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ड्रोन पीएलआई से उत्पाद, सेवा क्षेत्र को फायदा, बड़े पैमाने पर रोजगार सृजन की भी उम्मीद

नई ड्रोन उत्पादन आधारित प्रोत्साहन योजना यानि पीएलआई स्कीम के जरिए सरकार का लक्ष्य अगले तीन सालों में 120 करोड़ रुपए की आर्थिक सहायता उद्योग जगत को देने का है। इसके जरिए प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष दोनों...

ड्रोन पीएलआई से उत्पाद, सेवा क्षेत्र को फायदा, बड़े पैमाने पर रोजगार सृजन की भी उम्मीद
विशेष संवाददाता ,नई दिल्लीFri, 17 Sep 2021 07:25 AM

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नई ड्रोन उत्पादन आधारित प्रोत्साहन योजना यानि पीएलआई स्कीम के जरिए सरकार का लक्ष्य अगले तीन सालों में 120 करोड़ रुपए की आर्थिक सहायता उद्योग जगत को देने का है। इसके जरिए प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष दोनों तौर पर बड़े पैमाने पर रोजगार सृजन की भी उम्मीद जताई गई है। विमानन मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने इस योजना की बारीकियों के बारे में बताते हुए कहा कि आने वाले दिनों में ड्रोन का इस्तेमाल कृषि, रक्षा, खनन और स्वास्थ्य से जुड़े क्षेत्रों में तेजी से होगा। इससे लिए जरूरी नीतियों और आसान फंडिंग की कमी पीएलआई योजना से पूरी हो गई है।  

सरकार का लक्ष्य है कि आने वाले समय में इसका उत्पादन बढ़ेगा और निर्यात को बढ़ावा दिया जा सकेगा। सिंधिया ने अनुमान जताया है कि अगले 3 साल में ड्रोन उत्पादन के लिए 5 हजार करोड़ रुपए का निवेश किया जाएगा। इसके आधार पर 10 हजार रोजगार के नए अवसर पैदा होंगे। इस पूरी कवायद का अप्रत्यक्ष असर ड्रोन सेवाओं की वैल्यू चेन पर भी पड़ेगा। विमानन मंत्री के मुताबिक ड्रोन सेवाओं का टर्नओवर 20 हजार करोड़ रुपए तक पहुंचेगा और इससे 3 लाख रोजगार के अवसर पैदा होंगे।  

योजना की विशेषताएं बताते हुए उन्होंने कहा कि इस क्षेत्र में जहां अभी टर्नओवर केवल 80 करोड़ रुपए का है , पीएलआई से अगले तीन साल में 120 करोड़ रुपए का इंसेंटिव देंगे। ये इंसेंटिव तीनों साल में 20 फीसदी की दर से बढ़ेगा भी। ड्रोन उत्पादकों के लिए टर्नओवर का अंश 2 करोड़ रुपए रखा गया है। वहीं हार्डवेयर कंपोनेंट मैन्युफैक्चरर्स के लिए बिक्री का अंश 50 लाख रुपए से ज्यादा रखा गया है। इस दायरे में आने वाले एमएसएमई और स्टार्टअप को पीएलआई स्कीम का फायदा मिलेगा।  

गैर एमएसएमई ड्रोन उत्पादकों के लिए टर्नओवर की सीमा 4 करोड़ रुपए  और हार्डवेयर कंपोनेंट से जुड़े उत्पादकों के लिए टर्नओवर की सीमा 1 करोड़ रुपए रखी गई है। साथ ही विदेशी कंपनियों के लिए ये सीमा 8 करोड़ रुपए और  2 करोड़ रुपए रखी गई है। सरकार ने ये भी सीमा रखी है कि एक कंपनी कुल इंसेंटिव का ज्यादा से ज्यादा सिर्फ 25 फीसदी हिस्सा ही ले सकेगी।


 

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