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वैक्सीन की दो डोज के बीच अधिक गैप बढ़ा सकता है संक्रमण का खतरा, टॉप वैज्ञानिक फाउची का दावा

देश में कोरोना वायरस की दूसरी लहर अभी भी बरकरार है, हालांकि इसकी रफ्तार पहले के मुकाबले बहुत धीमी हो चुकी है। ऐसे में जोर- शोर जारी टीकाकरण अभियान ही इस महामारी से बचने का एक विकल्प दिखाई पड़ता है।...

वैक्सीन की दो डोज के बीच अधिक गैप बढ़ा सकता है संक्रमण का खतरा, टॉप वैज्ञानिक फाउची का दावा
लाइव हिन्दुस्तान टीम,नई दिल्लीSat, 12 Jun 2021 10:49 AM
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देश में कोरोना वायरस की दूसरी लहर अभी भी बरकरार है, हालांकि इसकी रफ्तार पहले के मुकाबले बहुत धीमी हो चुकी है। ऐसे में जोर- शोर जारी टीकाकरण अभियान ही इस महामारी से बचने का एक विकल्प दिखाई पड़ता है। दो डोज में दी जाने वाली कोरोना वैक्सीन को लेकर अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन के चीफ मेडिकल एडवाइजर डॉ. एंथनी फाउची ने कहा कि दोनों डोज के बीच गैप बढ़ाने से लोगों में कोविड-19 वेरिएंट्स से संक्रमण का खतरा बढ़ सकता है।

डॉ फाउची भारत सरकार द्वारा पिछले महीने दो डोज के बीच गैप बढ़ाए जाने को लेकर सवालों के जवाब दे रहे थे। बता दें कि फाउची अमेरिका के नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ एलर्जीज एंड इंफेक्शियस डिजीज (NIAID) के डायरेक्टर भी हैं।

'डोज का गैप बढ़ने से हो सकते हैं संक्रमित'

यहां उन्होंने न्यूज चैनल एनडीटीवी से बातचीत में कहा 'mRNA वैक्सीन जैसे फाइजर के लिए दो डोज के बीच तीन हफ्तों और मॉडर्ना के लिए चार हफ्तों का गैप होना चाहिए, जो सही है।  हमने यूके में देखा कि उन्होंने डोज के बीच गैप की अवधि को बढ़ा दिया, इस दौरान आप वेरिएंट्स से संक्रमित हो सकते हैं। इसलिए हम समय पर वैक्सीन लगाने की सलाह देते हैं।' हालांकि साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि जब आपके पास कम सप्लाई हो तो यह गैप बढ़ाना जरूरी हो जाता है।

दो डोज में गैप बढ़ाने का किया था समर्थन

डॉ फाउची ने कुछ समय पहले भारत सरकार के दो डोज के बीच गैप बढ़ाने के फैसले का समर्थन किया था और कहा था कि अगर आपके पास वैक्सीन की कमी है तो दो डोज के बीच गैप बढ़ाना तार्किक फैसला है। उन्होंने कहा था कि इससे ज्यादा से ज्यादा लोगों को कम से कम एक डोज लग जाएगी। तब फाउची ने कहा था इस बात की संभावना काफी कम है कि दूसरी डोज में देरी से इसकी प्रभाव क्षमता पर असर पड़ेगा।”

अधिक तेज फैलता है डेल्टा वैरिएंट

फाउची ने यहां कहा कि “भारत के कई राज्यों में हावी हुआ डेल्टा वेरिएंट एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में ज्यादा तेजी से फैलता है। अगर किसी देश में ये वेरिएंट है और वहां पर्याप्त लोगों को वैक्सीनेट नहीं किया है तो उन्हें इसे लेकर चिंतित होना चाहिए। हमने देखा है कि वैक्सीन नहीं लगाने वाले लोगों में जब डेल्टा वेरिएंट फैलता है ता काफी जल्दी हावी हो जाता है। यही यूके में हो रहा है, वहां 90 फीसदी नए मामले डेल्टा वेरिएंट के कारण आ रहे हैं।”


 

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