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दिल्ली अग्निकांड: ताबूत की तरह बंद इमारत बनी लाक्षागृह, तीसरी मंजिल पर सबसे ज्यादा मौत

छत का बंद दरवाजा, पीछे का जीना बंद, पूरी इमारत में प्लास्टिक के सामान का ढेर और संकरी गली के चलते अनाज मंडी की इमारत लाक्षागृह बन गई। फायर एनओसी से लेकर फैक्टरी लाइसेंस तक में अनियमितता पाई गई। इसके...

दिल्ली अग्निकांड: ताबूत की तरह बंद इमारत बनी लाक्षागृह, तीसरी मंजिल पर सबसे ज्यादा मौत
वरिष्ठ संवाददाता,नई दिल्लीMon, 09 Dec 2019 05:10 AM
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छत का बंद दरवाजा, पीछे का जीना बंद, पूरी इमारत में प्लास्टिक के सामान का ढेर और संकरी गली के चलते अनाज मंडी की इमारत लाक्षागृह बन गई। फायर एनओसी से लेकर फैक्टरी लाइसेंस तक में अनियमितता पाई गई। इसके चलते इमारत में फंसकर लोगों की जान चली गई। राहत और बचाव कार्य में जुटे लोगों को भी दिक्कतों का सामना करना पड़ा। 

संकरी गली वाले इस इलाके में पहले अनाज मंडी थी, लेकिन समय के साथ कारोबार बंद हो गया। 600 वर्ग गज वाले प्लॉट पर बनी इमारत के तीन साझेदार हैं। इमारत की चार मंजिलों पर 100 से ज्यादा लोग रहते थे। पूरी इमारत में प्लास्टिक का सामान फैला था। 100 से ज्यादा लोगों के आने-जाने के लिए सिर्फ चार फीट चौड़ा एक सीढ़ी थी। इमारत के दूसरे हिस्से में मौजूद सीढ़ी को सामान का ढेर लगाकर बंद कर दिया गया था। इसकी वजह से उस सीढ़ी का इस्तेमाल नहीं किया जाता था। आग लगने पर लोग दूसरी सीढ़ी का इस्तेमाल नहीं कर पाए। वहीं पहली सीढ़ी में धुआं भरने से लोग उसका इस्तेमाल नहीं कर सके।

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सामान का ढेर : इमारत की हर मंजिल पर प्लास्टिक और रेक्सीन के सामान का ढेर लगा हुआ था। दूसरी मंजिल पर आग की शुरुआत हुई जो प्लास्टिक और रेक्सीन के कारण तेजी से फैलती चली गई। पूरी इमारत में धुआं भर गया। सीढ़ी संकरी होने के कारण इसमें भी धुआं भर गया, लोगों को रास्ता नहीं दिख रहा था। कुछ लोग जान बचाने के लिए चौथी मंजिल पर स्थित छत पर भागे, लेकिन दरवाजे पर ताला लगा हुआ था। इसकी वजह से लोग छत पर भी नहीं जा पाए। 

संकरी गलियों से राहत कार्य धीमा : चीफ फायर ऑफिसर अतुल गर्ग ने बताया कि संकरी गलियों के कारण दमकल की गाड़ी अंदर नहीं जा सकती थी। इससे बचाव कार्य में समय लगा। करीब 300 मीटर पाइप के सहारे आग बुझाने का काम शुरू किया गया। एक बार में गली में एक ही एंबुलेंस जा सकती थी। इस वजह से इमारत में मौजूद लोगों को दमकलकर्मी अपने कंधे पर लादकर गली से दूर खड़ी एंबुलेंस में रख रहे थे, जिससे घायलों को अस्पताल पहुंचाने में अधिक समय लगा।

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इमारत में सिर्फ आगे की ओर खिड़की : इमारत ताबूत की तरह बंद थी। इमारत में सभी मंजिल पर आगे की तरफ एक-एक खिड़की है और तीन तरफ से बंद थी। इमारत में ज्वलनशील सामग्री का ढेर लगा था, जिसके चलते कुछ ही मिनट में आग सभी मंजिल तक फैल गई। एनडीआरएफ अफसरों ने बताया कि अधिकांश लोगों को बाहर निकलने का मौका ही नहीं मिला। 

चौथी मंजिल : कई लोग जले
यहां भी कई लोगों के शव मिले। फायर विभाग के अनुसार, यहां मिले शव बुरी तरह जले हुए थे। छत का दरवाजा भी बंद था। 

तीसरी मंजिल : सबसे ज्यादा मौत इसी तल पर
दूसरी मंजिल से उठे धुएं के कारण यहां सो रहे लोगों का दम घुट गया। सबसे ज्यादा मृत लोग यहीं मिले।

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दूसरी मंजिल : आग की शुरुआत इसी तल से हुई
यहां आग लगी। प्लास्टिक का सामान और लेडीज बैग यहां बनते थे। इनके कारण आग भड़की। कई लोग मारे गए।

पहली मंजिल : चारों ओर प्लास्टिक का सामान था
यहां चारों ओर फैक्टरी का सामान था। यहां गुलदस्ते और शीशे के फ्रेम बनाए जाते थे।

ग्राउंड फ्लोर : सीढ़ियां बंद
एक तरफ पार्किंग थी, दूसरी तरफ बाईं ओर की सीढ़ियां सामान के कारण बंद थीं। इस तरफ से मजदूर नीचे नहीं उतर पाए और जलने व दम घुटने से उनकी मौत हो गई।

ताबूत क्यों
* इमारत में पीछे की तरफ बना जीना सामान से भरा था, वहां से कोई नहीं निकल पाया।
* छत का दरवाजा भी बंद था, इसके चलते दम घुटने से गई जान।
* संकरी गलियों में बनी है इमारत, एक-एक कर पहुंची एंबुलेंस-फायर ब्रिगेड।
* आग लगने पर उसे बुझाने के कोई उपकरण इमारत में नहीं थे।
* पूरी इमारत में प्लास्टिक का सामान था, सिर्फ एक तरफ खिड़कियां थीं 

कार्बन मोनोऑक्साइड से लोगों का दम घुटा 
जिस इमारत में रविवार सुबह आग लगी, वहां जहरीली कार्बन मोनोऑक्साइड गैस भरी थी। इससे अधिकांश श्रमिकों की दम घुटने से मौत हुई। यह जानकारी एनडीआरएफ के दल ने किया है। एनडीआरएफ के डिप्टी कमांडर आदित्य प्रताप सिंह ने बताया कि एनडीआरएफ ने गैस डिटेक्टरों की मदद से जहरीली गैस का पता लगाया। तेल, कोयला और लकड़ी जैसे ईंधनों के पूरी तरह नहीं जलने पर यह रंगहीन, गंधहीन गैस बनती है। डिप्टी कमांडर के मुताबिक, टीम को इमारत की कुछ खिड़कियां सील मिली। वहां हवा के आने-जाने के लिए केवल एक स्थान था। 

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