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बीजेपा महासचिव कैलाश विजयवर्गीय की मांग- पश्चिम बंगाल पुलिस को अगले विधानसभा चुनावों से दूर रखा जाए

पश्चिम बंगाल में 'पुलिस का अपराधीकरण' हो जाने का आरोप लगाते हुए भाजपा महासचिव कैलाश विजयवर्गीय ने रविवार को कहा कि स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव संपन्न कराने के लिए निर्वाचन आयोग को राज्य पुलिस...

बीजेपा महासचिव कैलाश विजयवर्गीय की मांग- पश्चिम बंगाल पुलिस को अगले विधानसभा चुनावों से दूर रखा जाए
एजेंसी,इंदौरSun, 22 Nov 2020 08:19 PM
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पश्चिम बंगाल में 'पुलिस का अपराधीकरण' हो जाने का आरोप लगाते हुए भाजपा महासचिव कैलाश विजयवर्गीय ने रविवार को कहा कि स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव संपन्न कराने के लिए निर्वाचन आयोग को राज्य पुलिस को अगले विधानसभा चुनावों से दूर रखना चाहिए।

विजयवर्गीय, भाजपा संगठन में पश्चिम बंगाल के प्रभारी महासचिव हैं जहां अगले साल अप्रैल-मई में विधानसभा चुनाव संभावित हैं। इन चुनावों में विपक्षी भाजपा के सामने ममता बनर्जी की अगुवाई वाली सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस का गढ़ भेदने की चुनौती है।

विजयवर्गीय ने यहां संवाददाताओं से कहा, "पश्चिम बंगाल में कानून-व्यवस्था ध्वस्त हो चुकी है। वहां घुसपैठिये आ रहे हैं। अब तो वहां राजनीतिक कार्यकर्ताओं की सुपारी किलिंग (बदमाशों द्वारा फिरौती लेकर हत्या) भी शुरू हो गई है।"

उन्होंने कहा, "इन चुनौतीपूर्ण हालात के मद्देनजर हमने केंद्र सरकार से कहा है कि या तो पश्चिम बंगाल में राष्ट्रपति शासन लगाया जाए या निर्वाचन आयोग सुनिश्चित करे कि (अगले विधानसभा चुनावों में) वहां के लोग निर्भीक होकर मतदान कर सकें।"

विजयवर्गीय ने कहा, "पिछले दिनों चुनाव आयोग के प्रतिनिधि कोलकाता आए थे। उन्होंने वादा किया है कि वे अगले विधानसभा चुनावों के दौरान केंद्रीय बलों की पर्याप्त तैनाती करेंगे, लेकिन हमने उनसे एक और मांग की है कि राज्य पुलिस को चुनाव प्रक्रिया को दूर रखा जाए क्योंकि वहां पुलिस के राजनीतिकरण के साथ ही पुलिस का अपराधीकरण भी हो गया है।"

उन्होंने कहा कि पश्चिम बंगाल में भाजपा 50 प्रतिशत से ज्यादा वोट हासिल करने के लक्ष्य के साथ अपने दम पर अगला विधानसभा चुनाव लड़ेगी और इस पूर्वी सूबे में पार्टी को किसी अन्य दल के चुनावी सहयोग की आवश्यकता नहीं है।

पूर्व उपराष्ट्रपति हामिद अंसारी ने हाल ही में कहा है कि कोरोना वायरस संकट से पहले ही भारतीय समाज दो महामारियों- धार्मिक कट्टरता और आक्रामक राष्ट्रवाद का शिकार हो गया था। इस बयान को लेकर प्रतिक्रिया मांगे जाने पर विजयवर्गीय ने दावा किया कि उन्होंने एक कार्यक्रम में देखा था कि उपराष्ट्रपति पद पर रहने के दौरान अंसारी उद्घाटन सत्र के दौरान दीप प्रज्ज्वलन की पारम्परिक रस्म में शामिल नहीं हुए थे।

उन्होंने कहा, "मैंने एक कार्यक्रम में उनको देखा था, जब वह (अंसारी) उपराष्ट्रपति थे। (कार्यक्रम में) जब उद्घाटन का लैम्प (दीप) जलाया जा रहा था, तब उन्होंने लैम्प नहीं जलाया और खड़े हो गए। (दीप प्रज्ज्वलन के वक्त) उन्होंने अपने जूते भी नहीं उतारे थे।"

भाजपा महासचिव ने कहा, "चूंकि वह उपराष्ट्रपति थे और इस पद की एक गरिमा होती है, तो हम उस समय कुछ बोले नहीं। वरना उनका कट्टरवाद उस वक्त दिखाई पड़ गया था, जब उन्होंने लैम्प नहीं जलाया था।" विजयवर्गीय ने हालांकि अपने बयान में यह नहीं बताया कि मंच पर अंसारी की मौजूदगी वाले जिस कथित कार्यक्रम का वह जिक्र कर रहे हैं, वह कब और कहां हुआ था?

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