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राजस्थान में धर्म परिवर्तन के लिए जिला कलेक्टर की अनुमति जरूरी

राजस्थान में अब कलेक्टर की अनुमति के बिना धर्म परिवर्तन नहीं हो सकेगा। कथित ‘लव जिहाद’ जैसे मामलों पर राजस्थान हाईकोर्ट ने शुक्रवार को दिशानिर्देश जारी किए हैं। इसके तहत जो कोई भी अपना...

राजस्थान में धर्म परिवर्तन के लिए जिला कलेक्टर की अनुमति जरूरी
नई दिल्ली, लाइव हिन्दुस्तान टीम। Sat, 16 Dec 2017 08:44 AM
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राजस्थान में अब कलेक्टर की अनुमति के बिना धर्म परिवर्तन नहीं हो सकेगा। कथित ‘लव जिहाद’ जैसे मामलों पर राजस्थान हाईकोर्ट ने शुक्रवार को दिशानिर्देश जारी किए हैं। इसके तहत जो कोई भी अपना धर्म परिवर्तन करना चाहता है, उसे पहले एक हफ्ते तक सरकारी नोटिस बोर्ड पर अपना नाम लिखना होगा और इस दौरान इस फैसले के खिलाफ लोग अपील भी कर सकेंगे। दोनों पक्षों को सुनने के बाद ही कलेक्टर धर्म परिवर्तन की अनुमति देगा। 

हालांकि अदालत ने यह स्पष्ट नहीं किया है कि फैसले के खिलाफ अपील करने के लिए योग्य व्यक्ति कौन होगा। न्यायमूर्ति गोपाल कृष्ण व्यास और वीरेंद्र कुमार माथुर की पीठ ने ‘लव जिहाद’ के एक मामले में यह फैसला सुनाया। साथ ही कहा कि जब तक राज्य में धर्म परिवर्तन से संबंधित कोई कानून नहीं बन जाए तब तक हाईकोर्ट का ये निर्देश लागू रहेगा। 

गौरतलब है कि जोधपुर में एक परिवार ने ‘लव जिहाद’ का आरोप लगाते हुए एक मुस्लिम लड़के पर अपनी लड़की का जबरन धर्म परिवर्तन कर शादी करने का आरोप लगाया था। तब हाईकोर्ट ने लड़की को सरकारी नारी निकेतन में भेजते हुए राज्य सरकार से कहा था, ‘किसी के लिए भी धर्म परिवर्तन करना मजाक बन गया है। आपके इसके लिए क्या नियम है बताएं?’ राज्य सरकार ने कोर्ट को जवाब दिया था कि उसने विधेयक बना लिया है जिसकी मंजूरी के लिए गृह मंत्रालय के जरिए राष्ट्रपति को भेजा है। 

अदालत ने कहा कि किसी भी धर्म परिवर्तन या अंतर धार्मिक शादी में दिशानिर्देशों का पालन नहीं होता है और इसे चुनौती दी जाती है, तो इसे खारिज किया जाता है। दिशा-निर्देश में कहा गया है कि तय उम्र के बाद कानून किसी को भी धर्म परिवर्तन की आजादी देता है, लेकिन इसके लिए वह खुद धर्म परिवर्तन की शर्तों से संतुष्ट होना चाहिए। पीठ ने आगे कहा, ‘भारतीय संविधान का अनुच्छेद 25 प्रत्येक नागरिक को धार्मिक स्वतंत्रता का आधारभूत अधिकार देता है। लेकिन साथ ही प्रत्येक नागरिक का यह कर्तव्य भी बनता है कि वह अन्य धर्मों की भावनाओं का सम्मान करें और संविधान के खिलाफ आचरण न करें।’

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