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इंटरव्यू: विपक्ष को महत्वाकांक्षाएं एक नहीं होने देंगी-नितिन गडकरी

केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी की पहचान इस मायने में अलग है कि वह अपनी घोषणाएं समय-सीमा के अंदर जमीन पर उतरवाना जानते हैं। राजमार्गों व एक्सप्रेस-वे के निर्माण में आई तेजी...

इंटरव्यू: विपक्ष को महत्वाकांक्षाएं एक नहीं होने देंगी-नितिन गडकरी
नई दिल्ली, मदन जैड़ा अरविंद सिंहWed, 06 Jun 2018 12:15 PM
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केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी की पहचान इस मायने में अलग है कि वह अपनी घोषणाएं समय-सीमा के अंदर जमीन पर उतरवाना जानते हैं। राजमार्गों व एक्सप्रेस-वे के निर्माण में आई तेजी इसका प्रमाण है। गंगा स्वच्छता और जहाजरानी मंत्रालयों का भी काम संभाल रहे गडकरी के साथ सड़क से लेकर सेतु समुद्रम परियोजना और तमाम राजनीतिक मुद्दों पर हिन्दुस्तान के ब्यूरो प्रमुख मदन जैड़ा व विशेष संवाददाता अरविंद सिंह ने लंबी बातचीत की। पेश हैं प्रमुख अंश-

'चुनाव में अभी एक साल बाकी है, लेकिन विपक्षी दल एकजुट हो रहे हैं। कितनी बड़ी चुनौती मानते हैं इसे?

भारतीय राजनीति में विपक्षी एकजुटता असंभव है। आज तक के इतिहास में ऐसी कोशिशें सफल नहीं हुईं। विभिन्न क्षेत्रीय राजनीतिक दलों का एक साथ आना मुश्किल है। पार्टी के मुखिया तो एक मंच पर नजर आते हैं, लेकिन मंडल व जिला स्तर पर कार्यकर्ताओं में एकजुटता और वोट का ट्रांसफर इतना आसान नहीं है। उत्तर प्रदेश में सपा-बसपा गठजोड़ की बातें हो रही हैं, लेकिन दोनों दलों में सीटें तय करना सबसे बड़ी चुनौती है। बिहार में लालू और नीतीश के बीच गठबंधन हुआ, सरकार बनी, लेकिन अब स्थिति सबके सामने है। असल में, क्षेत्रीय राजनीतिक दलों के नेताओं की महत्वाकांक्षाएं और वैचारिक मतभेद गठबंधन को स्थिर नहीं रहने देंगे। यही कहा जा सकता है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की लोकप्रियता से डरकर ही विपक्षी दल एकजुट हो रहे हैं।

'भले डर से विपक्षी दल एकजुट हो रहे हों, पर इससे 2019 में आपकी सीटें तो घट सकती हैं?

विपक्षी एकजुटता से दो बातें साफ हो जाती हैं। एक नरेंद्र मोदी और भाजपा की ताकत मजबूत हुई है। दूसरी, यह समझना होगा कि राजनीति में दो और दो का मतलब चार नहीं होता। 1971 में सभी विपक्षी दल इंदिरा गांधी के खिलाफ एकजुट हो गए थे। लेकिन जब चुनाव के नतीजे आए, तो इंदिराजी को भारी जीत मिली थी। इसलिए इस एकजुटता के कोई मायने नहीं। 

'कर्नाटक में कांग्रेस ने जेडीएस के साथ मिलकर सरकार बनाई। इसे कैसे देखते हैं?

कर्नाटक में कांग्रेस ने जो किया, वह उसके लिए आत्मघाती कदम है। पंजाब को छोड़कर सभी बडे़ राज्यों से उसका सफाया हो चुका है। मुझे तो डर है कि कहीं वह भविष्य में क्षेत्रीय पार्टी बनकर न रह जाए।

'आम चुनाव से पहले मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और राजस्थान के चुनाव होने हैं। क्या उम्मीद है?

