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बुलेट प्रूफ जैकेट होने के बाद भी सीमा पर भारतीय जवान सेफ नहीं, आतंकियों ने निकाला तोड़

इस साल नए साल के मौके पर सीआरपीएफ के शिविर पर हुए हमले की जांच में चौंकाने वाला खुलासा हुआ है। इसके मुताबिक आतंकी संगठनों ने हथियारों के अपने जखीरे में कठोर स्टील व टंगस्टन कार्बाइट से बनी गोलियां...

बुलेट प्रूफ जैकेट होने के बाद भी सीमा पर भारतीय जवान सेफ नहीं, आतंकियों ने निकाला तोड़
एजेंसी,श्रीनगरSun, 17 Jun 2018 05:28 PM
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इस साल नए साल के मौके पर सीआरपीएफ के शिविर पर हुए हमले की जांच में चौंकाने वाला खुलासा हुआ है। इसके मुताबिक आतंकी संगठनों ने हथियारों के अपने जखीरे में कठोर स्टील व टंगस्टन कार्बाइट से बनी गोलियां शामिल कर ली है। इन गोलियों में आतंकवाद रोधी अभियानों के दौरान इस्तेमाल होने वाले बुलेट प्रूफ बंकरों को भी भेदने की क्षमता है। इससे सुरक्षा बलों की चिंताएं बढ़ गई हैं।  

सीआरपीएफ शिविर पर हमले में हुआ था इस्तेमाल

अधिकारियों ने बताया कि इस तरह की पहली घटना जनवरी में नए साल के मौके पर नजर में आई थी, जब जैश - ए - मोहम्मद के आतंकियों ने दक्षिण कश्मीर के लेथपुरा में सीआरपीएफ के शिविर पर आत्मघाती हमला किया था। इस घटना में सेना द्वारा उपलब्ध कराई गई बुलेट प्रूफ ढाल के पीछे होने के बावजूद अर्धसैनिक बल के पांच में से एक कर्मी को गोली लग गई थी। उक्त हमले में सीआरपीएफ के पांच जवान शहीद हो गए थे।

एक विस्तृत जांच में यह बात सामने आई कि आतंकवादियों द्वारा क्लाशनिकोव (एके) राइफल से चलाई गई गोलियां स्टील से बनी थीं, जो कि आतंकवादियों से मुठभेड़ के दौरान सुरक्षाकर्मियों द्वारा इस्तेमाल किए जाने वाले बुलेटप्रूफ शील्ड में छेद करने में सक्षम हैं। जांच में पता चला कि कवच-भेदी ये गोलियां कठोर स्टील या टंगस्टन कार्बाइड से बनी होती हैं। 

बुलेट प्रूफ ढाल के पीछे होने के बावजूद जवान हुए थे घायल

कश्मीर घाटी में आतंकवादी रोधी कार्यक्रमों में शामिल एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, परिणाम सामने आने के बाद एहतियाती कदम पहले ही उठाए जा चुके हैं। उन्होंने कहा, आमतौर पर एके राइफल की गोलियों में सीसे का छर्रा होता है, जो हल्के स्टील से ढका होता है और बुलेट प्रूफ ढाल को नहीं छेद सकता लेकिन 31 दिसंबर , 2017 की मुठभेड़ के बाद ये सब बदल गया है। 

टंगस्टल कार्बाइड की गोलियां क्यों घातक

- 3,422 डिग्री सेल्सियस इसका गलांक बिंदु हैं, जो किसी भी धातु के मुकाबले सबसे अधिक है। 
-4 गुना अधिक सख्त होता टाइटेनियम के मुकाबले, दो गुना सख्त बूलेटप्रूफ स्टील के मुकाबले। 
- सख्त और अधिक गलांक बिंदु होने की वजह से मजबूत से मजबूत कवच को तोड़ने में सक्षम। 

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