केंद्र सरकार के कृषि कानूनों के खिलाफ पंजाब और हरियाणा से आए हजारों किसानों का पिछले पांच दिनों से हल्ला बोल जारी है। देश की राजधानी दिल्ली की सीमा पर हजारों किसान पिछले पांच दिनों से धरना पर डटे हैं और आज उनके प्रदर्शन का छठ दिन है। इस बीच केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने केंद्र सरकार के तीन कृषि कानूनों के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे किसान संगठनों के नेताओं को कोविड-19 महामारी एवं सर्दी का हवाला देते हुए तीन दिसंबर की जगह आज यानी मंगलवार को बातचीत के लिए आमंत्रित किया है। केंद्रीय कृषि कानूनों के खिलाफ उनका यह धरना सोमवार को पांचवें दिन में प्रवेश कर गया। इन कानूनों के बारे में किसानों को आशंका है कि इससे न्यूनतम समर्थन मूल्य समाप्त हो जाएगा। किसानों के प्रदर्शन की वजह से सिंघु और टिकरी बॉर्डर बंद है, वहीं गाजीपुर बॉर्डर पर ठोस बैरिकेडिंग की गई।
कृषि मंत्री तोमर ने कहा, 'कोरोना वायरस महामारी एवं सर्दी को ध्यान में रखते हुये हमने किसान यूनियनों के नेताओं को तीन दिसंबर की बैठक से पहले ही चर्चा के लिये आने का न्यौता दिया है।' उन्होंने बताया कि अब यह बैठक एक दिसंबर को राष्ट्रीय राजधानी के विज्ञान भवन में दोपहर बाद तीन बजे बुलायी गयी है। उन्होंने बताया कि 13 नवंबर को हुई बैठक में शामिल सभी किसान नेताओं को इस बार भी आमंत्रित किया गया है।
इस बीच कृषि सचिव संजय अग्रवाल ने 32 किसान यूनियनों के प्रतिनिधियों को पत्र लिख कर एक दिसंबर को चर्चा के लिये आमंत्रित किया है । अग्रवाल ने जिन संगठनों को पत्र लिखा है उनमें क्रांतिकारी किसान यूनियन, जम्मुहारी किसान सभा, भारतीाय किसान सभा (दकुदा), कुल हिंद किसान सभा और पंजाब किसान यूनियन शामिल हैं। इससे पहले 13 नवंबर को हुयी बैठक बेनतीजा रही थी और केंद्रीय कृषि मंत्रालय ने किसानों को तीन दिसंबर को दूसरे दौर की बातचीत के लिये आमंत्रित किया था ताकि तीन नये कृषि कानूनों से उपजी उनकी चिंताओं का निराकरण किया जा सके ।
राष्ट्रीय राजधानी की सीमाओं के निकट और अधिक प्रदर्शनकारी पहुंच रहे हैं और आंदोलन तेज होता प्रतीत हो रहा है। इसके मद्देनजर दिल्ली पुलिस ने सुरक्षा बंदोबस्त बढ़ा दिए हैं और हरियाणा तथा उत्तर प्रदेश से राष्ट्रीय राजधानी में प्रवेश के सभी बिंदुओं पर अवरोधक लगाए गए हैं। किसानों ने रविवार को घोषणा की थी कि वे आने वाले दिनों में दिल्ली में प्रवेश के पांच रास्तों को जाम करेंगे। वहीं, किसानों ने इन कानूनों पर चर्चा करने के लिये केंद्र सरकार की ओर से रखी गई शर्त को मानने से मना कर दिया है और कहा है कि वे निर्णायक लड़ाई के लिए आए हैं। उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से अपील की है कि वे उनके 'मन की बात' को सुनें।
सिंघु और टीकरी बॉर्डर दोनों जगह शांतिपूर्ण ढंग से प्रदर्शन जारी है। यहां पंजाब और हरियाणा के किसान लगातार पांचवें दिन जमा हैं। पड़ोसी राज्य उत्तर प्रदेश से और किसानों के पहुंचने से गाजीपुर सीमा पर प्रदर्शनकारियों की संख्या बढ़ गई है। सिंघु बॉर्डर पर एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए प्रदर्शनकारी किसानों के प्रतिनिधियों ने कहा कि जब तक उनकी मांगें मान नहीं ली जाती, तब तक वे प्रदर्शन करेंगे।
दिल्ली पुलिस ने कहा कि उसने सुरक्षा कर्मियों की तैनाती बढ़ा दी है और रास्तों में कई स्तर के अवरोधक लगाए हैं। इस बीच किसानों के आंदोलन की वजह से दिल्ली के कई हिस्सों में यातायात प्रभावित हुआ और सड़कों पर जाम लगा रहा। यहां ध्यान देने वाली बात है कि किसानों ने दिल्ली में अभी तक प्रवेश नहीं किया है और वह सीमा पर ही डटे हुए हैं। उनका कहना है कि वे 3 दिसंबर को ही अपनी अगली रणनीति तय करेंगे। फिलहाल, आज सरकार ने उन्हें बातचीत के लिए बुलाया है।
गौरतलब है कि इससे पहले केन्द्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने किसान संगठनों से बुराड़ी मैदान पहुंचने की अपील की थी और कहा था कि वहां पहुंचते ही केन्द्रीय मंत्रियों का एक उच्चस्तरीय दल उनसे बातचीत करेगा। किसानों के 30 से अधिक संगठनों की रविवार को हुई बैठक में किसानों के बुराड़ी मैदान पहुंचने पर तीन दिसंबर की तय तारीख से पहले वार्ता की केन्द्रीय गृह मंत्री अमित शाह की पेशकश पर बातचीत की गई, लेकिन हजारों प्रदर्शनकारियों ने इस प्रस्ताव को स्वीकारने से मना कर दिया और सर्दी में एक और रात सिंघू तथा टीकरी बार्डरों पर डटे रहने की बात कही। उनके प्रतिनिधियों ने कहा था कि उन्हें शाह की यह शर्त स्वीकार नहीं है कि वे प्रदर्शन स्थल बदल दें। उन्होंने दावा किया था कि बुराड़ी मैदान एक 'खुली जेल' है।