बीजेपी नेता अनंत हेगड़े की तरफ से पूर्व मुख्यमंत्री देवेन्द्र फडणवीस पर दिए गए बयान ने ऐसा तूल पकड़ा कि खुद फडणवीस को पूरे मामले पर सफाई देनी पड़ी है। हेगड़े की तरफ से जो दावा किया गया था कि फडणवीस ने सीएम बनने के बाद महज पन्द्रह घंटे में उन्होंने 40 हजार करोड़ रुपये केन्द्र को लौटा दिए।
हेगड़े के इस बयान पर फडणवीस ने कहा कि उनके मुख्यमंत्री बनने के बाद नीतिगत फैसलों के तौर पर ऐसा कोई कदम नहीं उठाया गया था। ऐसे सभी आरोप बेबुनियाद है।
फडणवीस ने कहा- “मैं इस बयान और रिपोर्ट को खारिज करता हूं जिसमें यह कहा गया है कि केन्द्र ने जो पैसे भेजे थे उसे मैंने वापस कर दिया। जब मैं कुछ दिनों के लिए केयर टेकर सीएम बना था उस दौरान कोई नीतिगत फैसले नहीं लिए।”
फडणवीस ने आगे कहा- “बुलेट ट्रेन परियोजना में महाराष्ट्र की सिर्फ जमीन अधिग्रहन तक की ही भूमिका है। इसके लिए केन्द्र से कोई फंड नहीं मिला और ना हीं राज्य का इस परियोजना में कोई योगदान है।”
फडणवीस ने कहा- कोई भी शख्स जो यह जानता है कि कैसे केन्द्र और राज्य सरकार का अकाउटिंग सिस्टम काम करता है वे ऐसा बयान नहीं देंगे। राज्य का वित्त विभाग इसकी जांच कर सकता है। मैं सोचता हूं कि जिन्होंने यह बयान दिया है और जो लोग उस पर अपनी प्रतिक्रियाएं दे रहे हैं,यह सोचता हूं कि जो ऐसे बयान दे रहे हैं और जो लोग उन बयानों पर अपनी प्रतिक्रियाएं दे रहे हैं वो दोनों ही गलत हैं।
गौरतलब है कि हेगड़े ने कहा कि आप सभी जानते हैं कि महाराष्ट्र में हमारा आदमी 80 घंटे के लिए सीएम बना। फिर फड़नवीस ने इस्तीफा दे दिया। उसने यह नाटक क्यों किया? क्या हमें नहीं पता था कि हमारे पास बहुमत नहीं है और फिर भी वह सीएम बने। यह सवाल हर कोई पूछ रहा है।
उन्होंने कहा कि केन्द्र सरकार ने लगभग 40,000 करोड़ रुपये महाराष्ट्र को दिए थे। उन्हें पता था कि अगर कांग्रेस-एनसीपी-शिवसेना की सरकार सत्ता में आती है तो वह विकास के लिए धन का दुरुपयोग करेगी। इसलिए यह तय किया गया कि एक ड्रामा किया जाएगा। फडणवीस सीएम बने और 15 घंटे में वह 40,000 करोड़ रुपये केन्द्र को वापस कर दिए।
अनंत कुमार के इस खुलासे पर शिवसेना नेता संजय राउत ने कहा है कि ये तो महाराष्ट्र के साथ गद्दारी है। इससे पहले सामना के जरिए शिवसेना ने बीजेपी पर बोलते हुए लिखा कि बहुमत न होने के बाद भी महाराष्ट्र को अंधेरे में रखकर अवैध ढंग से शपथ लेनेवाले मुख्यमंत्री तथा विधानसभा का सामना किए बिना 80 घंटे में चले जाने वाले मुख्यमंत्री ऐसा आपका इतिहास में नाम दर्ज हो चुका है, इसके याद रखो। ये कलंक मिटाना होगा तो विपक्ष के नेता के रूप में वैध काम करें या कम से कम पार्टी में खडसे मास्टर से प्रशिक्षण लें।