लैक फंगस के इलाज के लिए 3 लाख इंजेक्शन विदेश से मंगवाए
कोरोना रोगियों में ब्लैक फंगस म्यूकरमाइकोसिस संक्रमण के बढ़ते मामलों से चिंतित सरकार ने इसके इलाज में इस्तेमाल होने वाली दवा एंफोटेरेसिन बी इंजेक्शन की उपलब्धता बढ़ाने के लिए प्रयास तेज कर दिए हैं। सरकार ने इसके तीन लाख इंजेक्शन का आयात किया है, जिसकी आपूर्ति 31 मई तक होगी। साथ ही देश में इसका उत्पादन बढ़ाकर 3.80 लाख इंजेक्शन प्रतिमाह कर दिया है।
रसायन एवं उर्वरक राज्यमंत्री मनसुख मंडाविया ने कहा कि देश में अभी ब्लैक फंगस के करीब पांच हजार सक्रिय रोगियों का पता चल चुका है। फंगस उपचार में एंफोटेरेसिन बी इंजेक्शन का इस्तेमाल किया जाता है। इसे देश में चार कंपनिया बना रही हैं। उनकी उत्पादन क्षमता को बढ़ाकर 3.80 लाख प्रतिमाह किया है। उन्हें और अधिक उत्पादन बढ़ाने को कहा गया है। यह जेनेरिक दवा है। जरूरत पड़ने पर और कंपनियां भी बना सकती हैं।