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कोयले की मारामारी के बीच बिजली उत्पादन के लिए परमाणु ऊर्जा पर जोर, यह है प्लान

जानकारी के मुताबिक एनटीपीसी मध्य प्रदेश में 700 मेगावॉट का रिएक्टर लगाना चाहता है। इस योजना को अभी सार्वजनिक नहीं किया गया है।

कोयले की मारामारी के बीच बिजली उत्पादन के लिए परमाणु ऊर्जा पर जोर, यह है प्लान
Ankit Ojhaब्लूमबर्ग,नई दिल्लीWed, 24 Aug 2022 11:35 PM

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भारत का सबसे बड़ा ऊर्जा उत्पादक अब देशभर में बड़े न्यूक्लियर पावर प्लांट लगाने की योजना बना रहा है। एक सप्ताह पहले ही प्रधानमंत्री मोदी ने कहा था कि देश में परमाणु ऊर्जा से बिजली उत्पादन पर बल देना है। एनटीपीसी लिमिटेड अब तक बिजली उत्पादन के लिए सबसे ज्यादा कोयला पर ही भरोसा करता था। हालांकि अब यह सरकार से न्यूक्लियर रिएक्टर लगाने की बातचीत कर रहा है। 

जानकारी के मुताबिक एनटीपीसी मध्य प्रदेश में 700 मेगावॉट का रिएक्टर लगाना चाहता है। इस योजना को अभी सार्वजनिक नहीं किया गया है। हालांकि एनटीपीसी ने इतना जरूर कहा था कि वह हरियाणा में वह न्यूक्लियर रिएक्टर लगाना चाहता था। भारत 6 गीगावाट की क्षमता वाला प्लांट तैयार कर रहा है। इंटरनेशल एटमिक एनर्जी एजेंसी के मुताबिक यह चीन के बाद दूसरा सबसे ज्यादा परमाणु क्षमता वाला रिएक्टर होगा। 

बता दें कि प्रधानमंत्री मोदी ने लक्ष्य रखा है कि अगले दशक तक भारत में परमाणु ऊर्जा के प्लांट तीन गुने हो जाएं ताकि क्लीन एनर्जी जनरेशन में मदद मिल सके। यह जीरो कार्बन 2070 की ओर एक कदम हो सकता है। वर्तमान की बात करेंतो भारत 70 फीसदी बिजली कोयले से बनाता है वहीं परमाणु ऊर्जा से सिर्फ 3 फीसदी इलेक्ट्रिसिटी जनरेशन होता है। 

एक विशेषज्ञ के मुताबिक, न्यूक्लियर पावर ही बिजली के उत्पादन का सबसे अच्छा तरीका है जो कि जीरो कार्बन की ओर भारत को ले जा सकता है। उन्होंने कहा कि ज्यादा से ज्यादा प्राइवेट कंपनियों को भी सरकार के  साथ आना चाहिए और इस दिशा में काम करना चाहिए। बता दें कि 2008 में अमेरिका से एक सहमति के बाद भारत को सिविल प्रोग्राम के लिए विदेश से परमाणु तकनीक और कच्चा मेल लेने की अनुमति मिली थी। 

2011 में जापान में हुई ट्रैजडी के बाद इसको लेकर एक तरह का डर समा गया था और इसके बाद इस दिशा में काम धीमा हो गया था। अभी भारत के पास 6.8 गीगावॉट का न्यूक्लियर पावर प्लांट है जो कि केवल 1.7 फीसदी बिजली  का ही उत्पादन करता है। दिल्ली का एनटीपीसी 92 फीसदी कोयले से ही चलता है लेकिन लक्ष्य है कि इसे 2032 तक आधा कर देना है।  

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