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ED की नई चार्जशीट में खुलासा- SC ने रद्द नहीं किया होता UPA सरकार का फैसला तो आज मेहुल चोकसी चलाता रहता कोयला खादान

सुप्रीम कोर्ट ने अगर सितंबर 2014 में 214 कोल ब्लॉकों के आवंटन को रद्द नहीं किया होता, तो भगोड़े हीरा व्यापारी मेहुल चोकसी आज आराम से कोयला खदान चला रहा होता। प्रवर्तन निदेशालय...

ED की नई चार्जशीट में खुलासा- SC ने रद्द नहीं किया होता UPA सरकार का फैसला तो आज मेहुल चोकसी चलाता रहता कोयला खादान
नीरज चौहान, एचटी,नई दिल्ली।Tue, 21 Jul 2020 08:01 AM
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सुप्रीम कोर्ट ने अगर सितंबर 2014 में 214 कोल ब्लॉकों के आवंटन को रद्द नहीं किया होता, तो भगोड़े हीरा व्यापारी मेहुल चोकसी आज आराम से कोयला खदान चला रहा होता। प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) द्वारा दायर नई चार्जशीट के अनुसार, चोकसी की गीतांजलि ग्रुप ऑफ कंपनीज और कोलकाता स्थित ईएमटीए कोल लिमिटेड की संयुक्त कंपनी एमएस जीईएमटीए कोलमाइंस लिमिटेल को झारखंड के दुमका स्थित उरमा पहाड़ीटोला कोल ब्लॉक की ठेकेदारी मिली थी। ईडी को यह जानकारी जीईएमटीए के एक डायरेक्टर उपेंद्र कुमार ने दी है।

कोयला खदान मूल रूप से यूपीए सरकार के दौरान 2010-11 में दो राज्य संचालित कंपनियों, मैसर्स बिहार स्टेट मिनरल डेवलपमेंट कॉर्पोरेशन और मैसर्स झारखंड स्टेट इलेक्ट्रिसिटी बोर्ड को आवंटित किया गया था। दो राज्य-संचालित कंपनियों ने ब्लॉक के विकास और संचालन के लिए एक संयुक्त उद्यम, मेसर्स झारबिहार (JHARBIHAR) कोलियरी लिमिटेड का गठन किया। फिर मार्च 2012 में एक टेंडर जारी किया गया, जिसमें अनुभवी खनन संगठनों से बोलियां मांगी गईं। ईडी की चार्जशीट में यह बात सामने आई है।

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चार्जशीट के मुताबिक, 2012 में ही मेहुल चोकसी की गीतांजली ग्रुप (M/s Gitanjali Gems Ltd, Mozart Trading Pvt Ltd and Partha Gems LLP) ने EMTA कोल लिमिटेड के साथ एक अलग ग्रुप का गठन किया और टेंडर के लिए 2 करोड़ की बैंक गारंटी के साथ बोली लगाई। बोली सफल रही और लेटर ऑफ इंटर्न (LoI) 2014 में जारी किया गया। उपेंद्र कुमार ने इस बात का खुलासा किया पांच करोड़ रुपए के निवेश के साथ GEMTA का गठन किया गया। इसका ऑफिस कोलकाता में था।

इसमें मेहुल चोकसी के गीतंजली ग्रुप की सर्वाधिक 51 प्रतिशत हिस्सेदारी थी। वहीं, बाकी EMTA के हिस्से में थी। ईडी के अधिकारियों ने कहा कि GEMTA के नाम पर यह थर्ड पार्टी टेंडर था। चोकसी की कंपनी को डायरेक्ट कोल ब्लॉक का आवंटन नहीं किया गया था।

ईडी चार्जशीट के मुताबिक सुप्रीम कोर्ट के 2014 के एक फैसले के कारण GEMTA का गठन और JHARBIHAR को दी गई 12 करोड़ रुपए की बैंक गारंटी समाप्त हो गई।

आपको बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने कोल ब्लॉक आवंटन को मनमाना करार दिया था। साथ ही आवंटन में राज्य की लागत का अनुमान लगाया करीब 1.86 लाख करोड़ लगाया गया था। यह 2014 में कांग्रेस की नेतृत्व वाली संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन सरकार के नुकसान के लिए जिम्मेदार घोटालों में से एक था।

मेहुल चोकसी के वकील विजय अग्रवाल ने इस मामले पर कहा, “ईडी का पूरा मामला धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) की धारा 50 के तहत दर्ज बयानों पर आधारित है। सुप्रीम कोर्ट के बेंच में इस पर विचार चल रहा है, जैसा कि तोफान सिंह के मामले में कहा गया है। इसलिए अंतत: उनके मामले गिरते जा रहे हैं। यह सब एक मुर्गा और बैल की कहानी है। ” अग्रवाल तोफान सिंह बनाम तमिलनाडु राज्य के मामले का जिक्र कर रहे थे, जिसमें SC ने स्वीकारोक्ति के स्पष्ट मूल्य के मुद्दे से निपटते हुए मामले को एक बड़ी पीठ के पास भेज दिया था।

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