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दिल्ली, झारखंड, उत्तर प्रदेश सर्वाधिक प्रदूषित राज्य, जानें कहां कितनी मिली PM-10 की मात्रा

राष्ट्रीय स्वच्छ हवा कार्यक्रम (एनसीएपी) के तहत सूचीबद्ध 23 राज्यों में दिल्ली, झारखंड और उत्तर प्रदेश सर्वाधिक प्रदूषित राज्यों में दर्ज किए गए हैं। कार्बन कापी और रेस्पायरर लिविंग की तरफ से किए गए...

दिल्ली, झारखंड, उत्तर प्रदेश सर्वाधिक प्रदूषित राज्य, जानें कहां कितनी मिली PM-10 की मात्रा
विशेष संवाददाता, हिन्दुस्तान,नई दिल्ली।Thu, 29 Oct 2020 06:36 AM
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राष्ट्रीय स्वच्छ हवा कार्यक्रम (एनसीएपी) के तहत सूचीबद्ध 23 राज्यों में दिल्ली, झारखंड और उत्तर प्रदेश सर्वाधिक प्रदूषित राज्यों में दर्ज किए गए हैं। कार्बन कापी और रेस्पायरर लिविंग की तरफ से किए गए अध्ययन में यह बात सामने आई है। इस अध्ययन में 23 राज्यों में एनसीएपी में शामिल 122 शहरों में वायु निगरानी के तीन साल के आंकड़ों (2016-18) का इस्तेमाल किया गया है। जिसमें पीएम-10 की मात्रा को मुख्य आधार बनाया गया है।

कार्बन कापी और रेस्पायरर लिविंग की बुधवार को जारी रिपोर्ट में कहा गया है कि दिल्ली में तीन सालों के दौरान पीएम-10 की मात्रा सबसे ज्यादा रही है। झारखंड और उत्तर प्रदेश क्रमश: दूसरे एवं तीसरे स्थान पर रहे हैं। जबकि पीएम 2.5 की मात्रा के हिसाब से दिल्ली, उत्तर प्रदेश और बिहार सबसे ज्यादा प्रदूषित राज्य पाए गए हैं।

पीएम 2.5 का स्तर भी बढ़ा
रिपोर्ट के अनुसार, दिल्ली में 2017 में पीएम 2.5 के स्तर में 2016 की तुलना में 14 फीसदी की कमी आई लेकिन 2018 में ज्यादातर स्थानों पर यह 21 फीसदी तक बढ़ गया। अलबत्ता पीएम -10 के स्तर में लगातार कमी दिखी। 2016 में यह 274 था जो 2018 में घटकर 225 माइक्रोन प्रति क्यूबिक मीटर तक आ गया। उत्तर प्रदेश के लखनऊ में पीएम 10 की मात्रा 2016 में 214 दर्ज की गई जो 2017 में 244 और 2018 में घटकर 217 रह गई।

पीएम 2.5 की मॉनिटरिंग 2017 से उत्तर प्रदेश के केवल 5 शहरों में शुरू हुई, जिसमें लखनऊ, नोएडा और कानपुर में एक- एक मॉनिटरिंग केंद्र, गाजियाबाद में 2 मॉनिटरिंग केंद्र और आगरा में 4 मॉनिटरिंग केंद्र हैं। राज्य की राजधानी लखनऊ में पीएम 2.5 का स्तर 2017 में 102 और 2018 में 108 रहा। इस तरह से लखनऊ में पीएम 2.5 का स्तर 6 फीसदी बढ़ा। आगरा जहां राज्य के अधिकतम पीएम 2.5 मॉनिटर हैं वहां 2018 में पीएम 2.5 का स्तर 105 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर रहा और 2017 में 124 मापा गया जिसके अनुसार शहर में पीएम 2.5 के स्तर में 15फीसदी सुधार हुआ।

धनबाद में भी रिकॉर्ड बढ़ोतरी
एनसीएपी में झारखंड का शहर धनबाद शामिल है। जहां 2016 में पीएम 10 का स्तर 226 माइक्रोन प्रति क्यूबिक मीटर था जो 2017 में 5 फीसदी बढ़कर 238 हो गया। लेकिन 2018 में इसमें रिकॉर्ड बढ़ोतरी दर्ज की गई और यह 263 माइक्रोन तक पहुंच गया जो दिल्ली के बाद सर्वाधिक है। इस प्रकार तीन साल का औसत झारखंड का 242 माइक्रोन दर्ज किया गया। झारखंड में अभी भी पीएम 2.5 की मानीटरिंग नहीं है।

क्या होता है पीएम-10 और कितना होना चाहिए
पीएम 10 को पर्टिकुलेट मैटर कहते हैं। इन कणों का साइज 10 माइक्रोमीटर या उससे कम व्यास होता है। इसमें धूल, गर्दा और धातु के सूक्ष्म कण शामिल होते हैं। पीएम 10 धूल, कंस्‍ट्रक्‍शन और कूड़ा व पराली जलाने से ज्यादा बढ़ता है। पीएम 10 का सामान्‍य स्तर 100 माइक्रो ग्राम क्‍यूबिक मीटर (एमजीसीएम) होना चाहिए।

क्या होता है पीएम-2.5 और कितना होना चाहिए
पीएम 2.5 हवा में घुलने वाला छोटा पदार्थ है। इन कणों का व्यास 2.5 माइक्रोमीटर या उससे कम होता है। पीएम 2.5 का स्तर ज्यादा होने पर ही धुंध बढ़ती है। विजिबिलिटी का स्तर भी गिर जाता है। इसके बढ़ने से आंख, गले और फेफड़े की तकलीफ बढ़ती है। पीएम 2.5 का सामान्‍य स्तर 60 माइक्रो ग्राम क्‍यूबिक मीटर होना चाहिए।

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