तीनों राज्यों की परिस्थितियां व मुद्दे अलग-अलग हैं। राजस्थान में मुकाबला थोड़ा कठिन होगा। एक चुनाव जीतने के बाद स्थिति बरकरार रखने में थोड़ी परेशानी तो होती है। सरकार के कामकाज को लेकर लोगों का रुख थोड़ा तल्ख हो जाता है। पर हम जीत के प्रति आश्वस्त हैं।

'अगले आम चुनाव में भाजपा को किन-किन राज्यों में सीटें बढ़ने की उम्मीद है?

इस बार ओडिशा, पश्चिम बंगाल, आंध्र प्रदेश और तेलंगाना में हम बेहतर प्रदर्शन करेंगे।

'पेट्रोलियम पदार्थों की कीमतों पर आलोचना हो रही है। डर है कि महंगाई न बढ़ जाए?

पेट्रोलियम पदार्थों की कीमतें वैश्विक बाजार में कच्चे तेल के मूल्य के अनुसार घटती-बढ़ती हैं। पहले बढ़ रही थीं, अब तो घटने लगी हैं। कई चीजें सस्ती भी हुई हैं। उड़द की दाल 180 रुपये किलो से घटकर 55 रुपये पर आ गई है। चीनी 46 से घटकर 30 रुपये आ गई है। पर जो वस्तुएं सस्ती हुई हैं, उनकी चर्चा कोई नहीं करता।

'राजमार्ग निर्माण में क्या प्रगति हुई है?

मैं जब सड़क परिवहन व राजमार्ग मंत्री बना, तब देश में राष्ट्रीय राजमार्ग क्षेत्र में तीन लाख, 85 हजार करोड़ की लागत की 403 से अधिक राष्ट्रीय राजमार्ग परियोजनाएं एनपीए हो चुकी थीं। बैंकों का यह पैसा डूबने की कगार पर था। बैंकों ने कर्ज देने से मना कर दिया था। मेरे मंत्रालय ने बैंकों का यह पैसा बचाया। सड़क परियोजनाओं का पुन: टेंडर किया गया। कई ठेके रद्द किए गए। यूपीए में दो किलोमीटर प्रतिदिन राजमार्ग बनते थे, वर्तमान में 27 किलोमीटर का आंकड़ा पहुंच गया है। चालू वित्त वर्ष में प्रतिदिन 40 किलोमीटर बनाने का लक्ष्य रखा गया है।

'दिल्ली-मेरठ एक्सप्रेस-वे का प्रथम चरण पूरा हो गया। बाकी कब बनेगा?

दिल्ली-मेरठ एक्सप्रेस-वे मार्च 2019 तक बनकर पूरा हो जाएगा। तब दिल्ली से मेरठ की दूरी महज 40 से 45 मिनट में पूरी हो सकेगी। अभी दिल्ली-मेरठ के बीच का सफर दो से ढाई घंटे में पूरा हो पाता है। यातायात जाम से लोग परेशान हैं। पर जल्द ही उनको इससे छुटकारा मिल जाएगा। दिल्ली-सहारनपुर-देहरादून के बीच नया एक्सप्रेस-वे बनना है, जिसका डीपीआर तैयार हो रहा है। दिल्ली-मुंबई के बीच ग्रीनफील्ड एक्सप्रेस-वे बनाने का प्रस्ताव है। यह एक्सप्रेस-वे हरियाणा, राजस्थान, गुजरात, महाराष्ट्र के पिछडे़ इलाकों व आदिवासी क्षेत्रों से होकर गुजरेगा। इससे स्थानीय लोगों के जीवन स्तर में सुधार होगा। ग्रीनफील्ड एक्सप्रेस-वे से भूमि अधिग्रहण में खर्च होने वाले लगभग 16,000 करोड़ रुपये की बचत होगी।

'आपने एक दर्जन ग्रीनफील्ड एक्सप्रेस-वे की घोषणा की थी, मगर दिल्ली-जयपुर, दिल्ली-कटरा मार्ग पर तो काम शुरू भी नहीं हुआ है?

