आतंक के डॉक्टर का खात्मा, बुरहान का साथी छह महीने पहले बना था हिज्बुल मुजाहिद्दीन का चीफ कमांडर
जम्मू-कश्मीर में आतंक का डॉक्टर कहा जाने वाला हिज्बुल मुजाहिद्दीन का चीफ कमांडर सैफुल्लाह वहीं पहुंच गया है जहां सुरक्षाबलों ने उसके पहले रियाज नायकू और बुरहान वानी को भेजा था। छह महीने पहले हिज्बुल...

जम्मू-कश्मीर में आतंक का डॉक्टर कहा जाने वाला हिज्बुल मुजाहिद्दीन का चीफ कमांडर सैफुल्लाह वहीं पहुंच गया है जहां सुरक्षाबलों ने उसके पहले रियाज नायकू और बुरहान वानी को भेजा था। छह महीने पहले हिज्बुल का चीफ कमांडर बनाया गया सैफुल्लाह रविवार को श्रीनगर में सुरक्षाबलों के साथ मुठभेड़ में मारा गया। जम्मू-कश्मीर के डीजीपी दिलबाग सिंह ने कहा है कि रियाज नायकू के मारे जाने के बाद हिज्बुल नेतृत्वविहीन हो गया था, एक बार फिर आतंकी तंजीम की यह हालत हो गई है।
डीजीपी दिलबाग सिंह ने कहा कि जम्मू-कश्मीर में इस साल अब तक 200 आतंकवादी मारे जा चुके हैं। उन्होंने रविवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा, ''डॉक्टर सैफुल्लाह हिज्बुल मुजाहिद्दीन में नंबर वन कमांडर था, वह श्रीनगर एनकाउंटर में मारा गया है। यह बहुत सफल ऑपरेशन था। सैफुल्लाह अक्टूबर 2014 से एक्टिव था। वह लंबे समय तक बुरहान वानी का साथी था। सुरक्षाकर्मी दो दिनों से उसकी गतिविधि पर नजर बनाए हुए थे।''
26 साल के सैफुल्लाह मीर उर्फ गाजी हैदर को मई 2020 में हिज्बुल मुजाहिद्दीन का नया चेहरा बन गया था। सैफुल्ला मीर की नियुक्ति की घोषणा पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर के मुजफ्फराबाद में मौजूद आतंकवादी समूह के प्रवक्ता सलीम हाशमी ने की थी। रियाज नाइकू के मारे जाने के बाद मीर को यह जिम्मेदारी दी गई थी।
सैफुल्लाह मीर को मुसाहिब और 'डॉक्टर सैफ' के नाम से भी जाना जाता है, क्योंकि वह पुलिस मुठभेड़ों में घायल हुए आतंकवादियों का इलाज कर चुका है। मीर दक्षिण कश्मीर के पुलवामा जिले के मलंगपोरा से 12वीं पास है, हालांकि रियाज नाइकू ग्रेजुएट था। सैफुल्लाह मीर ने स्कूल के बाद व्यावसायिक प्रशिक्षण का विकल्प चुना।
उसने पुलवामा में सरकार द्वारा संचालित आईटीआई में बायो मेडिकल कोर्स किया और इसके बाद एक तकनीशियन के रूप में श्रीनगर के राष्ट्रीय इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी संस्थान में नौकरी पा ली। मीर ने तीन साल तक नौकरी की और फिर आतंक की राह पर चल पड़ा। मीर रियाज नाइकू के नेटवर्क से पूरी तरह परिचित था और ऑर्चर्ड मालिकों से धन जुटाने और दक्षिण कश्मीर में अफीम की अवैध खेती से धन प्राप्त करने के लिए गतिविधियां करता था।
