पूर्व सीएम के काम को सबका सलाम
दिल्ली में शीला दीक्षित के काम को सबने सलाम किया। तीन बार दिल्ली की मुख्यमंत्री रहने के दौरान शीला दीक्षित ने अपने काम से जो मिसाल खड़ी की, उसे कांग्रेस पार्टी के वरिष्ठ नेता ही नहीं भाजपा और आम आदमी...
दिल्ली में शीला दीक्षित के काम को सबने सलाम किया। तीन बार दिल्ली की मुख्यमंत्री रहने के दौरान शीला दीक्षित ने अपने काम से जो मिसाल खड़ी की, उसे कांग्रेस पार्टी के वरिष्ठ नेता ही नहीं भाजपा और आम आदमी पार्टी के नेता भी उसे स्वीकार करते हैं। जबकि, आम जनता के बीच भी उनकी हमेशा ही एक सकारात्मक छवि बनी रही।
यूं तो वर्ष 2013 के विधानसभा चुनावों में आम आदमी पार्टी की लहर में शीला दीक्षित को हार का सामना करना पड़ा था। इसके बाद लंबे अरसे तक वे दिल्ली की राजनीति में कम ही सक्रिय रहीं। विधानसभा चुनावों के बाद वे कुछ समय केरल की राज्यपाल रहीं। जबकि, राज्यपाल पद से इस्तीफा देने के बाद जब वे दिल्ली लौंटी भी तो राजनीतिक कार्यक्रमों में कम ही शिरकत करती रहीं।
सियासी समीकरण : दिल्ली कांग्रेस अध्यक्ष का चुनाव चुनौती से कम नहीं, माकन को मिल सकती है कमान
जबकि, लोकसभा चुनावों से ठीक पहले पार्टी ने एक बार फिर से दिल्ली कांग्रेस का जिम्मा उन्हें सौप दिया। शीला दीक्षित के बाद अर्रंवद केजरीवाल पहले तो 49 दिनों के लिए मुख्यमंत्री रहे। फिर लगभग डेढ़ साल तक दिल्ली की सत्ता उप राज्यपाल चलाते रहे। बाद में हुए चुनाव के बाद लगभग साढ़े चार साल से अर्रंवद केजरीवाल मुख्यमंत्री के पद पर हैं। लेकिन, एक मुख्यमंत्री के तौर पर शीला दीक्षित के योगदान को दिल्ली कभी भी भूल नहीं पाई।
फ्लाईओवर से लेकर सीएनजी चालित वाहनों की स्थापना, कच्ची कॉलोनियों के लिए किए गए प्रयास आदि तक के उनके कामों को लगातार याद किया जाता रहा। यही कारण है कि उनके निधन के बाद दिल्ली बीते चौबीस घंटों से गम में डूबी हुई है। कांग्रेस के साथ-साथ अन्य पार्टियों के लोग भी खुलकर उनके प्रति सम्मान प्रगट कर रहे हैं और ट्वीट कर रहे हैं। दिल्लीवालों को कहना है कि दिल्ली में असली विकास की शुरुआत सही मायने में शीला दीक्षित ने ही की। उनकी तारीफ में लोग इसीलिए फ्लाईओवरों वाली मुख्यमंत्री की उपमा देते हैं।