बेंगलुरु-चेन्नई के बीच बनाए जा रहे एक्सप्रेस-वे पर काफी काम हो गया है। दिल्ली-जयपुर, दिल्ली-कटरा का एलाइनमेंट तय हो रहा है। भूमि अधिग्रहण व पर्यावरण मंजूरी ही नहीं, बहुत कुछ करना पड़ता है, आसान काम नहीं है।

'ग्रीन हाई-वे बनाने का सपना कब पूरा होगा?

इसके लिए सड़क परिवहन मंत्रालय ने 5,000 करोड़ की राशि जारी कर दी है। यह राशि सड़कों के आसपास पेड़ लगाने में खर्च की जाएगी। ईस्टर्न पेरिफेरल एक्सप्रेस-वे पर ढाई लाख पेड़ लगाए गए हैं। इसमें 40 हजार पेड़ तो प्रत्यारोपित किए गए हैं। इस एक्सप्रेस-वे पर ऐतिहासिक धरोहरों व सौंदर्यीकरण का काम किया गया। फूल-क्यारी के साथ फव्वारे लगाए गए हैं।

'निर्मल-अविरल गंगा परियोजना की रफ्तार तो काफी सुस्त है। कब तक पूरो हो पाएगी?

ऐसा नहीं है। गंगा की 210 परियोजनाओं पर तेजी से काम हो रहा है। 41 परियोजनाएं उत्तराखंड की हैं। ये सभी चल रही हैं। दिल्ली-एनसीआर में 11 परियोजनाएं हैं। सात शुरू हो गई हैं, चार पर जल्द काम शुरू होगा। कानपुर में सात में से पांच पर और वाराणसी में पांच में से चार पर काम शुरू हो चुका है। पटना में 11 हैं, सात पर काम चल रहा है। 40-45 और परियोजनाएं टेंडर की प्रक्रिया में हैं।

'इलेक्ट्रिक वाहनों को प्रोत्साहित करने के लिए आप क्या उपाय कर रहे हैं?

कई प्रयास किए जा रहे हैं। इलेक्ट्रिक वाहनों का उत्पादन बढ़ाने की कोशिश हो रही है, ताकि कारों की कीमतें घटें। दरअसल, पेट्रोल-डीजल कार से प्रतिमाह 5,000 से 8,000 रुपये का खर्चा होता है। लेकिन इलेक्ट्रिकल वाहन पर यह खर्च 800 रुपये प्रतिमाह होगा। इस प्रकार, आप सालाना 60-70 हजार रुपये ईंधन पर खर्च होने से बचाएंगे। दूसरे, हमने इलेक्ट्रिक वाहन पर जीएसटी कम रखा है। डीजल-पेट्रोल वाहन में जीएसटी 48 फीसदी तक होता है, जबकि इलेक्ट्रिक वाहन पर 12 फीसदी जीएसटी लगता है। लागत कम करने के लिए वाहन कंपनियों से बातचीत चल रही है। जैसे ही इलेक्ट्रिक वाहनों का उत्पादन बढे़गा, कीमतें घटेंगी। उम्मीद है, अगले तीन-चार वर्षों में इलेक्ट्रिक कारों की कीमतें पेट्रोल कार से कम हो जाएंगी। 

'क्या 16 साल के किशोरों को इलेक्ट्रिक वाहन चलाने की मंजूरी दी गई है?

हमने इसके लिए नियमों में बदलाव किया है। 16 वर्ष पार कर चुके युवाओं को इलेक्ट्रिक वाहन चलाने के लिए लाइसेंस मिल सकेगा।

'मोटर वाहन विधेयक संसद में लंबित है, कब पास होगा?

