सुरंग बचाव कार्यों से जुड़ी खबरों को सनसनीखेज न बनाएं, टीवी चैनलों को सरकार की सख्त सलाह
सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय द्वारा जारी परामर्श में निजी समाचार चैनलों से कहा गया है कि वे अपनी खबरों के प्रसारण के दौरान संवेदनशील रहें, खासकर बचाव कार्यों से जुड़ी खबरों की हेडलाइन और वीडियो में।

सरकार ने मंगलवार को निजी टेलीविजन चैनलों को परामर्श जारी कर कहा कि उन्हें उत्तराखंड के सिल्कयारा सुरंग में फंसे 41 श्रमिकों के बचाव अभियान से जुड़ी खबरों को सनसनीखेज बनाने से बचना चाहिए। सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय द्वारा जारी परामर्श में निजी समाचार चैनलों से कहा गया है कि वे अपनी खबरों के प्रसारण के दौरान संवेदनशील रहें, खासकर बचाव कार्यों से जुड़ी खबरों की हेडलाइन और वीडियो में।
परामर्श में कहा गया है कि सुरंग में फंसे हुए श्रमिकों के परिवारों के सदस्यों की मनोवैज्ञानिक स्थिति पर इन खबरों का प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है। इसमें कहा गया है कि बचाव अभियान से जुड़े वीडियो फुटेज और अन्य तस्वीरों के प्रसारण से मौजूदा अभियान पर भी प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है। परामर्श में टीवी चैनलों से कहा गया है कि वे इस मुद्दे को सनसनीखेज बनाने और सुरंग के आसपास चल रहे बचाव अभियान का सीधा प्रसारण करने से परहेज करें। इसमें समाचार चैनलों से यह भी सुनिश्चित करने के लिए कहा गया है कि कैमरामैन, संवाददाताओं या विभिन्न उपकरणों की उपस्थिति से बचाव अभियान किसी भी तरह से बाधित नहीं हो।
बता दें कि पिछले नौ दिन से सिलक्यारा सुरंग में फंसे 41 श्रमिकों तक छह इंच की पाइपलाइन के जरिए खिचड़ी भेजने के कुछ घंटों बाद बचावकर्मियों ने मंगलवार को तड़के उन तक एक कैमरा भेजा और उनके सकुशल होने का पहला वीडियो जारी किया। प्रधानमंत्री मोदी ने मंगलवार को मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को पुन: फोन कर निर्माणाधीन सुरंग में फंसे श्रमिकों को बाहर निकालने के लिए चलाए जा रहे बचाव एवं राहत कार्यों की जानकारी ली।
इस बीच, अमेरिकी ऑगर मशीन के जरिए बड़े व्यास के माइल्ड स्टील पाइप डालकर 'एस्केप पैसेज' बनाने का काम तीन दिन बाद फिर शुरू हो गया। आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि सोमवार देर शाम दिल्ली से एंडोस्कोपिक फ्लैक्सी कैमरा आने के बाद इसे सुरंग के अंदर भेजा गया। उन्होंने कहा कि जारी किये गये वीडियो में पीले और सफेद रंग के हेलमेट पहने श्रमिक पाइपलाइन के माध्यम से भेजा गया भोजन प्राप्त करते हुए और एक-दूसरे से बात करते हुए दिखाई दे रहे हैं। यह इन श्रमिकों के परिवारों के लिए एक बड़ी राहत है।