Did the central government change the vaccine policy after the Supreme Court rebuke read answer क्या सुप्रीम कोर्ट की फटकार के बाद केंद्र सरकार ने बदली वैक्सीन नीति? पढ़ें जवाब, India News in Hindi - Hindustan
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क्या सुप्रीम कोर्ट की फटकार के बाद केंद्र सरकार ने बदली वैक्सीन नीति? पढ़ें जवाब

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के द्वारा फ्री वैक्सीन की घोषणा के बाद विपक्ष और सोशल मीडिया में सरकार के आलोचक एक बात का दवा कर रहे हैं कि सरकार ने यह फैसला सुप्रीम कोर्ट की फटकार के बाद लिया है। हालांकि...

Himanshu Jha लाइव हिन्दुस्तान टीम, नई दिल्ली।Mon, 7 June 2021 10:42 PM
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क्या सुप्रीम कोर्ट की फटकार के बाद केंद्र सरकार ने बदली वैक्सीन नीति? पढ़ें जवाब

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के द्वारा फ्री वैक्सीन की घोषणा के बाद विपक्ष और सोशल मीडिया में सरकार के आलोचक एक बात का दवा कर रहे हैं कि सरकार ने यह फैसला सुप्रीम कोर्ट की फटकार के बाद लिया है। हालांकि भारत सरकार के सूत्र इस दावे को सिरे से खारिज करते हैं।

न्यूज एजेंसी एएनआई ने सरकार के सूत्रों के हवाले से कहा है कि टीकाकरण के विकेंद्रीकृत मॉडल का एक महीना पूरा होने के बाद 1 जून को पीएम के समक्ष मुफ्त टीकाकरण की योजना पेश की गई थी। पीएम ने बैठक में सैद्धांतिक मंजूरी दी थी और इसकी नींव 1 जून को ही रख दी गई थी। आज प्रधानमंत्री के द्वारा इसकी घोषणा की गई।

— ANI (@ANI) June 7, 2021

आपको बता दें कि कांग्रेस के मुख्य प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने कहा, ''मनमोहन सिंह, सोनिया गांधी और राहुल गांधी ने पिछले कई महीनों में बार-बार यह मांग रखी कि 18 साल से अधिक उम्र के लोगों को मुफ्त टीका लगना चाहिए, लेकिन मोदी सरकार ने इससे इनकार कर दिया। फिर उच्चतम न्यायालय ने मोदी जी और उनकी सरकार को कटघरे में खड़ा किया।'' कांग्रेस महासचिव ने कहा, ''फिलहाल खुशी है कि हर नागरिक को मुफ्त टीका मुहैया कराने की मांग सरकार ने आधे-अधूरे ढंग से मान ली है। प्रधानमंत्री आज भी अपने मुंह मियां मिट्ठू बने। देर आए, लेकिन पूरी तरह दुरुस्त नहीं आए।''

सभी के लिए निशुल्क टीके की नीति SC के हस्तक्षेप का नतीजा: ओवैसी
ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने सोमवार को कहा कि 18 साल से अधिक आयु के सभी लोगों के टीकाकरण के वास्ते राज्यों को केंद्र द्वारा निशुल्क टीका उपलब्ध कराए जाने की प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की घोषणा उच्चतम न्यायालय के हस्तक्षेप का परिणाम जान पड़ती है। मोदी के संबोधन को लेकर हैदराबाद के सांसद ने एक के बाद एक ट्वीट करके कहा कि निजी अस्पतालों का 25 फीसदी कोटा जारी रहेगा ताकि अमीर लोगों को आसानी हो जबकि गरीबों को टीके की उपलब्धता का इंतजार करना होगा।

ओवैसी ने ट्वीट कर कहा, ''एक और गैर-जरूरी भाषण के लिए प्रधानमंत्री का धन्यवाद, जिसकी जानकारी प्रेस विज्ञप्ति के जरिए भी दी जा सकती थी। टीका नीति को लेकर बदलाव उच्चत न्यायालय के आदेश का परिणाम जान पड़ता है। हालांकि, भयानक टीका नीति का आरोप राज्यों पर मढ़ दिया गया। मोदी टीका आपूर्ति सुनिश्चित करने में नाकाम रहे।''

क्या कहा था सुप्रीम कोर्ट ने?
सुप्रीम कोर्ट ने तीन जून को केंद्र से कहा था कि 18 से 45 वर्ष के लोगों के लिए कोविड-19 टीकाकरण नीति से जुड़ी अपनी सोच को दर्शाने वाले सभी प्रासंगिक दस्तावेज और फाइलों की नोटिंग रिकाॉर्ड पर रखे। इसके अलावा कोवैक्सीन, कोविशील्ड एवं स्पूतनिक वी समेत सभी टीकों की आज तक की खरीद का ब्योरा पेश करे। कोर्ट ने टिप्पणी की कि जब सरकार की नीतियों के जरिये नागरिकों के संवैधानिक अधिकारों का हनन हो रहा हो तो हमारा संविधान, अदालत तो मूक दर्शक बनने रहने की इजाजत नहीं देता।

इसके साथ ही कोर्ट ने सरकार की पेड वैक्सीन नीति को प्रथमदृष्टया मनमाना और अतार्किक बताते हुए स्‍पष्‍ट करने का निर्देश दिया कि केंद्रीय बजट में वैक्‍सीन की खरीद के लिए रखे गए 35,000 करोड़ रुपये अब तक कैसे खर्च किए गए हैं। साथ ही पूछा कि इस फंड का इस्‍तेमाल 18-44 वर्ष के लोगों के लिए वैक्‍सीन खरीदने के लिए क्‍यों नहीं किया जा सकता। जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़, एलएन राव और श्रीपति रवींद्र भट्ट की विशेष पीठ ने न्यायालय की वेबसाइट पर डाले गए 31 मई के आदेश में पीठ ने कहा, हम केंद्र सरकार को दो सप्ताह में हलफनामा दाखिल करने का निर्देश देते हैं। पीठ ने केंद्र से यह सुनिश्चित करने को कहा कि आदेश में प्रत्येक मुद्दे पर अलग-अलग जवाब दिया जाए।

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