यह मेरे हाथ में नहीं है। मैंने कोशिश की, लेकिन एक साल से यह पास नहीं हो पा रहा है। अगले सत्र में फिर प्रयास करेंगे।

'सरकार सड़क हादसों की रोकथाम के लिए क्या उपाय कर रही है?

मोटर वाहन विधेयक में सड़क हादसे रोकने के लिए कई प्रावधान हैं। यह विधेयक लंबित है। यह पारित हो जाता, तो हमें कई नए कदम उठाने का मौका मिलता। सड़क हादसे हालांकि पहले से कम हुए हैं, लेकिन अभी भी हर साल पांच लाख हादसे होते हैं, जिनमें डेढ़ लाख लोगों की मौत हो जाती है। मेरे मंत्रालय का लक्ष्य है कि यह घटकर 50 फीसदी से नीचे आ जाए।

'चारधाम राजमार्ग परियोजना पर एनजीटी ने प्रश्नचिह्न लगा दिया है। क्या सरकार एनजीटी के समक्ष अपना पक्ष सही से नहीं रख पा रही है?

मैं एनजीटी से बहुत दुखी हूं, क्योंकि चारधाम राजमार्ग परियोजना चीन बॉर्डर को जोड़ने वाली महत्वपूर्ण परियोजना है। यह रणनीतिक रूप से भी महत्वपूर्ण है। इसके बावजूद यदि एनजीटी काम को रोक देगा, तो देश की सुरक्षा के लिए अच्छी बात नहीं है। सरकार ने एनजीटी के आगे अपना पक्ष रखा था, पर पर्यावरण संवेदनशील जोन होने के कारण काम शुरू नहीं हो पा रहा है। देश की सुरक्षा व पर्यावरण बचाने का काम साथ-साथ चलना चाहिए। इससे अधिक मैं क्या कह सकता हूं? नया एलाइनमेंट भी तय करते हैं, तो हिमालय में सड़क बनाने पर पेड़ कटेंगे ही। नियम है कि एक पेड़ काटने पर 10 पेड़ लगाने हैं, और इसके लिए हम तैयार हैं।

'पूर्वोत्तर राज्यों में सड़क संपर्क बनाने की कोई नई योजना?

छह हजार करोड़ की लागत से म्यांमार से मेघालय तक राष्ट्रीय राजमार्ग बन रहा है। बांग्लादेश के साथ सड़क संपर्क बनाया जा रहा है। एडीबी बैंक ने मंत्रालय को 24 हजार करोड़ रुपये दिए हैं। इसकी मदद से पूर्वोत्तर राज्यों और पड़ोसी देशों से सड़क संपर्क बना रहे हैं।

'सेतु समुद्रम परियोजना को लेकर सरकार का क्या रुख है?

सरकार का रुख इस मामले में साफ है। किसी भी सूरत में रामसेतु को नहीं तोड़ा जाएगा। हम इसका विकल्प तलाश करेंगे। लेकिन रामसेतु से कतई कोई छेड़छाड़ नहीं की जाएगी।

'आप पार्टी अध्यक्ष रह चुके हैं, फिर पार्टी के कार्यों में आपकी भूमिका सीमित क्यों है?

मैं सरकार में मंत्री हूं, मेरे पास बहुत काम है। देश के बुनियादी ढांचे को शीर्ष पर ले जाने का काम मेरा ही है। फिर भी पार्टी जो काम बताती है, उसे करता हूं। गोवा में सरकार बनाने की जिम्मेदारी सौंपी गई, उसे बेहतर ढंग से किया। अभी सरकार के चार साल के काम पर देश के विभिन्न हिस्सों में पत्रकार वार्ता करनी है, उसे करने जा रहा हूं।

'क्या 2019 में मोदी का जादू चलेगा?

बिल्कुल चलेगा। जो विकास प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में देश में हुआ है, उस पर जनता वोट देगी। आज जनता राज्य और केंद्र के चुनाव को समझती है। जब प्रधानमंत्री चुनने का वक्त आएगा, तो लोग मोदीजी को ही वोट देंगे। 

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