ट्रेंडिंग न्यूज़

Hindi News देशपिंक-मजेंटा लाइन पर बिना ड्राइवर चलेगी मेट्रो, जानिए कितनी खास है ये तकनीक

पिंक-मजेंटा लाइन पर बिना ड्राइवर चलेगी मेट्रो, जानिए कितनी खास है ये तकनीक

दिल्ली मेट्रो की पिंक और मजेंटा लाइन पर मेट्रो का परिचालन पूरी तरह से स्वचालित होने लगा है। इन दोनों लाइन को चालक रहित ट्रेन परिचालन वाली तकनीक के लिहाज से विकसित किया गया है। यह पहला मौका है जब...

पिंक-मजेंटा लाइन पर बिना ड्राइवर चलेगी मेट्रो, जानिए कितनी खास है ये तकनीक
बृजेश सिंह,नई दिल्लीThu, 21 Nov 2019 05:28 AM
ऐप पर पढ़ें

दिल्ली मेट्रो की पिंक और मजेंटा लाइन पर मेट्रो का परिचालन पूरी तरह से स्वचालित होने लगा है। इन दोनों लाइन को चालक रहित ट्रेन परिचालन वाली तकनीक के लिहाज से विकसित किया गया है। यह पहला मौका है जब मेट्रो का परिचालन पूरी तरह से स्वचालित किया जा रहा है।

इन लाइन पर ट्रेन में चालक तो मौजूद रहते हैं, मगर वो कोई काम नहीं करते, सिर्फ निगरानी करते हैं। मेट्रो का कहना है कि मई 2020 तक इन दोनों लाइन पर मेट्रो से चालक को हटाने का लक्ष्य रखा गया है।

डीएमआरसी के प्रबंध निदेशक मंगू सिंह के मुताबिक मजेंटा और पिंक लाइन पर मेट्रो का परिचालन सीबीटीसी (कम्युनिकेशन बेस्ड ट्रेन कंट्रोल) तकनीकी पर हो रहा है। इस तकनीक में नियंत्रण कक्ष से स्वचालित तरीके ट्रेन को रफ्तार देने और ब्रेक लगाने का काम किया जाता है।

महिलाओं को रास आया बसों में मुफ्त सफर, इस्तेमाल करने वालों की संख्या बढ़ी

मेट्रो के मुताबिक मेट्रो के स्वचालित परिचालन से फ्रीक्वेंसी में सुधार आएगा। अभी इन दोनों लाइन पर पांच मिनट के अंतराल पर ट्रेन मिलती है। आने वाले दिनों में मांग के अनुरूप प्रत्येक 90 सेकेंड के अंतराल पर भी ट्रेन चल सकती हैं। इसके साथ मानवीय भूल के कारण होने वाली दुर्घटनाएं भी खत्म हो जाएगी।

विदेशों में कैसे होता है काम: मंगू सिंह के मुताबिक कई देशों में जहां पहले से यह तकनीक है, वहां अल्टरनेट (एक छोड़कर एक ट्रेन) ट्रेन में सहायक रखते हैं। दूसरा प्रत्येक स्टेशन पर एक सहायक होता है। यह सहायक ट्रेन चलाना भी जानता है। वह आपात स्थिति में अगर कही ट्रेन रुक जाएं तो उसे चलाकर आगे निकाल सकता है। लेकिन हमें यहां यह कैसे करना है, इस पर अभी कोई फैसला नहीं हुआ है। 

मेट्रो के स्वचालित परिचालन से फायदा
* मेट्रो ट्रेन की फ्रीक्वेंसी को 90 सेकेंड तक किया जा सकता है। अभी यह औसतन दो से पांच मिनट है।
* दो ट्रेन के बीच की दूरी को कम करके चलाया जा सकता है। इससे एक साथ ज्यादा ट्रेनों का परिचालन हो पाएगा।
* ट्रेन के आपस में टकराने की संभावना खत्म हो जाएगी, क्योंकि 15 मीटर से ज्यादा करीब आते ही खुद ही ब्रेक लग जाएगा।

चालकों को निकाला नहीं जाएगा
मेट्रो का कहना है कि चालकों को निकाला नहीं जाएगा। चालकों का उपयोग मेट्रो की नई बन रही लाइनों में किया जाएगा। साथ ही इन ट्रेनों में भी कुछ दिन तक चालकों को देखरेख के लिए वैकल्पिक तौर रखा जाएगा। दिल्ली मेट्रो में चालकों के पद भी खाली होते रहते हैं, ऐसे में इन्हें उन पदों पर रखा जा सकता है। 

मेट्रो का हाल
पिंक लाइन : मजलिस पार्क से शिव विहार
58 किलोमीटर लंबा नेटवर्क
52 मेट्रो ट्रेन चलती है
5.12 मिनट व्यस्त समय में फ्रीक्वेंसी
5.45 मिनट फ्रीक्वेंसी नान पीक आवर्स में
4-5 लाख यात्री रोजाना।

मजेंटा लाइन : जनकपुरी पश्चिम से मजलिस पार्क
38 किलोमीटर का नेटवर्क
29 मेट्रो ट्रेन चल रही है
5.10 मिनट व्यस्त समय में फ्रीक्वेंसी
5.35 मिनट फ्रीक्वेंसी नॉन पीक आवर में
1.50 से 2 लाख यात्री रोजाना 

हिन्दुस्तान का वॉट्सऐप चैनल फॉलो करें